दिल्ली

सेहक ने हाइपोथायरोइडिज्म पर सीएमई सेमिनार का आयोजन किया

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली

द सोसाइटी फॉर एंडोक्राइन हेल्थ केयर ऑफ एलडर्ली अडोलसेन्ट्स एंड चिल्ड्रेन (एसईएचईएसी या सेहक) ने अंतःस्रावी बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुकूल एक सीएमई (कांटीनुअस मेडिकल एजुकेशन) सेमिनार का आयोजन किया। यह सेमिनार आज पार्क होटल, नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

सेमिनार निम्नलिखित विषयों पर केंद्रित था – वयस्कों में प्रत्यक्ष हाइपोथायरोईडिज्म का प्रबंध; सब-क्लिनिकल हाइपोथायरोईडिज्म के मरीजों के प्रति रुख; हाइपोथायरोईडिज्म का कार्डियोवस्कुलर, रीप्रोडक्टिव, स्केलेटल, सइकियैट्रिक और कॉगनिटिव विस्तार; गर्भावस्था और प्रसव के बाद हाइपोथायरोईडिज्म का मूल्यांकन तथा उपचार और नवजात शिशु की स्क्रीनिंग के साथ शिशुओं और बच्चों में हाइपोथायरोईडिज्म का प्रबंध।

सेमिनार में प्रतिष्ठा वाले अस्पतालों तथा संस्थाओं के जाने-माने एंडोक्रिनोलॉजिस्ट्स जैसे डॉ. तरुण शेखरी (निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेंज – आईएनएमएएस या इनमास), प्रोफेसर राजेश खड्गावत (एम्स, नई दिल्ली), डॉ. एसके वांगनू (अपोलो हॉस्पीटल्स, नई दिल्ली), प्रो राजेश राजपूत (रोहतक मेडिकल कॉलेज) और प्रो. अशर्फ गैनी (एसकेआईएमएस, श्रीनगर) ने ऊपर बताए विषयों पर अपनी प्रस्तुति रखी। यह सत्र कोई तीन घंटे चला और इसमें 150 चिकित्सकों, स्त्रीरोग विशेषज्ञों और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट मौजूद थे। इस सत्र का संचालन सेहक के प्रेसिडेंट और जाने-माने एंडोक्रिनोलॉजिस्ट मेजर जनरल आरके मारवाह ने किया। आपने थायरॉयडोलॉजी के क्षेत्र में काम किया है और एम्स तथा इनमास दोनों से जुड़े रहे हैं।

सेहक के बारे में : द सोसाइटी फॉर एंडोक्राइन हेल्थ केयर ऑफ एलडर्ली अडोलसेन्ट्स एंड चिल्ड्रेन (एसईएचईएसी या सेहक) की स्थापना 2015 में हुई थी ताकि एंडोक्राइन गड़बड़ियों के क्षेत्र में अनुसंधान करने के साथ इसे बढ़ावा दिया जा सके। इसमें थायरॉयड, मोटापा और ग्रोथ व बोन मिनरल मेटाबोलिक डिसऑर्डर शामिल है। संस्थान का लक्ष्य एक ‘एंडोक्राइन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना है। इसका उद्देश्य लोकोपकारी डिसपेंसरी के जरिए चिकित्सा इकाइयों की शुरुआत और उनका रख-रखाव, गरीबों और जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराना तथा बुजुर्गों और बच्चों के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन करना शामिल है। इससे इन बीमारियों का शुरू में ही पता चल सकेगा और समय रहते इलाज संभव होगा।

गुजरे तीन वर्षों में सेहक ने भारत में पांच प्रमुख अनुसंधान परियोजनाएं पूरी की हैं और इसका अनुसंधान विश्लेषण प्रतिष्ठा वाले अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित होने वाला है।

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