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पानीपत-जालंधर सिक्स लेन प्रोजेक्ट : हजारों पेड़ काटे, करोड़ों का किया घोटाला, हरियाली निगल गया एनएचएआई, एक भी पेड़ नहीं लगाया, आरटीआई में हुए खुलासे

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
पानीपत से जालंधर सिक्स लेन प्रोजेक्ट में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने हजारों पेड़ काट डाले और उनके बदले एक भी पेड़ नहीं लगाया. यह चौंकाने वाला खुलासा खुद एनएचएआई की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दी गई जानकारी में किया गया है. इसमें कई ऐसे हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं जो नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की लापरवाही को दर्शाते हैं.
पंजाब कांग्रेस आरटीआई सेल के सीनियर वाइस चेयरमैन और आरटीआई एक्टिविस्ट संजय सहगल ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि पानीपत से जालंधर हाईवे के सिक्स लेनिंग प्रोजेक्ट में कितने पेड़ काटे गए, काटे गए पेड़ों के बदले कितन पेड़ लगाए गए, काटे गए पेड़ों की नीलामी से कितनी राशि एनएचएआई के खाते में प्राप्त हुई, इन पेड़ों को काटने के बदले पंजाब एवं हरियाणा सरकार को कितनी राशि का भुगतान एनएचएआई की ओर से किया गया? इसके अलावा कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां भी मांगी गई थीं. इसका जो जवाब एनएचएआई की ओर से दिया गया वह बड़ा ही हैरान करने वाला था. जवाब में एनएचएआई का कहना था कि यह सारा मामला वन विभाग से संबंधित है. एनएचएआई के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. इसलिए आपकी एप्लिकेशन वन विभाग को हस्तांतरित की जा रही है.

संजय सहगल

बता दें कि उक्त सिक्स लेन प्रोजेक्ट में हजारों हरे भरे पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई लेकिन उनके बदले आज तक पेड़ नहीं लगाए गए. एक तरफ तो सरकार पर्यावरण संरक्षण की बात करती है और लोगों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए करोड़ों रुपये जागरूकता अभियान, विग्यापनों व सेमिनारों पर खर्च करती है वहीं दूसरी तरफ एनएचएआई जैसे सरकारी महकमे ही पर्यावरण संरक्षण के अभियानों की हवा निकाल रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि एनएचएआई के इस प्रोजेक्ट में पेड़ों की कटाई को लेकर अधिकारियों ने करोड़ों रुपये के वारे न्यारे किये हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि यह सारा खेल वन विभाग की मिलीभगत से एनएचएआई के अधिकारियों ने खेला है और एक केंद्रीय मंत्री को भी इसका हिस्सा पहुंचाया गया है. यही वजह है कि अब तक हजारों पेड़ों की कटाई के मामले में न तो कोई जांच बिठाई गई और न ही काटे गए पेड़ों के बदले लगाए गए पेड़ों की सुध ली गई. नियमानुसार, किसी को भी हरे भरे पेड़ काटने की परमिशन आधिकारिक तौर पर तभी दी जाती है जब वह एक पेड़ काटने के बदले कम से कम पांच पौधे लगाए. अब मोदी सरकार के डिपार्टमेंट व मंत्री ही जब नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे तो फिर पर्यावरण संरक्षण कागजों से बाहर कैसे आएगा.
सूत्रों का मानना है कि अगर करोड़ों रुपये के इस पेड़ कटाई घोटाले की सीबीआई जांच हो तो सरकारी अधिकारियों के काले खेल का खुलासा हो सकता है.

इस संबंध में जब संबंधित अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका. अगर वह चाहें तो मोबाइल नंबर 7528022520 पर फोन कर हमें अपना पक्ष दे सकते हैं. हम उनका पक्ष भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.

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