नावाडीह।स्थानीय प्रखंड के शांतिवन, भालमारा मैं आयोजित 108 कुंडीय श्रद्धा संवर्द्धन गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन कुल 432 जोड़ो ने देव आह्वान पूजन कर यज्ञकर्म किये।इनमें से विधायक प्रतिनिधि जयलाल महतो, प्रमुख पूनम देवी, उप प्रमुख विश्वनाथ महतो ,विशेश्वर प्रसाद बरनवाल, रामेश्वर महतो सहित सैकड़ो याजकों ने यज्ञ भगवान को गायत्री महामंत्र से आहुतियां प्रदान कीं।
शांति कुंज हरिद्वार से आये टोली नायक आचार्य सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि देव संस्कृति के अधिष्ठाता यज्ञ पिता , गायत्री माता हैं ।समस्त विद्यायें साधन,सामग्री सबकुछ उन्हीं की देन हैं।हमारी संस्कृति में सदैव त्याग, परोपकार एवं सत्कर्म को अपने जीवन में उतारना ही सच्चे अर्थ में यज्ञ कर्म है।यज्ञ में दक्षिणा नही देव दक्षिणा दें। इससे आपका तथा आपके परिवार का नव निर्माण होगा।यज्ञ के माध्यम से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए गायत्री महायज्ञ सर्वोपरि माना गया है।आज हर व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान है, जिसका प्रभाव स्थूल शरीर पर विशेष रूप से पड़ता है।शरीर का पोषण सद्विचार एवं सद्भाव से करने की खोज ऋषियों का विज्ञान रहा है।आथ संसार में अनेक चिकित्सा पद्धतियां चल रही हैं।परंतु रोग जहां है,वहां का उपचार आध्यात्मिक चिकित्सा यज्ञपैथी अर्थात यज्ञ से ही संभव है।इसे आज विज्ञान ने भी स्वीकारा है। इसकी शुरूआत पंडित श्री राम शर्मा आचार्य द्वारा ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान से हुआ है,जिसका संचालन डा. प्रणव पण्डया जी को सौपा गया है।
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