आजाद इदरीसी, हसनपुर
समस्तीपुर जिले के बेगमपुर निवासी *कारी मो.सद्दामअली नदवी* साहब ने रमजान से संबंधित विशेष जानकारी देते हुए बताये।
इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा महीना रमजान का होता है। इस माह में जो भी बालिग है, रोजा रखना उसका फर्ज है। पूरे माह हर रात तरावी की नमाज पढ़ी जाती है। इसको पढ़ना सुन्नत माना गया है। एक चांद दिखने पर जहां रोजा शुरू होता है, वहीं दूसरा चांद देखकर रमजान का माह खत्म होता है। उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है।
रमजान का पाक माह जीवन में संयम का महत्व बताता है। रोजा में खाने-पीने के साथ हर ख्वाहिशों से दूर रहना होता है। इसके साथ ही लड़ाई-झगड़े, बुरे बर्ताव से बचना होता है। अल्लाह पर यकीन रखते हुए खुद को बुराइयों से रोकना है और इबादत की आदत दिनचर्या में शामिल करनी है। बुराइयों से दूर रहने और नेक कामों में लगे रहने की प्रक्रिया को तकवा कहते हैं। इस बार सुबह चार बजे से शाम सात बजे तक रोजा रहेगा। 15 घंटे तक खाली पेट रहने से मुंह से हल्की सी बदबू आएगी, लेकिन रोजेदार के मुंह की बदबू जीवन में खुशबू लाती है। कयामत के दिन जब कब्र से उठेंगे तो कब्र से खुशबू आएगी। इस माह में सबके साथ अच्छा बर्ताव करें। चाहे वह अमीर हो या गरीब, अपना हो या पराया, छोटा हो या बड़ा। किसी के साथ गलत व्यवहार न करें। लोगों की मदद करें। किसी की आलोचना न करें। किसी के लिए मन में खराब सोच न आने दें। दान करें, ताकि दूसरों के चेहरे पर मुस्कान आ सके। उनके दिल से दुआएं निकलेंगी। इसका सबाब मिलता है। जब कयामत के दिन अल्लाह के सामने पेशी होगी, हिसाब-किताब होगा तो उसमें रोजेदारों को माफ कर दिया जाएगा। इस माह मन में अगर बुरे विचार आएं तो उसे संयम के माध्यम से नेकी में बदलें.