झारखण्ड

सुभाषचंद्र बोस की 122 वीं जयंती पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सराबोर हुई विद्युत नगरी

Share now

रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल
विद्युत नगरी बोकारो थर्मल में सुभाषचंद्र बोस की 122 वीं जयंती झारखंड बंगाली एसोसिएशन के तत्वावधान में स्थानीय सुभाषचंद्र बोस पार्क में धूमधाम से मनायी गयी। सुभाषचंद्र बोस की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया। जयंति समारोह का उदघाटन मुख्य अतिथि डीवीसी के परियोजना प्रधान कमलेश कुमार, जिप सदस्य भरत यादव, डीजीएम पीके सिंह, बीके मंडल, मुखिया श्याम बिहारी सिंह व श्रवण सिंह ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्जवलित कर किया।

समारोह में बंगाली परिवारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रर्मों की प्रस्तुति से विधुत नगरी सरोवर हो गया। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा‘ और ‘बढ़ाता है देश की ताकत‘ नारों से गुंज उठा। समारोह को संबोधित करते हुए परियोजना प्रधान कमलेश कुमार ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस देश के ऐसे महानायकों में से एक हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

उनके संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारण ही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था। ‘तुम मुझे खून दो…., मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है’, ‘सफलता, हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है’, ‘जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं’, ‘हमारा सफर कितना ही भयानक, कष्टदायी और बदतर हो, लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना ही है’।

‘सफलता का दिन दूर हो सकता हैं, लेकिन उसका आना अनिवार्य ही है’। ये कथन भले ही आजादी के पहले के हों लेकिन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना देश के लिए खुद सुभाष चंद्र बोस। जिप सदस्य भरत यादव ने कहा कि आज महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है। पूरा देश उनके व्यक्तित्व, प्रतिभा और देश की आजादी में दिए गए उनके योगदान को जान रहा है, समझ रहें है और उनको अपना आदर्श मानकर खुद को वैसा बनाने का संकल्प लें रहा है। उनकी मौत भले ही आज रहस्य हो, लेकिन उनका जीवन बलिदान, समर्पण और बहादुरी की मिसाल है। आज के युवा को इसी तरह के व्यक्तित्व की जरूरत है। नेताजी ने अपनी शिक्षा, अपनी योग्यता खुद के लिए या परिवारजनों के लिए समर्पित नहीं किया बल्कि उन्होंने अपनी पूरी प्रतिभा देश के लिए समर्पित कर दिया। डीजीएम पीके सिंह ने कहा कि आज का युवा नौकरी के लिए भटकता है, नौकरी के लिए सरकार का मुंह ताकता है लेकिन नेताजी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने नौकरी को अपने आत्मबल, योग्यता और मेहनत से छीना और उसे त्याग दिया। यही भाव आज के युवा में भी होना चाहिए। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, के नारे से देश के युवाओं के खून में उबाल लाने वाले नेता जी सुभाष चंद्र बोस को शत-शत नमन, जन्मदिन की बधाई दी। समारोह में मुख्य रूप से बेरमो अनुमंडल के बंगाली समुदाय के उतम दत्ता, विकास विश्वास, कृष्णा दत्ता, अरचित दत्ता, फरहा नाग, सराबोनी चटर्जी, रतना समादार, पीजी सेन, बैजनाथ गुहा, उत्पल समादार, तपन बनर्जी, रंजीत मंडल, सपन राय, चंदन विश्वास, समृद्व पाॅल, मौसमी पाॅल, सत्या दास, सर्मिष्ठा कुडू, मानतू वर्मन, कार्तिक घोष, बीडी मिश्रा सहित सैकडों महिला-पुरूष उपस्थित थे।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *