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जल्द होगी सफाई कर्मचारियों की भर्ती, सीवर की सफाई के लिए विशेष उपकरणों पर विचार, आर्थिक दशा सुधारेंगे : हंस

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के वाइस चेयरमैन का पद संभालते ही सिंगर से राजनेता बने हंसराज हंस ने सफाई कर्मचारियों और सीवरमैनों की मुश्किलों पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है|
इंडिया टाइम 24 के साथ खास मुलाकात में हंसराज ने बताया कि देशभर में सफाई कर्मचारियों की बदहाल स्थिति को देखते हुए ही उन्होंने इस पद की चुनौतियों को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि जब सभी मां बाप अपने बच्चों को तैयार करके स्कूल छोड़ने जाते हैं तो उस समय सफाई कर्मचारी और सीवरमैन या तो सड़कों पर सफाई कर रहे होते हैं या फिर गटर में सीवर की सफाई करते हैं| उनके इस बलिदान के बदले उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हो पा रहा है| गरीबी के चलते उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में शिक्षा पाने से वंचित हो जाते हैं और उन्हें इतना हासिल नहीं हो पाता कि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके| ऐसे में मेरी प्राथमिकता यह होगी कि सबसे पहले सफाई कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जाए। उनके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जाए।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सफाई की समस्या बहुत बड़ी है लेकिन सफाई कर्मचारियों की संख्या उसके अनुरूप नहीं है| इसके चलते सफाई कर्मियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है| अतः यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जल्द से जल्द सफाई कर्मचारियों की भर्ती हो और पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मचारी उपलब्ध हो|


सीवरमैनों की समस्याओं पर गंभीरता और चिंता जताते हुए हंसराज हंस ने कहा कि ये लोग जान जोखिम में डालकर गटर की सफाई करते हैं| कुछ ऐसे भी हैं जो मजबूरन शराब पीकर गटर में उतरने को मजबूर हो जाते हैं। कई लोग हादसों का शिकार भी हो चुके हैं| लेकिन उनके परिजनों के खाते में कुछ नहीं आता| अतः उनके आर्थिक स्तर को किस तरह से अपलिफ्ट किया जाए इस पर विचार किया जा रहा है| साथ ही यह भी विचार किया जा रहा है कि उन्हें गटर में ना उतरना पड़े और उनके लिए खास तरह के उपकरण खरीदे जाएं।

हंस ने कहा कि अभी मुझे पद संंभाले कुछ समय ही हुआ है| धीरे-धीरे उनकी और समस्याओं को समझा जाएगा और उन्हें दूर करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे|

बता दें कि कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हंसराज हंस को आयोग का पहला वाइस चेयरमैन बनाया गया है. इससे पहले सफाई कर्मचारी आयोग में वाइस चेयरमैन का पद ही नहीं था. अत: हंस का नाम पहले वाइस चेयरमैन के तौर पर इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है.

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