पंजाब

विधायक रिंकू के राज में डिप्टी मेयर के वार्ड में निगम की जमीन पर अवैध कब्जा करवा रहे अकाली नेता भाटिया, पर्चा दर्ज करने से घबरा रहे एसएचओ, जानिए क्या है वजह?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
प्रदेश और जालंधर नगर निगम में भले ही सत्ता कांग्रेस के हाथों में हो लेकिन राज तो अब भी अकाली नेता ही कर रहे हैं| खुलेआम सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे करवाए जा रहे हैं लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है| ताजा मामला जालंधर वेस्ट विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुशील कुमार रिंकू के इलाके का है| हैरानी की बात है कि इस बार डिप्टी मेयर के वार्ड में ही नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जा करवाने का प्रयास किया जा रहा है| यह प्रयास कोई और नहीं बल्कि खुद पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया कर रहे हैं| इसके बावजूद न तो डिप्टी मेयर सिमरनजीत सिंह बंटी कुछ बोलने को तैयार हैं और ना ही विधायक सुशील रिंकू ने भाटिया का रास्ता रोकने का प्रयास किया| हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम कमिश्नर के लिखित में देने के बावजूद थाना पांच नंबर के एसएचओ रविंद्र कुमार भी कमलजीत सिंह भाटिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से घबरा रहे हैं| इस पूरे खेल को डिप्टी मेयर के वार्ड में अंजाम दिया जा रहा है जबकि इस वार्ड से कमलजीत सिंह भाटिया का कोई नाता न तो रहा है और न ही यह वार्ड कमलजीत सिंह भाटिया का है|
पूर्व पार्षद सुरेंद्र मल्होत्रा के पति और वरिष्ठ कांग्रेस नेता योगेश मल्होत्रा ने बताया कि वर्ष 2011 में तत्कालीन पार्षद सुनंदा मल्होत्रा ने गुरुद्वारा 6वीं पातशाही के साथ लगते पार्क के बगल वाली जमीन और फायर स्टेशन बनाने के लिए मंजूरी दिलाई थी| प्रदेश सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी थी और लगभग 4 कनाल जगह इसके लिए अलाट कर दी गई थी| इसके बाद लगभग 55 लाख रुपये फायर स्टेशन की बिल्डिंग बनाने और स्टाफ एवं मशीनरी के खर्च के लिए अलॉट भी कर दिए गए थे| लेकिन तत्कालीन सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया को यह बिल्कुल रास नहीं आया| सीनियर डिप्टी मेयर पद पर रहते हुए भाटिया ने फायर स्टेशन का काम शुरू नहीं होने दिया| उन्होंने बताया कि बस्ती क्षेत्र में अगर अागजनी की घटना होती है तो दोमोरिया पुल से फायर ब्रिगेड की गाड़ी को बुलाना पड़ता है| रास्ते में कई रेड लाइट पड़ती हैं और जाम जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है| ऐसे में जब तक यहां फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचती है तब तक इलाके में लगी आग सब कुछ खत्म कर चुकी होती है| यही वजह है कि काउंसलर वेलफेयर एडहॉक कमेटी के पूर्व चेयरमैन और पूर्व पार्षद सुनंदा मल्होत्रा ने यहां एक फायर स्टेशन बनाने का प्रस्ताव सरकार से पास करवाया था| भाटिया ने इस प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगा दिया और लोग परेशान हो रहे हैं| उन्होंने कहा कि अब फायर स्टेशन की फाइल स्मार्ट सिटी के सीईओ को भेजी जा चुकी है| यहां पर स्मार्ट सिटी के तहत फायर स्टेशन बनाया जाएगा| फिलहाल यहां पर कुछ गरीब लोग सब्जी मंडी लगाकर गुजारा करते हैं और उनका कहना है कि फायर स्टेशन का काम शुरू होते ही वह यह इलाका छोड़ देंगे| मामला आगे बढ़ता इससे पहले ही कमलजीत सिंह भाटिया सियासत पर उतर आए| उन्होंने डिप्टी मेयर के वार्ड के तहत पड़ती नगर निगम जालंधर की इस लगभग 4 कनाल जमीन पर निजी डिच मंगवा कर अवैध कब्जा शुरू करवा दिया था| सब्जी मंडी वालों ने इसकी शिकायत नगर निगम के फायर अफसर राजेंद्र शर्मा और पुलिस से की| सूचना मिलते ही एसएचओ पांच नंबर रविंद्र कुमार मौके पर पहुंचे तो भाटिया ने उनसे भी बदतमीजी की| राजेंद्र शर्मा ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह जमीन फायर स्टेशन के लिए ही पास की गई है| आरोप है कि इसके बाद कमलजीत सिंह भाटिया मामले को सांप्रदायिक रंग देने लगे| गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कुछ लोगों को बहला-फुसलाकर भाटिया अपने साथ निगम कमिश्नर के पास भी ले गए लेकिन वहां भाटिया की दाल नहीं गली और निगम कमिश्नर ने पुलिस कमिश्नर को नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले भाटिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की लिखित शिकायत कर डाली| इसके बावजूद जाने वह कौन सी ताकत है जो पांच नंबर थाने के एसएचओ को कमलजीत सिंह भाटिया और अवैध कब्जा करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से रोक रही है| हैरानी की बात तो यह है कि स्थानीय विधायक सुशील कुमार रिंकू और डिप्टी मेयर सिमरनजीत सिंह बंटी दोनों ही इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं| उनकी यह खामोशी निगम की जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले भाटिया को मौन समर्थन तो नहीं? सूत्र बताते हैं कि जब भाटिया सीनियर डिप्टी मेयर थे तो सिमरनजीत सिंह बंटी ने उनसे अपने कई काम करवाए थे जिसका एहसान वह नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जा करवा कर चुकाना चाहते हैं और इसीलिए वह अपने वार्ड में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले भाटिया के खिलाफ भी कोई कार्रवाई करवाना मुनासिब नहीं समझ रहे| विधायक सुशील कुमार रिंकू भाटिया के प्रति इतना उदार रवैया क्यों अपना रहे हैं यह कहना मुश्किल है| दिलचस्प बात यह है कि भाटिया को आईएएस अधिकारी केके यादव से मारपीट और अभद्रता के मामले में 2 साल की सजा भी सुनाई जा चुकी है लेकिन उस मामले में वह जमानत पर बाहर हैं| अगर भाटिया के खिलाफ अवैध कब्जे के मामले में एफआईआर दर्ज हो जाती है तो उनकी जमानत भी रद्द हो जाएगी और वह सलाखों के पीछे नजर आएंगे| सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि कमलजीत सिंह भाटिया का पिछला रिकॉर्ड देखने के बावजूद अकाली दल के जिला प्रधान कुलवंत सिंह मन्नन भी इस मामले में भाटिया की सियासी चाल का मोहरा बन गए| मन्नन के इस कदम से जालंधर में अकाली दल की छवि प्रभावित हो सकती है| इसका खामियाजा आने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है| वहीं, रिंकू और बंटी की खामोशी कांग्रेस के लिए घातक हो सकती है| इसे उनके विरोधी कांग्रेस जिला प्रधान बलदेव सिंह देव और प्रदीप राय बड़ा हथियार भी बना सकते हैं.

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