नीरज सिसौदिया, जालंधर
जालंधर नॉर्थ विधानसभा हलके की सियासत एक बार फिर गर्माने लगी है. लोकसभा चुनाव में इस हलके से कांग्रेस को शिकस्त झेलनी पड़ी थी. इसकी वजह कांग्रेस के नाराज सिपाही और गद्दार साथी थे. इस बार मामला दो कांग्रेस पार्षदों के अहम की लड़ाई का है. एक तरफ हैनरी के खासमखास रहे कांग्रेस पार्षद राजविंदर सिंह राजा हैं तो दूसरी तरफ हैनरी से नाराज बताए जा रहे पार्षद निर्मल सिंह निम्मा हैं. ये वही निम्मा हैं जो इस बार डिप्टी मेयर या कांग्रेस जिला अध्यक्ष बनने का अरमान पाले हुए थे लेकिन उनका कोई भी अरमान पूरा नहीं हो सका और वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. निम्मा की नाराजगी तब और बढ़ गई जब हैनरी खेमे ने उन्हें भाव देना बंद कर दिया और खुद हैनरी ने भी उन्हें वह स्पेशल ट्रीटमेंट देना मुनासिब नहीं समझा जिसकी चाहत निम्मा को थी. इसकी जगह राजा को हैनरी का भरपूर आशीर्वाद मिला.
दरअसल, निम्मा की नाराजगी और राजा से मनमुटाव का सफर विगत नगर निगम चुनाव में राजा के पार्षद बनने के साथ ही शुरू हो गया था. हालांकि, निम्मा ने राजा को पार्षद की टिकट दिलाने से लेकर जिताने तक में अहम भूमिका निभाई. सूत्र बताते हैं कि निम्मा पहले जिस वार्ड का हिस्सा थे वह इलाका अब राजा के वार्ड में आ गया था. निम्मा चाहते थे कि उनके रैलियों में झंडा उठाकर चलने वाला राजा पार्षद बनने के बाद भी उन्हीं के बताए रास्ते पर चले लेकिन तेज तर्रार युवा नेता राजा सिर्फ डमी पार्षद बनकर नहीं रहना चाहते थे. सत्ता हाथ में आने के बाद वह हर काम अपने तरीके से करके अपनी अलग पहचान बनाना चाहते थे. अपने इस काम में वह सफल भी हो रहे थे. धीरे धीरे वो निम्मा से दूरियां बनाते गए और निम्मा के ही दिन रात के साथी पम्मा के साथ दोस्ती बढ़ाई. देखते देखते वक्त गुजरता गया और राजा अपने वार्ड से निम्मा की बादशाहत को खत्म करने में कामयाब हो गए. अब तक वार्ड के लोग यह जान चुके थे कि अगर वार्ड का कोई काम कराना है तो वो निम्मा के जरिये नहीं बल्कि राजा के माध्यम से ही हो सकता है. पम्मा और राजा ने मिलकर वार्ड में चल रहे उन सभी अवैध कार्यों पर भी नकेल कसनी शुरू कर दी दो काम निम्मा के करीबी लोग कर रहे थे. अब निम्मा के हाथ से इस वार्ड की पूरी कमान निकल चुकी है. सूत्र बताते हैं कि निम्मा को उम्मीद थी कि हैनरी इस काम में निम्मा का सहयोग करेंगे लेकिन हैनरी ने भी इस सबसे किनारा कर लिया. वहीं बावा हैनरी ने तो किसी भी गलत काम का समर्थन करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. जनता के बीच जब यह मैसेज गया कि निम्मा की अब हैनरी से नहीं बन रही तो पब्लिक ने भी निम्मा से किनारा करना शुरू कर दिया और राजा को सिर आंखों पर बैठाना शुरू कर दिया. राजा धीरे धीरे अपना सियासी वजूद मजबूत कर चुके थे और निम्मा की सियासी जमीन डगमगाने लगी है. अब तक लड़ाई सिर्फ वर्चस्व की थी लेकिन अब मामला एक दूसरे को आर्थिक नुकसान पहुंचाने तक आ पहुंचा. सूत्र बताते हैं