पंजाब

घुमक्कड़ की डायरी-1 : नगर निगम में ‘सन ऑफ सरदार’ और ‘सिंघम’ रिटर्न, ‘छोटा भीम’ गो बैक, बादशाह और शहंशाह का इंतजार 

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घुमक्कड़, जालंधर
नगर निगम में नया बाजार के अवैध निर्माण और दियोल नगर के बिल्डरों के अरमानों पर डिच चलाने वाले सिंघम (एटीपी) की वापसी हो चुकी है और अब तक मनमानी कर अवैध कॉलोनियों एवं अवैध बिल्डिंगों को संरक्षण देने वाले ‘छोटा भीम’ के पर कतरने वाले ‘सन ऑफ सरदार’ की भी वापसी हो रही है. सरकार के इन दोनों फैसलों के बाद नगर निगम में एक बार फिर अफसरों की पुरानी कार्यशैली दिखने की उम्मीद जगने लगी है.
दरअसल, पिछले काफी समय से निगम की बिल्डिंग ब्रांच का माहौल बेहद दयनीय बना हुआ था. जो भी आता था वो इस ब्रांच को घंटे की तरह बजाकर चला जाता था. कोई गांधी जी के जरिये तो कोई सत्ता का खौफ दिखाकर बिल्डिंग ब्रांच को रखैल की तरह ट्रीट करने लगा था. कारण यह था कि इस ब्रांच का छोटा भीम सबकी जी हुजूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ता था. कमजाेर छोटा भीम के नंबर बनाने की इस आदत से निचले अधिकारी भी परेशान थे. यही वजह थी कि शहर में अवैध कॉलोनियों और अवैध बिल्डिंगों की बाढ़ सी आ गई थी. शिकायतों के ढेर रद्दी की टोकरी में डाले जा रहे थे. पर बकरे की मां आखिर कब तक खैर मनाएगी, आला अधिकारियों के साथ ही सरकार को भी शायद यह समझ आ गया था कि जिसे वह छोटा भीम समझ रहे थे वो तो असल में छोटा चूहा है जो छोटा भीम की खाल पहने घूम रहा था. अत: इस छोटे चूहे को उसके बिल में भेजना जरूरी हो गया था क्योंकि बिल से बाहर निकलने पर अपनी आदत के अनुसार वह अच्छे भले कपड़ों को कुतर कुतर कर खराब तो करेगा ही. जैसा कि वह पिछले कुछ समय से कर रहा था. बस यहीं से बदलाव का सफर शुरू हुआ और सबसे पहले सिंघम रिटर्न की पटकथा लिखी गई. नतीजा नया बाजार, मॉडल टाउन और दियोल नगर में अतिक्रमण हटाने वाले एटीपी को वापस सम्मान सहित एटीपी का चार्ज सौंपा गया. ये एटीपी फिलहाल ऐसे जुर्म की सजा काट रहा था जो उसने किया ही नहीं था. बहरहाल, ऊपरवाला सब कुछ देख रहा था. बेकसूर एटीपी के करियर से खिलवाड़ करने वाले अब पैदल हो चुके हैं. न घर के रहे न घाट के. सिंघम रिटर्न के बाद बारी थी ‘सन ऑफ सरदार’ की. सन ऑफ सरदार में एक सबसे बड़ी खूबी यह है कि उसके पास हर मर्ज की दवा है. उसने कभी किसी को नाराज नहीं किया और सबको उन्हीं की भाषा में समझाने का हुनर उसे आता है. अफसर हों, कर्मचारी हों, पत्रकार हों, नेता हों या आरटीआई एक्टिविस्ट सभी उसके मुरीद हैं. सिद्धू की चोट से सन ऑफ सरदार जख्मी तो हुआ था मगर टूटा नहीं था. नतीजा ये हुआ कि सस्पेंशन का दंश झेलने के बाद खुद को निर्दोष साबित करते हुए उसने पहले गुरु नगरी की बागडोर संभाली और अब एक बार फिर जालंधर में वापसी कर रहा है.
सिंघम रिटर्न और सन ऑफ सरदार के बाद बारी है बादशाह और शहंशाह की. बादशाह और शहंशाह फिलहाल फगवाड़ा में हैं. एक एटीपी बना दिया गया है तो दूसरा एसडीएम. एसडीएम बने शहंशाह की हालत तो कुरूक्षेत्र फिल्म के उस एसीपी जैसी हो गई है जिसे अपराधियों का सफाया करने के एवज में हर बार एक नई पोस्टिंग मिलती थी. निगम के इस शहंशाह के साथ भी कुछ ऐसा ही होता रहा है. कभी एसडीएम, कभी पुडा का ईओ, कभी आबकारी, कभी तंदुरूस्त पंजाब, कभी फगवाड़ा. पिछले लगभग डेढ़ साल में जाने कितने तबादले झेले लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज भी डटा है अपने फर्ज पर पूरी लगन से.
बहरहाल, नगर निगम के नए बदलाव से छोटा भीम की खाल में छुपे छोटे चूहे का क्या होगा यह चिंतनीय है. क्या छोटा चूहा फिर अपने बिल में वापसी करेगा या निगम कमिश्नर की मेहरबानियां उसे कुछ लाभ दिलाएंगी, यह देखना दिलचस्प होगा. निगम में जो भी होगा उसे घुमक्कड़ की डायरी में आप जरूर पढ़ सकेंगे.

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