उत्तराखंड

शोक समाचार : पूर्व प्रधान और इंडिया टाइम 24 के ब्यूरो चीफ राजेंद्र भंडारी नहीं रहे

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नीरज सिसौदिया

पूर्व ग्राम प्रधान वरिष्ठ भाजपा नेता और इंडिया टाइम 24 के कुमाऊं ब्यूरो चीफ राजेंद्र भंडारी का आज सुबह लगभग साढ़े छह बजे उनके टनकपुर स्थित आवास में निधन हो गया. वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे.

पिछले कई महीनों से लिवर और फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे राजेंद्र भंडारी का इलाज बरेली, देहरादून और पीजीआई चंडीगढ़ में चला था. कुछ दिन पूर्व उनकी हालत अचानक से बिगड़ गई. इसके बाद उन्हें खटीमा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से उन्हें गंभीर हालत के चलते रेफर कर दिया गया. इसके बाद उन्हें स्थानीय विधायक कैलाश चन्द्र गहतोड़ी की मदद से एम्स देहरादून ले जाया गया. वहां संबंधित डॉक्टर न होने की वजह से उन्हें एडमिट नहीं कराया जा सका. इसके बाद उन्हें देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

जहां डॉक्टरों ने तीन दिन इलाज के बाद उन्हें वापस घर भेज दिया. यहां आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर सुनते ही सैकड़ों की तादाद में स्थानीय लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने उनके आवास पर पहुंचे हैं. उनका अंतिम संस्कार शाम चार बजे शारदा नदी के पास श्मशान घाट पर किया जाएगा.

बता दें कि राजेंद्र भंडारी को लोग राजू भंडारी के नाम से जानते थे. समाजसेवा के प्रति उन्होंने अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था. मोहन पुर -आमबाग ग्राम प्रधान रहते हुए राजू भंडारी ने इलाके में कई विकास कार्य करवाए. हंसमुख स्वभाव के राजू भंडारी मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे. वो जिससे भी बात करते उसे अपना मुरीद बना लेते. लोगों की मदद के लिए वह दिन रात खड़े रहते थे. उनके जैसे व्यक्तत्व विरले ही होते हैं. वह भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ नेता थे. पिछले लगभग 25 वर्षों से भी अधिक समय से भाजपा की सेवा कर रहे थे. उनकी सारी जमा पूंजी इलाज के चलते खत्म हो गई. इसके बाद उनकी मदद के लिए विधायक के साथ ही वरिष्ठ भाजपा नेता और एबीसी अल्मा मैटर के डायरेक्टर मदन सिंह महर आगे आए. उन्होंने सोशल मीडिया पर राजेंद्र भंडारी की मदद के लिए अभियान चलाया. इस अभियान के जरिए कई लोगों ने उनकी मदद की लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.

श्री भंडारी इंडिया टाइम 24 की स्थापना के साथ ही बतौर कुमाऊं ब्यूरो चीफ जुड़े थे. पत्रकार के तौर पर उन्होंने समाजहित के कई मुद्दे प्रमुखता से उठाए. चाहे इंजीनियरिंग कॉलेज की पटरी से उतरती शिक्षा का मसला हो, ट्रॉमा सेंटर का मामला हो या फिर ग्रामीण इलाकों में जंगली जानवरों के आतंक का, वह हर वर्ग की आवाज बने. उनका निधन राजनीति, समाजसेवा और पत्रकारिता जगत की अपूर्णीय क्षति है जिसे कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता.

उनके परिवार में धर्मपत्नी, दो बालक और बालिकाएं हैं. उनके निधन पर क्षेत्रीय विधायक कैलाश गहतोड़ी, पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल, पालिका चेयरमैन विपिन कुमार वर्मा, पूर्व पालिका चेयरमैन जगत सिंह रावत, धर्मान्नद पान्डे, हर्षवर्धन रावत, पूर्व ग्राम प्रधान विनोद वर्मा, जीत सिंह, सुंदर बोहरा, सतीश पांडेय आदि ने शोक व्यक्त किया है.

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