राजेंद्र भंडारी, टनकपुर
आज मकरसंक्रांति की रात्तरी लगेगा रात्तरी जागरण /जागर शिव की शक्तिपीठ यह स्थान हिमालय की शिवालिक पर्वतमालाओं में चम्पावत जिले की सीमा में स्तापित है जहाँ पर एक मात्र पैदल यात्रा ही विकल्प है जिसके लिए या तो नंधौर पार्क से सेना पानी के रास्ते जंगलों के बीच से 12 किमी की कुछ सरल यात्रा या फिर कठोल के रास्ते लगभग4 किमी की खड़ी चढ़ाई के बाद पहुंचा जा सकता है.
लोगों की मनोकामना पूर्ण करने के लिए यह प्रसिद्ध है संतान सुख की कामना को लेकर निसंतान महिलाओं को हाथों में दीपक लेकर पर्व त्योहार पर मंदिर परिसर में रात्रि जागरण करते देखा जा सकता है इसके अलावा मान्यता यह भी है कि वनबास के आखिरी वर्ष अग्यातवास में पांडवों ने यहां छुप कर समय बिताया था. जिसका प्रमाण उनका गांडीव अभी भी बिसाल मंदिर प्रांगण में पीपल के पेड़ के निचे है जिसे कोई उठाना तो दूर हिला भी नही सकता इसी कारण आज भी मंदिर में लोहे के धनुष ओर वाण चढ़ाये जाते है साथ ही द्रोपदी के झलने का झूला अभी भी मंदिर के निचे मैदान में है जहाँ पर की मेला लगता हैं मंदिर के पुजारी तलियाबांज के गर्ग गोत्र के जोशी ब्राह्मण के परिवार है.