उत्तराखंड

उत्तराखंड के इस गांव से 15 किमी दूर है सड़क, पहाड़ी रास्तों पर चलना पड़ता है पैदल

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दीपक शर्मा, लोहाघाट 

चम्पावत ब्लॉक का गाँव ककनई (कठौती) आजादी के समय से अभी भी विकास राह देखता ही रह गया है यहां के निवासियों ने बताया कि इतनी सरकारें बनीं और आगे को भी बनती रहेगी ककनई के निवासी नेताओं को बोट देने तक ही है वोट मांगने के लिये नेता लोग गांव में आते हैं चुनाव खत्म होने के बाद कोई शक्ल भी नहीं दिखाता, इस गांव मे ना सडक,ना हास्पिटल,ना पानी की सुविधा. बाजार जाने के लिये 15 किमी पैदल चलना पडता है.
चम्पावत जिले का अति दुर्गम गाँव डांडा,ककनई जो की मुख्य सड़क से 15 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच में बसा हुआ है। सभी मूलभूत सुविधाओं से दूर है। इस गाँव में जाकर ऐसा लगता है जैसे ये गाँव आज़ाद हिंदुस्तान से अलग है। ना तो इस गांव में सड़क है ना ही पानी की कोई व्यवस्था है ना ही चिकित्सा व शिक्षा की कोई सुविधा और ना ही कुछ दिनो पहले तक यहाँ बिजली थी। इस कारण से गाँव के काफ़ी परिवार यहाँ से पलायन कर गये। गाँव में जाने के लिए ऊबड़ खाबड़ रास्तो का सामना करना पड़ता है। ग्रामवासियों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है। इस गाँव को जोड़ने की दिशा में पहला काम पिछले कुछ दिनों पहले ही इस गाँव को बिजली से जुड़वाया। बिजली लगने के बाद ग्रामवासियों के चेहरों पर अलग ही चमक है।

 

गाँव में बिजली आने से पूरे ग्राम में ख़ुशी का माहौल तो है लेकिन इस गांव मे लोग पशुपालन ,खेतीबाड़ी से गाँव के लोग अपनी आजीविका चलाते है । लेकिन गाँव मूलभूत सुविधाओं मे से सड़क ,पानी,और कोई रोजगार बहुत दूर है ,
गांव में सुबिधाओ के अभाव के कारण कोई भी कर्मचारी गांव में नहीं रहना चाहता है यहां के लोगों को 15 किमी टांड़ सड़क तक उसके बाद लगभग 35 कीमी दूर रीठा साहिब आना पड़ता है या फिर सूखीढांग या टनकपुर के बाजारों को जाना पड़ता है। क्षेत्र के पवन महरा क्षेत्र पंचायत सदस्य डांडा ककनई बुडम
बिशन महरा ग्राम प्रधान ककनई
मोहन महरा पूर्व ग्राम प्रधान ककनई प्रेम महरा सामाजिक कार्यकर्ता आदि जनप्रतिनिधियों ने गांव को मूलभूत सुविधाओं से जोड़ ने की आवाज उठाई है।

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