नीरज सिसौदिया
सियासी मैदान में पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की पारियां डगमगाने लगी है| गड़े हुए मुर्दे अब कब्र से बाहर निकलकर सिद्धू को डराने लगे हैं| वर्ष 1988 का रोडरेज का मामला नवजोत सिंह सिद्धू के गले की फांस बनता जा रहा है| वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी मौके पर चौका जड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे|
दरअसल, रोडरेज के मामले में सिद्धू को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से सजा सुनाई जा चुकी है| अब सिद्धू ने इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है| यहां भी सिद्धू को राहत मिलती नजर नहीं आ रही| किसका सारा रुख पंजाब सरकार का हल किया बयान तय करने वाला है| पंजाब सरकार आज भी अपने उसी बयान पर अडिग है जिस पर वह 30 साल से अटल थी| कांग्रेस का दामन थामने और मंत्री पद पर बैठने के बाद सिद्धू को यह उम्मीद थी कि शायद कैप्टन सरकार अपने बयान में कोई बदलाव कर ले और उन्हें इस मामले में राहत मिल जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ| पंजाब सरकार अब भी उन्हें दोषी मानती है|
मामला क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा है इसलिए पार्टी हाईकमान भी सिद्धू के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा| कैप्टन ने अपनी गुगली फेंक दी है और सिद्धू लगभग क्लीन बोल्ड होने को तैयार है|
सिद्धू और कैप्टन के बीच राजनीतिक रिश्ता कभी भी बहुत अच्छा नहीं रहा| पहले विपक्ष में रहते हुए सिद्धू ने कैप्टन पर जमकर निशाना साधा था| वही जब सिद्धू के कांग्रेस में आने की चर्चाएं तेज हुई तो कैप्टन को अपना सिंहासन डोलता नजर आया| सूत्रों की माने तो कैप्टन कभी भी नहीं चाहते थे कि सिद्धू कांग्रेस का हिस्सा बने लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू सीधा राहुल गांधी का वरदहस्त लेकर कांग्रेस ने आ टपके| सिद्धू की एंट्री के बाद यह चर्चाएं तेज होने लगी कि वह कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बन जाएंगे| हालांकि इन चर्चाओं में कोई खास काम नहीं था लेकिन सिद्धू धीरे-धीरे कैप्टन की विकल्प के रूप में उभर रहे थे| बात जब विधानसभा चुनाव के दौरान चहेतों को टिकट दिलाने की आई तो भी सिद्धू कैप्टन पर हावी नजर आए| जिस बराड़ को कैप्टन अमरिंदर सिंह जालंधर कैंट विधानसभा से टिकट देने का वादा सार्वजनिक मंच से कर चुके थे उसकी जगह सिद्धू ने अपने करीबी परगट सिंह को टिकट दिला दी| सिद्धू का सफर यहीं पर नहीं थमा बल्कि सत्ता में आने के बाद उन्हें महत्वपूर्ण स्थानीय निकाय मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई| धीरे-धीरे कांग्रेस में सिद्धू का कद बढ़ता जा रहा था और कैप्टन को अंदर ही अंदर यह रास नहीं आ रहा था| स्थानीय निकाय मंत्री के तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू ने भी कई कड़े फैसले किए| आम जनता के बीच सिद्धू की लोकप्रियता जगजाहिर है| साथ ही हाईकमान से भी सिद्धू की नजदीकियां काफी बढ़ चुकी हैं| कैप्टन की उम्र अब उनके शरीर का साथ सही ढंग से देने में सक्षम नहीं है| वहीं पंजाब कांग्रेस में कोई ऐसा दिग्गज नेता कैप्टन के बाद नहीं रहा जो पंजाब में कांग्रेस का चेहरा बन सके| ऐसे में सिद्धू ही एकमात्र ऐसी शख्सियत थे जो पंजाब कांग्रेस को एक उज्जवल भविष्य दे सकते थे| अब क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सिद्धू के सिर पर तलवार लटकी हुई है तो सिद्धू के सियासी भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं| सिद्धू के केस में पंजाब सरकार के रूख से कहीं ना कहीं सिद्धू खेमे में नाराजगी जरूर है| सिद्धू भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं| कैप्टन का यह दांव सिद्धू पर भारी पड़ा है| पंजाब कांग्रेस की खेमेबाजी को इससे और बल मिला है लेकिन पंजाब कांग्रेस के भविष्य के लिए यह शुभ संकेत नहीं है| अगर सुप्रीम कोर्ट से भी सिद्धू को सजा हो जाती है तो यह सिद्धू ही नहीं कांग्रेस की सियासत के लिए भी खतरनाक होगा|
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