नई दिल्ली| नक्सलियों की फंडिंग और उसके नेताओं की प्रॉपर्टी पर अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी की स्पेशल यूनिट शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है| इसके लिए एक स्पेशल ग्रुप का गठन किया गया है जिसमें विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ राज्य स्तरीय एजेंसी के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है|
जानकारी के मुताबिक, इस टीम में एडिशनल सेक्रेटरी लेवल का अधिकारी नेतृत्व करेगा और इंटेलिजेंस ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स सीबीआई और स्टेट की CID के अफसर शामिल रहेंगे|
पिछले दिनों की गई एक जांच में यह सामने आया था कि नक्सलियों की ओर से जो पैसा लेवी के रूप में प्राइवेट कांट्रेक्टर ट्रांसपोर्टर्स आदि से वसूला जाता है उसे नक्सली नेता अपने नाम पर रख रहे हैं| सूचना यह भी है कि कई नक्सली नेताओं ने इन पैसे से प्रॉपर्टी खरीदी है और कुछ नहीं बैंक में भी इन्वेस्ट कर रखा है| अब यह विशेष ग्रुप इसकी जांच करेगा कि वह कौन-कौन से नेता हैं जिन्होंने अपनी प्रॉपर्टी इस पैसे से बना रखी है| इन नेताओं की प्रॉपर्टी सीज की जाएगी|
ईडी ने फिलहाल 4 ऐसे मामले पकड़े हैं और उनमें केस दर्ज भी कर लिया है| पहले मामले में बिहार झारखंड की स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य नक्सली प्रद्युम्न शर्मा ने अपनी भतीजी के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए 22 लाख रुपए दिए थे| यह मामला पिछले वर्ष का है| इसी तरह एक अन्य नक्सली नेता संदीप यादव ने 15 लाख रुपए नोटबंदी के दौरान जमा कराए थे| उसकी बेटी एक प्रतिष्ठित प्राइवेट इंस्टिट्यूट में पढ़ती है और बेटा एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है| इसी तरह अरविंद यादव नाम की एक नक्सली नेता ने अपने भाई की प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस के लिए 12 लाख रुपए दिए थे| इन सभी मामलों में ईडी ने केस दर्ज कर लिया है| बता दें कि अगर नक्सलियों को फंडिंग रुक जाए तो उनकी कमर टूट जाएगी और वह वारदातों को अंजाम देने के लिए हथियारा आदि नहीं ले सकेंगे|
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