नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में एक बड़ा खुलासा किया है| रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि यूपीए-2 सरकार के पांच वर्षों की तुलना में वर्तमान मोदी सरकार की 4 साल में लगभग 55000 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि का बैंक लोन फ्रॉड हुआ है|
आरटीआई एक्टिविस्ट और अर्थशास्त्री प्रसेनजीत बोस ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इंडिया से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत यह जानकारी मांगी थी कि यूपीए-2 की तुलना में मोदी सरकार के 4 सालों के कार्यकाल में बैंक लोन फ्रॉड के कितने केस सामने आए और कितनी राशि का फ्रॉड हुआ| जवाब में आरती आरबीआई ने बताया कि विभिन्न बैंकों से फ्रॉड के देश भर में अप्रैल 2014 से 2018 तक 9193 के सामने आए हैं| इन मामलों में कुल 77521 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया गया है जबकि यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल में यह राशि 22441 करोड़ रुपए थी| बैंकों में हुए इंपोर्ट पर सवालिया निशान खड़े करते हुए प्रसनजीत बोस ने कहा कि जांच एजेंसियां कहां हैं और क्या कर रही हैं? बैंकों का पैसा लूटने वाले कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है? उन्होंने कहा कि देश के पैसे की हुई इस लूट के लिए वित्त मंत्री जिम्मेदार हैं| उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेते हुए उचित कदम उठाने चाहिए|