राजस्थान

करौली धौलपुर लोकसभा सीट : क्या बत्ती लाल बेरवा पर दांव खेलेगी कांग्रेस?

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राजस्थान से लौटकर नीरज सिसौदिया की विशेष रिपोर्ट
नई दिल्ली। राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है| भारतीय जनता पार्टी के मास्टर स्ट्रोक खेलने के बाद कांग्रेस के पुराने चेहरों से उम्मीद टूटी जा रही है| पिछले दिनों पाकिस्तान और भारत के बीच जो कुछ भी हुआ उसकी छाप राजस्थान के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगी| निश्चित तौर पर यहां भाजपा प्रभावी नजर आ रही है, विशेषकर अभिनंदन के भारत वापसी के बाद मोदी लहर एक बार फिर से तेज होने लगी है। ऐसे में नए चेहरे ही कांग्रेस में जान डाल सकते हैं|

सबसे पहले बात करते हैं करौली धौलपुर लोकसभा सीट की| यहां वैसे तो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के मनोज राजोरिया सांसद हैं लेकिन भगवा ब्रिगेड इस बार मनोज की जगह मदन दिलावर पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है| अगर ऐसा हुआ तो यहां पर मुकाबला दिलचस्प हो सकता है| मनोज राजोरिया अगर मैदान में आते हैं तो कांग्रेस के लिए यह सीट उस सूरत में आसान हो सकती है जब यहां से बैरवा उम्मीदवार उतारा जाएगा। यही वजह है कि भाजपा इस बार मनोज को दरकिनार कर मदन पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है| टिकट के लिए घमासान कांग्रेस ने भी मचा हुआ है लेकिन कांग्रेस के पास नए चेहरे के रूप में दो -3 युवा उम्मीदवार हैं। इनमें से एक पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार से मुंह की खा चुके हैं| वहीं दूसरा सशक्त उम्मीदवार विधायक बन चुका है|

लखीराम बैरवा

अगर कांग्रेस यहां से हारे हुए उम्मीदवार लखीराम बैरवा को उतारती है तो यह सीट निश्चित तौर पर भाजपा के खाते में जाएगी| इसके दो अहम कारण हैं| पहला यह कि पार्टी कार्यकर्ताओं में उनका काफी विरोध बताया जा रहा है और दूसरा यह कि आम जनता में भी उनकी छवि बहुत अच्छी नहीं रही है अर्थात वह कोई बड़ा चेहरा नहीं है| साथ ही पिछला चुुुुनाव हारने के बाद वह सियासी तस्वीर से ही गायब हो गए. ऐसे में जनता के बीच उनकी छवि मौका परस्त नेता वाली बन गई. अब इन हालातों में पार्टी उन्हें मैदान में उतारती है तो उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा. ऐसे में दो बार जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष रहे डॉक्टर बत्ती लाल बैरवा कांग्रेस के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं| वह जेएनयू के अध्यक्ष बनने वाले पहले दलित हैं. जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष होने के साथ ही वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं में अच्छी पैठ भी रखते हैं। शहाबुद्दीन कांड के दौरान दिल्ली में बिहार भवन पर धावा बोलने वाले और लालू प्रसाद यादव को नाकों तले चने चबवाने वाले करौली धौलपुर लोकसभा सीट के वह एकमात्र नेता हैं। इसके साथ ही हाईली एजुकेटेड होने और दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के चलते इस क्षेत्र को उनकी काबिलियत का पूरा फायदा भी मिल पाएगा| विपक्ष में डॉक्टर बत्ती लाल के समान पढ़ा लिखा और चर्चित लीडर का अभाव है| ऐसे में डॉक्टर बत्ती लाल बेरवा की उपलब्धियों को कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में भुना सकती है। हालांकि, खिलाड़ी लाल बेरवा भी कांग्रेस के लिए बेहतर विकल्प हो सकते थे लेकिन विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो यह पार्टी के लिए आत्मघाती साबित होगा|

खिलाड़ी लाल बैरवा

अगर उन्हें या उनके किसी भी रिश्तेदार को चुनावी मैदान में उतारा जाता है तो कांग्रेस में बगावत बड़े पैमाने पर तय है| वहीं दूसरी तरफ जाटव बिरादरी से भी संजय जाटव और कुछ अन्य दावेदारी जता रहे हैं| हालांकि, संजय जाटव सरीखे जाटव नेताओं का कोई खास वजूद और उपलब्धि नहीं है| वहीं भरतपुर की सीट अगर जाटव के खाते में जाती है तो करौली धौलपुर से बैरवा उम्मीदवार को उतारना जरूरी होगा| अगर पार्टी ऐसा नहीं करती है तो प्रदेश के जयपुर, अजमेर समेत लगभग 16-17  जिलों में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा जहां बैरवा समुदाय बहुलता में है| राजस्थान में कुल 4 सीटें ही आरक्षित हैं। इनमें भरतपुर, करौली धौलपुर बीकानेर व एक अन्य सीट एससी के लिए आरक्षित है| करौली धौलपुर और भरतपुर को छोड़कर अन्य दोनों आरक्षित लोकसभा सीटों पर मेघवाल समुदाय का वर्चस्व है| वहां मेघवाल को टिकट देना कांग्रेस की मजबूरी है| ऐसे में अगर कांग्रेस को करौली धौलपुर सीट भाजपा से छीननी है तो उसे बैरवा उम्मीदवार ही मैदान में उतरना होगा| इसमें भी कांग्रेस को नया चेहरा उतारना होगा वरना उसे यह सीट गवानी पड़ेगी| यही वजह है कि डॉक्टर बत्ती लाल बेरवा की दावेदारी इस बार मजबूत नजर आ रही है| क्योंकि बैरवा उम्मीदवार के रूप में करौली धौलपुर लोकसभा सीट में एकमात्र निर्विवाद और राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच बनाने वाले पढ़े-लिखे व जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष जैसी योग्यता रखने वाले प्रदेश कांग्रेस सचिव बत्ती लाल बेरवा ही हैं| वहीं भारतीय जनता पार्टी के पास ऐसा कोई भी चेहरा फिलहाल नजर नहीं आ रहा जो बैरवा समुदाय के इस नेता को मात दे सके| हालांकि कांग्रेस की टिकट का बंटवारा विधायकों की सहमति के बिना नहीं होगा| इस संबंध में जब करौली धौलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत प्रति 8 विधानसभा सीटों विधायकों से बात की गई तो कोई भी प्रत्याशी के मुद्दे पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं हुआ| हालांकि चार से पांच विधायकों ने नाम न छापने की शर्त पर डॉक्टर बत्ती लाल बेरवा को समर्थन देने की बात कही| साथ ही इन विधायकों ने उन्हें एक मजबूत और पढ़ा लिखा जनप्रतिनिधि भी करार दिया| इन विधायकों का कहना था कि बत्ती लाल बैरवा इस टिकट के लिए पूरी तरह से योग्य हैं. हालांकि अंतिम निर्णय हाईकमान को ही लेना है और वह हाईकमान के निर्णय का पूरी तरह से सम्मान करेंगे| पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी उसे जीत की मंजिल तक पहुंचाया जाएगा| हालांकि रोहित बोरा संजय जाटव का समर्थन करते नजर आए| बहरहाल पार्टी उम्मीदवार किसे बनाएगी यह देखना दिलचस्प होगा|

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