पंजाब

जिस टिवाना ने बनवाई मॉडल टाउन में अवैध इमारतें उसी को बनाया जांच अधिकारी, लखबीर सिंह और दिनेश जोशी पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा आठ अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने का ऐलान करने के बाद जो सस्पेंशन आर्डर जारी किए गए हैं उसमें भी हेराफेरी की गई है| जिन अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण कराए गए उन अधिकारियों को छोड़ दिया गया और उनके खिलाफ ना तो सस्पेंशन की कार्यवाही की गई और ना ही उन्हें चार्जशीट किया गया| हद तो तब हो गई जब मॉडल टाउन में अवैध बिल्डिंगों को संरक्षण देकर उनका निर्माण करवाने वाले बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाणा को ही जांच टीम का सदस्य बना दिया गया| इतना ही नहीं रुपेंद्र सिंह टिवाना की रिपोर्ट पर ही मॉडल टाउन इलाके में डेढ़ महीना पहले तैनात किए गए बिल्डिंग इंस्पेक्टर अरुण कुमार को सस्पेंड कर दिया गया| ऐसे में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की कथनी और करनी का फर्क साफ देखा जा सकता है| प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जिन 8 अधिकारियों को सस्पेंड करने की बात नवजोत सिंह सिद्धू ने कही थी उनमें बिल्डिंग इंस्पेक्टर अजीत शर्मा, पूजा मान और बिल्डिंग इंस्पेक्टर नीरज शर्मा का नाम भी शामिल था| लेकिन जब सस्पेंशन के आदेश आए तो उन आदेशों में इन दोनों का नाम गायब था| बदले में बिल्डिंग इंस्पेक्टर वरिंदर कौर और बिल्डिंग इंस्पेक्टर अरुण कुमार का नाम जोड़ दिया गया| बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों समेत कुल 9 अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है जिनमें एक फायर अफसर भी शामिल हैं| सस्पेंशन के आदेश जारी होने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू की कार्यवाही पर भी सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं|
जिस होटल डब्ल्यू जे ग्रैंड के अवैध निर्माण के लिए बिल्डिंग इंस्पेक्टर अरुण कुमार को सस्पेंड किया गया है वह होटल डब्ल्यू जे ग्रैंड बिल्डिंग इंस्पेक्टर दिनेश जोशी के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था| टीचर से बात किया है कि जांच अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट में इसका जिक्र तक नहीं किया है कि यह अवैध निर्माण बिल्डिंग इंस्पेक्टर दिनेश जोशी के कार्यकाल में हुआ था| इस होटल के निर्माण को एक पूर्व भाजपा विधायक का संरक्षण प्राप्त था जिस कारण उस दौरान कोई भी निगम अधिकारी इसके खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया|
सिद्धू की कार्रवाई पर दूसरा सबसे बड़ा सवाल जो उठता है वह यह कि असिस्टेंट टाउन प्लानर लखबीर सिंह और बिल्डिंग इंस्पेक्टर दिनेश जोशी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इंडिया टाइम 24 की खबर के बाद मॉडल टाउन में अवैध निर्माण करवाने वाली वरिंदर कौर के खिलाफ हो कार्रवाई कर दी गई लेकिन जिन अवैध निर्माणों को खुद नवजोत सिंह सिद्धू ने खड़े होकर तुड़वाया था उन अवैध निर्माणों को करवाने वाले बिल्डिंग इंस्पेक्टर दिनेश जोशी और एटीपी लखबीर सिंह के खिलाफ कोई कार्यवाही आखिर क्यों नहीं की गई? बस स्टैंड के पास दो मंजिला अवैध मार्केट को नवजोत सिंह सिद्धू ने तुड़वाया था| यह इलाका एटीपी लखबीर सिंह के अंडर में आता है और बिल्डिंग इंस्पेक्टर दिनेश जोशी हैं| इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू ने विरासत हवेलीे को भी सील करवाया था|
यह इलाका भी बिल्डिंग इंस्पेक्टर दिनेश जोशी और एटीपी लखबीर सिंह के कार्यक्षेत्र में आता है| ऐसे में इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने ऐसा करना मुनासिब नहीं समझा| इसका एक पहलू यह भी हो सकता है कि सिद्धू के पास सही रिपोर्ट नहीं भेजी गई हो|
सूत्र बताते हैं कि बिल्डिंग इंस्पेक्टर रुपेंद्र सिंह टिवाना को कांग्रेस विधायक परगट सिंह का पूर्ण समर्थन प्राप्त है जिस कारण रुपेंद्र सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई| सूत्र यह भी बताते हैं कि रुपेंद्र सिंह टिवाणा मूल रूप से पटियाला की रहने वाले हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह के कुछ करीबियों के जानकार भी हैं, इसके चलते भी टिवाणा को संरक्षण और अभय दान प्रदान किया गया है| वहीं, सूत्र यह भी बताते हैं कि एटीपी लखबीर सिंह और बिल्डिंग इंस्पेक्टर दिनेश जोशी को बचाने में जॉइंट कमिश्नर शिखा भगत ने अहम भूमिका निभाई है| सूत्र बताते हैं किसी का भगत की ओर से सस्पेंशन के लिए भेजी गई रिपोर्ट में भी काफी हेराफेरी की गई है|
वहीं, सूत्र यह भी बताते हैं कि बिल्डिंग इंस्पेक्टर अजित शर्मा को बचाने में नियर जगदीश राज राजा और विधायक सुशील कुमार रिंकू ने अहम भूमिका निभाई है| सुशील कुमार रिंकू के विरोध में यह स्पष्ट कर दिया था कि अजीत शर्मा राजनीतिक दबाव के चलते अवैध निर्माण और अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर पाए थे| इसका फायदा उन्हें मिला और उन्हें सस्पेंशन की मार नहीं झेलनी पड़ी लेकिन सिद्धू ने उन्हें सस्पेंड करने का जो मौखिक आदेश दिया था उससे अजीत शर्मा और उनके परिजनों को समाज में काफी मानहानि झेलनी पड़ी है| नवजोत सिंह सिद्धू को यह बताना चाहिए कि इस मानहानि का जिम्मेदार आखिर कौन है? अगर अजीत शर्मा गुनहगार नहीं थे तो उन्हें मंत्री जी ने प्रेस के सामने गुनहगार क्यों बताया? क्या नवजोत सिंह सिद्धू अपनी इस गलती के लिए अजीत शर्मा और उसके परिवार से माफी मांगेंगे?
वहीं, पूजा मान को भी बेवजह बदनाम किया गया| पूजा मान निर्दोष हैं तो नवजोत सिंह सिद्धू उनके भी गुनहगार हैं| इतना ही नहीं अगर नीरज शर्मा भी निर्दोष थे तो फिर सिद्धू ने उन्हें भी बदनाम करने की गलती क्यों की? क्या मंत्री बनने के बाद सिद्धू को यह अधिकार है कि वह किसी को भी सार्वजनिक तौर पर प्रेस के सामने बदनाम करें| सिद्धू इन तीनों बिल्डिंग इंस्पेक्टरों के गुनहगार हैं जिनको उन्होंने खुलेआम भ्रष्टाचार का दोषी करार देते हुए सस्पेंड करने का ऐलान कर दिया था| सिद्धू को इन सभी बिल्डिंग इंस्पेक्टरों से सार्वजनिक तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके माफ़ी मांगनी चाहिए| नवजोत सिंह सिद्धू को यह समझना चाहिए कि वह एक संवैधानिक और गरिमापूर्ण पद पर विराजमान हैं और इस की गरिमा बनाए रखना उनका कर्तव्य है| मंत्री जैसे अहम पद पर बैठकर जोर से नहीं हो से काम लेना चाहिए यह बात शायद नवजोत सिंह सिद्धू नहीं समझ पाए और उन्होंने बिल्डिंग इंस्पेक्टरों की फजीहत कर डाली|

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