पंजाब

नशा तस्करों और भूमाफियाओं से लड़ाई अकेला लड़ता एक सिपाही, नशा तस्करों पर कार्रवाई के साथ ही शुरू हो गई थी एटीपी सुखदेव वशिष्ठ को फंसाने की साजिश

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
अपनी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के लिए बड़े-बड़े नेताओं, मंत्रियों और भूमाफियाओं से लोहा लेने वाले जालंधर नगर निगम के एटीपी सुखदेव वशिष्ठ आखिरकार नशा तस्करों और भूमाफियाओं की साजिश का शिकार बना ही दिए गए। सुखदेव वशिष्ठ के खिलाफ विजिलेंस की यह कार्रवाई कोई चौंकाने वाली नहीं है। इसकी पटकथा तो उसी वक्त से लिखनी शुरू हो चुकी थी जब सुखदेव वशिष्ठ को पंजाब सरकार के महत्वाकांक्षी अभियान युद्ध विरुद्ध नशा की जालंधर की कमान सौंपी गई थी। सुखदेव वशिष्ठ पिछले एक माह के दौरान लगभग एक दर्जन से भी अधिक नशा तस्करों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चला चुके थे। नशा तस्करों की लिस्ट में अभी लगभग डेढ़ दर्जन से भी अधिक तस्कर शामिल थे जिनकी अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जाना बाकी है। इतना ही नहीं सुखदेव वशिष्ठ तमाम अवैध कॉलोनियाें और अवैध निर्माणों पर भी बुलडोजर चला चुके थे।


यह पहला मौका नहीं था जबकि सुखदेव वशिष्ठ ने अवैध कॉलोनियों और अवैध निर्माणों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की है। इससे पहले भी सुखदेव वशिष्ठ को जब भी एटीपी का चार्ज दिया गया तब-तब वो बिना किसी दबाव की परवाह किए हुए अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन लेते रहे थे। सुखदेव वशिष्ठ की ईमानदारी तब भी उनकी दुश्मन बन गई और उन्हें माफियाओं के दबाव में पठानकोट स्थानांतरित कर दिया गया। वहां भी पदभार संभालते ही सुखदेव वशिष्ठ ने ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी तो उन्हें कार्रवाई करने से रोका जाने लगा। हालांकि पंजाब सरकार को सुखदेव वशिष्ठ पर पूरा भरोसा था और सुखदेव उनके भरोसे पर खरे भी उतर रहे थे। इसी दौरान उन्हें जालंधर में एटीपी का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया। यहां अतिरिक्त चार्ज संभाले हुए सुखदेव को कुछ ही दिन हुए थे कि पंजाब सरकार ने उन्हें जालंधर में युद्ध विरुद्ध नशा अभियान के तहत नशा तस्करों की अवैध संपत्तियों पर बुृलडोजर चलाने वाली टीम की कमान सौंप दी गई। इसके बाद सुखदेव वशिष्ठ के खिलाफ साजिशों का दौर शुरू हो गया।

सुखदेव जिन नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे उनके ताल्लुकात कई दिग्गज नेताओं, अधिकारियों और अन्य लोगों के साथ थे। इनमें विपक्ष के विधायक, पूर्व विधायक और सत्ताधारी पार्टी के भी कुछ नेता शामिल हैं। सुखदेव जब भी नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करते तो नशा तस्करों के गुर्गे उन्हें झूठे मामलों में फंसाने और जान से मारने तक की धमकी देने लगे। इसकी आशंका सुखदेव वशिष्ठ ने पहले ही जता दी थी। जब-जब सुखदेव वशिष्ठ नशा तस्करों की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाते थे तब-तब विदेशों में बैठे नशा तस्करों के गुर्गे फेसबुक पर लाइव होकर भी उन्हें धमकाते थे। इसके बावजूद सुखदेव वशिष्ठ डरे नहीं और नशा तस्करों के साथ ही भूमाफियों पर भी शिकंजा कसते रहे। उनकी यही ईमानदारी उनके गले की फांस बन गई। नशा तस्करों और भूमाफियाओं के साथ अकेला लड़ता यह सिपाही अंतत: उनकी साजिश का शिकार बन ही गया और विजिलेंस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
विजिलेंस की यह कार्रवाई कई सवाल खड़े कर रही है। अगर निष्पक्ष और ईमानदारीपूर्वक मामले की जांच की जाएगी तो निश्चित तौर पर सुखदेव वशिष्ठ पाक-साफ निकल जाएंगे लेकिन अगर माफियाओं का मकड़जाल यूं ही हावी रहा तो फिर सुखदेव को इंसाफ सिर्फ न्यायालय से ही मिल पाएगा।

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