दिल्ली

सिद्धी ने केरल में ग्रीन क्रिसमस मनाया  

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नई दिल्ली : मन, मस्तिष्क और आत्मा को शुद्ध करने का सबसे अच्छा तरीका है निस्वार्थ सेवा करना सिद्धी एक एक आध्यात्मिक गैर सरकारी संगठन हैजो पिछले कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षणऔर उसे दुरुस्त करने के लिए काम कर रहा है। सिद्धी समाज में बदलाव लाने के लिए
समर्पितहै।इसके लिए यह भारत में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भिन्न उद्देश्यों औरपरियोजनाओं के लिए काम करता है।सिद्धी की परियोजनाओं में पर्यावरण की देखभाल, सबके लिए शिक्षा, महिला उद्यमिता, पिछड़ा वर्ग और विशेष या दिव्यांग बच्चे शामिल हैं।मानवता की शक्ति से चलने वाले सिद्धीने ईश्वर के अपने देश केरल केकोच्चि और कोझीकोड में ग्रीन क्रिसमस मनाने का निर्णय किया है।इसे उद्यमियों के समूह अनंत के साथ मिलकर लागू किया जाएगा।यह युवा उद्यमियों और उभरते लीडर्स का समूह है जिसे क्यूनेट आईआर का समर्थन है जो मानते हैं कि हरेक लीडर को यह जानना चाहिएकि समाज का निस्वार्थ सेवक कैसे बना जाए।

इस प्रदेश का चुनाव करने का मकसद इस साल बाढ़ से बर्बादी के बादयहां कुछ खुशी लानाथा।क्रिसमस की सच्ची भावना देने और साझा करने की है।

सिद्धी की संस्थापक, डॉ. मीना महाजन आध्यात्मिक जीवन की एक च हैं और दुनिया भर के युवाओं को उनके अंदर की शक्ति का अहसासकराने के लिए काम कर रही हैं ताकि वे एक सशक्त लीडर बन सकें।सिद्धी ने केरल में दयासाधना स्पेशल स्कूल और आशियाना स्पेशल स्कूल के बच्चों के साथ क्रिसमस मनाया।150 स्वयंसेवकों के समर्थन से इन विशेषप्रतिभाओं की चौंकाने वाली योग्यता को देखना सबसे अच्छा अनुभव था।

हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण जागरूकता फैलाने के मिशन पर हैंइसलिए हम लोगों ने विशेष बच्चों के साथ मिलकर पौधे लगाए और यह सब करते हुए नाच,गाना मनोरंजन भी हुआ। उसमें गेम्स और उपहार शामिल रहे।

इस मौके पर हमलोगों ने लैपटॉप, सिलाई मशीन, प्रिंटर, टेबल कंप्यूटरआदि बांटे।अतिथियों में पंचायत अध्यक्ष, रॉटरी क्लब रॉयल त्रिवेन्द्रम के सचिव डॉ. जे मोजेज, फादर जोसेफ और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रेणीजन शामिल हैं।
अतिथियों ने कहा कि वे इस आयु में स्वयंसेवकों का समर्पण और उत्साह देखकर बेहद खुश हैं।सिद्धि एक गैर सरकार संगठन है जो उन समूहों को मान्यता देता है और उनके साथ साझेदारी करता है जो सही अर्थों में जीवन के सच्चे उद्देश्यों से कनेक्ट करते हैं और निस्वार्थ सेवा की महत्ता समझते हैं।कोच्चि और कोझीकोड में दो दिन के आकर्षक हरित क्रिसमस से स्वयंसेवकों को यह मौका मिल रहा है कि वे लोगों की सेवा करें और क्रिसमस का सही मतलब समझें।

अगर भारत विश्व गुरू होने का अपना दर्जा कायम रखना चाहता है तोहम चाहते हैं कि युवा पीढ़ी अपने आप से आगे बढ़े और देखे कि वे दूसरों के लिए क्या कुछ कर सकते हैं।

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