कि निम्मा ने केंद्र सरकार की जमीन पर अवैध कब्जे करवा कर वहां अवैध कॉलोनियां कटवानी शुरू कर दीं. राजा समर्थकों ने इन अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई करवा दी. निम्मा जिन अवैध कार्यों को संरक्षण दे रहे थे राजा किसी न किसी तरह उन अवैध कार्यों को पूरी तरह खत्म करने पर उतारू हो गए. खुद को हैनरी का पीए बताकर राजा इन सभी अवैध कार्यों को रूकवाने में सफल रहे क्योंकि बावा हैनरी अवैध कार्यों के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार कर चुके थे. आलम ये हो गया कि निम्मा अपने करीबी लोगों की मदद करने में भी नाकाम साबित हुए और पिछले 15 वर्षों का बनाया गया उनका तिलिस्म अब राजा के राज की भेंट चढ़ने लगा. लॉटरी, दड़ा सट्टा, शराब माफिया जैसे कारोबारों पर निम्मा का वर्चस्व खत्म हो गया और राजा हावी हो गए. सबसे बड़ा नुकसान तो यह था कि निम्मा के सबसे करीबी मित्र पम्मा भी राजा के साथ हो लिये. सूत्र बताते हैं कि इस उठापटक में निम्मा जालंधर वेस्ट के विधायक सुशील कुमार रिंकू से नजदीकियां बढ़ाने की जुगत में लग गए. राणा गुरजीत सिंह से मेलजोल बढ़ाने लगे. इतना ही नहीं वह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए केडी भंडारी के लिए अभी से ग्राउंड तैयार करने में जुट गए हैं, इसकी पुष्टि सूत्र करते हैं. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में निम्मा का भितरघात हैनरी के लिए नुकसानदायक हो सकता है. सूत्र बताते हैं कि सुशील रिंकू से बढ़तीं निम्मा की नजदीकियां कांग्रेस के पूर्व पार्षद प्रदीप राय और जिला अध्यक्ष बलदेव सिंह देव को भी रास नहीं आ रही हैं और अंदरखाते वह भी निम्मा से नाराज चल रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि निम्मा हैनरी को यह दिखाना चाहते हैं कि निम्मा का सियासी वजूद सिर्फ हैनरी के रहमो करम का मोहताज नहीं है. हैनरी साथ हों या न हों निम्मा की सियासत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. हैनरी के बिना भी वो अपना सियासी कारवां मंजिल तक पहुंचाने में सक्षम हैं.
सूत्र यह भी बताते हैं कि कोटला शिव मंदिर के पास निम्मा ने सरकारी जमीन पर एक और अवैध कॉलोनी कटवाई है जिसकी सारी सैटिंग निम्मा ने ही की है. अब इस अवैध कॉलोनी के खिलाफ राजा कार्रवाई करवाने की तैयारी कर रहे हैं. राजा और निम्मा का शीत युद्ध जोरों पर है. अब देखना यह होगा कि जालंधर नॉर्थ की सियासत में दोनों की ये वर्चस्व की जंग क्या गुल खिलाती है. निम्मा की नाराजगी का भंडारी कितना लाभ उठा पाते हैं या हैनरी नाराज निम्मा के लिए अपनी बांहें फिर पहले की तरह फैलाते हैं या नहीं. बहरहाल, अगर दोनों पार्षदों का शीत युद्ध जल्द खत्म नहीं हुआ तो आगामी विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस के लिये नॉर्थ में ये लड़ाई नासूर बन सकती है. बेहतर यही होगा कि हैनरी नाराज निम्मा के सामने घुटने टेक कर उन्हें प्यार से मना लें या उलट परिणाम के लिए तैयार हो जाएं.