नीरज सिसौदिया, जालंधर
पंजाब अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी का होशियारपुर डिवीजन अवैध कॉलोनियों और अवैध निर्माण का गढ़ बन चुका है. वैसे तो यहां सैकड़ों की तादाद में अवैध कॉलोनियां मौजूद हैं जो पिछले कुछ वर्षों में डेवलप की गई हैं लेकिन ताजा मामले भी कम नहीं हैं. पुडा के अधिकारियों की कथित तौर पर मिलीभगत से इन कॉलोनियों का निर्माण और संरक्षण अभी भी जारी है. दिलचस्प बात यह है कि भ्रष्टाचार के इस काले खेल को पुडा के आला अधिकारी नहीं बल्कि एसडीओ और जेई स्तर के अधिकारी ही अंजाम दे रहे हैं. हालांकि, इसे शीर्ष अधिकारियों के नेतृत्व की नाकामी ही कहेंगे कि उनकी नाक के नीचे इस पूरे खेल को अंजाम दिया जा रहा है और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लग पा रही है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही अवैध कॉलोनियों और अवैध निर्माणों के बारे में जो होशियारपुर डिवीजन के तहत आती हैं और अधिकारियों की मिलीभगत से इन्हें न सिर्फ तैयार किया गया बल्कि सौदा भी किया जा रहा है.
पहला मामला होशियारपुर जिले के मुखलियाना गांव का है जहां लगभग चार से पांच एकड़ में अवैध कॉलोनी काटी गई है. इतना ही नहीं इस कॉलोनी के आगे लगभग पचास दुकानें भी अवैध रूप से तैयार की जा रही हैं. पुडा के अधिकारियों ने यहां खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं किया.
दूसरा मामला होशियारपुर जिले में पड़ते गांव पुराना भंगाला का है. यहां करीब 70 के आसपास अवैध दुकानें बनाई गई हैं. अवैध दुकानों का सिलसिला यहीं पर खत्म नहीं होता होशियारपुर जिले के ही गांव एमा मांगट में तो लगभग तीन सौ दुकानें अवैध रूप से तैयार की गई हैं.
इन सभी मामलों में पुडा के अधिकारियों ने सिर्फ खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं किया. इसके पीछे उनका क्या स्वार्थ या मजबूरी रही होगी इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है. बहरहाल, अगर पुडा के अधिकारी इस दिशा में कोई कड़ी कार्रवाई करते तो पुडा को करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त हो सकता था लेकिन अधिकारियों और कॉलोनाइजर्स एवं बिल्डर्स का सिंडीकेट सरकार को चूना लगाने से बाज नहीं आ रहा है. हैरानी की बात तो यह है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी लंबे समय से जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी में ही तैनात हैं. इन्हें जालंधर ऑफिस से अन्यत्र स्थानांतरित क्यों नहीं किया गया? पंजाब सरकार को अगर पुडा से भ्रष्टाचार का सफाया करना है तो उसे ईओ स्तर के अधिकारियों को नहीं बल्कि एसडीओ और जेई स्तर के अधिकारियों का तबादला जालंधर कार्यालय से अन्यत्र कहीं करना होगा, सिर्फ इन्हें जालंधर-1 से जालंधर-2 या होशियारपुर डिवीजन में स्थानांतरित करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि इन तबादलों से सिर्फ इनका कार्य बदलता है कार्यालय नहीं. और एक ही कार्यालय में होने की वजह से सिर्फ कागजों में ही इनका काम बदलता है हकीकत में ये अफसर एक -दूसरे के डिवीजन की अवैध कॉलोनियों और बिल्डिंगों की सेटिंग में ही व्यस्त रहते हैं.
अगली किस्त में हम आपको होशियारपुर डिवीजन की कुछ अन्य अवैध कॉलोनियों और अवैध निर्माणों के बारे में बताएंगे. जानने के लिए पढ़ते रहें www.indiatime24.com.
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