पंजाब

नगर निगम अंधेर नगरी, चौपट ‘राजा’, ट्यूबवेल पर हाईकोर्ट में रिट डालेंगे चड्ढा

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
न कानून का डर और न जनता की परवाह| कागजों में बनती सरकारी योजनाएं और सड़कों पर दम तोड़ता विकास| यह तस्वीर जालंधर नगर निगम की है| यहां जिसे जो मन आता है वह वही काम करता है| सरकारी मुलाजिमों को सैलरी देने के लिए निगम का खजाना खाली है| रेवेन्यू जेनरेट करने की कोई कारगर योजना नगर निगम अमल में नहीं ला सका है| विपक्ष में बैठकर हल्ला बोलने वाले जनप्रतिनिधि आज खामोश हैं| सीनियर डिप्टी मेयर अपने वार्ड के अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों पर ही कार्रवाई करवाने में नाकाम साबित हो रही हैं तो बाकी शहर का क्या होगा इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है| मामला सिर्फ अवैध कॉलोनियों और अवैध बिल्डिंगों का ही नहीं है बल्कि वाटर सप्लाई और सीवरेज के मामले में भी अंधेरगर्दी मची हुई है| शहर का कचरा कचरा हो चुका है और व्यवस्था कूड़े में पड़ी नजर आ रही है| नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइडलाइंस और नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं| सूत्रों की मानें तो यह सारा खेल सिर्फ अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए खेला जा रहा है| खेला भी क्यों ना जाए पुराना एहसान तो उतारना ही है| जिनकी बदौलत सत्ता में आए अब उन्हें इंकार कैसे कर सकते हैं| पैसा तो जनता का बर्बाद होगा अपनी जेब से क्या जाता है|


ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जनता की मुसीबतें कोई मायने नहीं रखतीं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने क्या जो गाइडलाइंस बनाई थी वह अपने लिए बनाई थी या अपने किसी चहेते को फायदा दिलाने के लिए बनाई थी? अगर ऐसा नहीं है तो फिर उसके निर्देशों का पालन मेयर जगदीश राज राजा और निगम कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा क्यों नहीं कर रहे? क्या वह नहीं जानते कि एक जिले को डार्क जोन में डालने का मतलब क्या होता है? फिर वह जानबूझकर जनता से खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं? क्या वह नहीं जानते हैं कि शहर के कुछ ट्यूबवेल क्यों बंद करने पड़े हैं? उन ट्यूबवेलों से जनता को पानी क्यों नहीं उपलब्ध हो पा रहा है? बजाए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने के वह भविष्य को तबाह करने में क्यों लगे हुए हैं? इन सभी मसलों को लेकर और एनजीटी के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने वाली एफएंडसीसी पर एफआईआर कराने की मांग को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदरपाल सिंह चड्ढा माननीय हाईकोर्ट में रिट डालने जा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो यह सब मेयर जगदीश राज राजा निजी स्वार्थ के चलते कर रहे हैं| सूत्र यह भी बताते हैं कि जिन नेताओं और ठेकेदारों की मदद से जगदीश राजा मेयर बन पाए हैं अब उनका कर्ज उतारने में लगे हुए हैं| यही वजह है कि खुलेआम नियमों और कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं| नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बिल्डिंग विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आधी से ज्यादा अवैध बिल्डिंगों पर कार्यवाही ना करने की सिफारिश खुद मेयर जगदीश राज राजा ने की है। ऐसे में अगर हम उनके खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो राजा हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं|
ओएंडएम सेल के एक अधिकारी ने बताया कि एक विधायक का करीबी ट्यूबवेल के टेंडर हासिल करने की जुगत में लगा हुआ है| राजा भी उसे ही टेंडर दिलवाना चाहते हैं| यही वजह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों को भी दरकिनार कर दिया गया और एफएंडसीसी में ट्यूबवेल के प्रस्ताव पास कर दिए गए| इसी तरह पहले नाइट सेंटरों का काम भी गौरव नाम के ठेकेदार से लेकर एक विधायक के करीबी को दे दिया गया| एफएंडसीसी की बैठक में जहां डार्क जोन होने के बावजूद नए ट्यूबवेल लगाने के मामले पर गंभीरता पूर्वक विचार विमर्श होना चाहिए था वहां अाउटसोर्स पर रखे गए ड्राइवरों का मुद्दा ध्यान भटकाने के लिए उठा दिया गया। कहीं इसके पीछे भी एक वजह यह तो नहीं कि यह ठेका भी अपने चहेतों को दिया जाना है| अगर मशीनरी से अधिक ड्राइवरों की संख्या है तो फिर नगर निगम की वर्कशॉप में डेढ़ सौ वाहन धूल क्यों फांक रहे हैं। अगर मशीनरी की कमी है तो फिर हर सिमरनजीत सिंह बंटी ने बैंक कॉलोनी के युवा समाज सेवक बिन्नी सेठी को यह कहकर क्यों डाल दिया कि वह खाली प्लॉट का कूड़ा इसलिए नहीं उठा सकते क्योंकि उनके पास गाड़ियां नहीं है जबकि डेढ़ सौ वाहन वर्कशॉप पर धूल फांक रहे हैं और ड्राइवरों की कोई कमी नहीं है|
बहर हाल नगर निगम अंधेर नगरी बन चुका है और राजा ही उसे चौपट करने में लगे हुए हैं|

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