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दिल्ली की 90 फीसदी सीटों पर नए चेहरे उतारेगी भाजपा, मनोज तिवारी से प्रभारी जाजू तक की छुट्टी की तैयारी, संगठन मंत्री भी बदल सकते हैं

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली भाजपा में सफाई अभियान चलाने की कसरत पूरी कर ली गई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ ही प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू और बीजेपी के संगठन मंत्री सिद्धार्थन को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो इस पूरी कवायद को संघ की हरी झंडी मिल चुकी है. नए अध्यक्ष, प्रभारी निरीक्षक और संगठन मंत्री को लेकर अंतिम निर्णय भी लिया जा चुका है. बस औपचारिक घोषणा होनी बाकी है. वहीं, विधानसभा चुनाव में 90 फीसदी सीटों पर नए चेहरे उतारने का निर्णय भी लिया जा चुका है. इसकी पुष्टि सूत्र करते हैं.
दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. यही वजह है कि हाईकमान और संघ के पदाधिकारियों ने काफी मंथन के बाद दिल्ली भाजपा को नए सिरे से खड़ा करने का निर्णय लिया है. सूत्र बताते हैं कि इस बार पार्टी लोकसभा चुनाव की तर्ज पर यह चुनाव भी जीतने की तैयारी कर रही है. हालांकि, अपने लक्ष्य में वह कितनी कामयाब हो पायेगी यह कहना फिलहाल मुश्किल है क्योंकि अधिकांश इलाकों में भाजपा को प्रत्याशी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं.
बताया जाता है कि भाजपा कुछ सेलिब्रिटीज को भी मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. ठीक उसी तरह जिस तरह विगत लोकसभा चुनाव में हंसराज हंस को उत्तर पश्चिम दिल्ली सीट से मैदान में उतारा था और हंस ने भी जीत का इतिहास रचा. इसी तरह कुछ फिल्म, संगीत, खेल और कॉरपोरेट जगत की कुछ नामचीन हस्तियां आगामी विधानसभा चुनाव में कमल का फूल थामे नजर आ सकती हैं.
सबसे बड़ा सवाल दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के सियासी भविष्य को लेकर खड़ा हो रहा है. मनोज तिवारी सांसद हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छिनने के बाद संगठन में उन्हें कितनी तवज्जो मिलती है यह देखना दिलचस्प होगा.
तिवारी की जगह पवन शर्मा दिल्ली भाजपा की कमान संभाल सकते हैं. सूत्र बताते हैं कि संघ से वफादारी का ईनाम उन्हें दिये का फैसला हो चुका है. हालांकि, पवन के लिए जोर लगाने वाले संगठन मंत्री सिद्धार्थन दिल्ली भाजपा से बाहर किए जा सकते हैं.
दिल्ली प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू को भी अब उनके प्रभार से मुक्त किया जाएगा. सूत्र बताते हैं कि यह सारी कवायद दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही की जानी है.
अब देखना यह है कि भाजपा का यह दांव दिल्ली विधानसभा चुनाव में कितना कारगर साबित होगा.

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