फैजाबाद : कौन कहता है आसमान में सुराख नही हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है अमन श्रीवास्तव उर्फ भानु श्री ने, जिन्होंने अवधी और भोजपुरी भाषा के गीतों का कॉकटेल तैयार किया है। हाल ही में आये इनके दो गीत मार्केट में धूम मचा रहे हैं।रामनगरी अयोध्या से महज 40 किलोमीटर दूर रुदौली विधानसभा के छोटे से गांव बिडहार के रहने वाले भानु की लाइफ में ढेरों परेशानियां आईं पर उन्होंने उसका सामना किया। नतीजा सबके सामने है कि 27 वर्ष की उम्र में ही भानु को अब जगह जगह से डायरेक्टर के फ़ोन आने लगे हैं।
भानु बताते हैं कि वह बचपन से ही गाने के शौकीन हैं। गांव में जब शाम को लड़को की टोलियां टहलने निकलती तो उस दौरान वह भोजपुरी गानों को गुनगुनाया करते थे। दोस्त हमेशा कहते एक बार कोशिस क्यो नही करते। तब भी मैंने ध्यान नही दिया। अचानक एक म्यूजिक डायरेक्टर से मुलाक़ात हुई और उन्होंने मुझे अपने साथ काम करने का आफर दे दिया।
खुद ही लिखते हैं गाना
सेड सांग बाबू किस्मत में था ही नही और भक्ति गाना भोले की निकली टोली धूम मचा रहे हैं। यह दोनों गाना इन्होंने खुद ही लिखा है। भानु की इस सफलता से उनकी माँ उर्मिला श्रीवास्तव और पिता दया शंकर श्रीवास्तव फूले नही समझ रहे। पिता का कहना है कि बेटे ने परिवार का ही नही बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है। जेल विभाग से रिटायर हो चुके दया शंकर का मानना है कि मुझे मेरे बेटे पर गर्व है और पूरा यकीन है कि एक दिन यह भोजवुड में बुलंदी के झंडे गड़ेगा।
भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह को अपना गुरु मानने वाले भानु की जिंदगी हमेशा ही रंगमंच के उस कलाकार की तरह रही है जो पल भर में लोगों को हसने पर मजबूर कर देता है और थोड़ी देर में रोने लगता है।
मेरा दूसरा गाना जो ये भी सेड सांग है जिसकी शूटिंग भी हो चुकी है तो हप्ते डेड हप्ते में आ जायेगा गाने का नाम है जुबानी कैसे सुनाऊं।
भानु ने कहा कि पैसा मायने नही रखता पैसे से तो सब कुछ मिल सकता है पर नाम कामना पड़ता है।
बस मेरे माँ बाप का परिवार वालो का गाँव का जिले का नाम रोशन हो मेरे नाम घर के किसी भी सदस्य का नाम कोई कहे या कहीं नाम आये तो वो ये कह कर की ये भानु के भाई चाचा या पिता हैं।
मेरे पहले ही गाना में ही सब ने इतना प्यार दुलार किया। मैं सबको दिल से बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं ।