पंजाब

कोरोना संक्रमित विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख राजेंद्र जी की कहानी उन्हीं की जुबानी…

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                                                             राजेन्द्र कुमार,  (क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख विद्याभारती ) की कलम से 

कोरोना कोरोना कोरोना..? नाम सुनकर ही भय लगना प्रारम्भ हो जाता था जब TV पर करोना से सम्बन्धित समाचार सुनते थे ।सुबह TV देखकर तो ऐसा लगता था कि  जिसको करोना हो गया तो  शायद उसका बचना ही मुशकिल होता होगा । इन सब दृश्यों को देख कर मैं अपने मन  में सोचता  था कि  करोना  हमें हो ही नहीं सकता है । लेकिन फिर भी एक भय मन में अंदर ही अंदर बना रहता  था । इस भय को कभी भी मैंने दूसरों के समक्ष झलकने नहीं दिया । परन्तु जब अपने आसपास भी करोना के मरीज बढ़ना प्रारम्भ हो गये थे। ऐसे समय में किसी का भी कोई फोन आता   तो वे सलाह देते थे ,अरे जालंधर  में हालात बहुत खराब है अपना ध्यान रखना । कोई कहता काढ़ा पीते रहना तो कोई च्यवनप्राश लेने के लिए कहता । जीतने फोन आते उतने ही करोना से बचने के नुस्खे  भी बताते ।

जैसे ही एम्बुलैंस का सायरन सुनाई देता था कोरोना की कल्पना का दृश्य दिखना प्रारम्भ हो जाता था । वो PPE किट पहने डाक्टर, मास्क पहने लोग कोरोना के कहर से मौत का मंजर , श्मशान घाट पर मृत शरीर को न जलाने देने की घटनाएं .. और न जाने एसे कितने समाचार मन को विचलित करते थे….  फिर भी हम मन को मनाते कि हमें कुछ नहीं हो सकता। विद्या धाम तो सुरक्षित है।

एक समय ऐसा आया TV समाचार देखने बन्द कर दिये ।अपनी दिनचर्या मे मस्त रहने लगे । विद्या धाम मेरा, विजय जी तथा हर्ष जी का केंद्र है । इसके इलावा विनय जी लॉक्डाउन के समय यहीं रहे । प्रत्यूष ,अरुण ,दिनेश तथा इंद्रजीत जी भी इन दिनों यहीं पर थे । करोना का डर समाप्त सा हो गया था व गम्भीरता भी समाप्त हो गई थी । लेकिन एक कार्य जो सतत चलता रहा वह अपनी नियमित दिनचर्या प्रातः 4.30 से प्रारंभ होकर रात्री 10 बजे तक रहती थी , जिसमे योग, प्राणायाम ,प्रतिदिन शाखा के उपरान्त वंदना , दिन में स्वध्याय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा कार्य, शाम को फिर घूमना रात्रि सात बजे तक भोजन रात्रि 10 बजे उपरान्त सो जाना।

इसी बीच एक घटना घटी  दोपहर के समय । मैं विजय जी के  कक्ष मे गया तो विजय जी ने कहा कि  प्रकाशन विभाग मे कार्यरत नरेन्द्र जी क्रोना  पॉजिटिव  हो गयेे हैं, उनकी टेस्ट रिपोर्ट आई है ।हम दोनो सोच मे पड़ गये जिस करोना का भय लगभग  समाप्त सा  हो चुका था एक बार फिर उसने  दस्तक दी है । वह भी कहीं दूर नहीं, हमारे आवास विद्या धाम में । अब कई  तरह के  विचार आने लगे । जिस भय कों हम भूल गए थे बही दृश्य फिर से मानसपटल पर घूमने लगे । कुछ  कार्यकर्ताओं ने निर्णय लिया कि कार्यालय में कार्यरत  सभी का करोना टैस्ट होना चाहिए।टैस्ट की व्यवस्था विद्या धाम में ही हो गई । 15 जून को  22 कार्यकर्ताओं का टैस्ट हुआ।टैस्ट के बाद इन्तजार प्रारम्भ हुआ परिणाम का । 15 जून को टैस्ट हुआ था तो रिपोर्ट 17 तक आने की सम्भावना थी। इस बीच मेरी हर्ष जी और विजय जी से आपस में चर्चा होती रहती थी.. हर्ष जी कहने लगे  अगर हम कोरोना पॉजिटिव आये तो क्या करेंगे? मैने कहा हम तो कुछ नहीं करेंगे फिर तो हैल्थ बाले ही करेंग ।फिर भी दिन भर मस्ती मे रहते थे । जून 17 को विजय जी ने कहा रिपोर्ट काफी गड़बड़ है । हमें अपनी तैयारी  कर लेनी चाहिए ।मैंने अपनी अटैची तैयार  कर ली । रिपोर्ट फिर भी नहीं आई । रात्रि को पहले तो नींद नहीं आ रही थी ,परन्तु उसके बाद अच्छी नींद आ गई । अपनी दिनचर्या हर दिन की तरह प्रारम्भ हुई । केवल रिपोर्ट की प्रतीक्षा थी । 18 जून को भी रिपोर्ट नहीं आई ।

19 जून को प्रातः विजय जी ने कहा सभी रिपोर्ट नेगेटिव है । सभी खुश हो गए । मैंने कहा मुझे भी  रिपोर्ट भेज दो ।रिपोर्ट मिलने पर मैंने देखा कि मेरा नाम नहीं था । धीरे धीरे शक गहराने लगा ।अंदर से आवाज आ रही थी आप भी  करोना पॉजिटिव हो सकते हैं ।मैंने अपनी तैयारी तो  पहले ही कर ली थी, तभी हमारे एक कार्यकर्ता को दूरभाष आता है कि आप 4:00 बजे तैयार रहें आपको लेने के लिए एंबुलेंस आएगी, मैंने उसे हौसंला दिया कि कोई बात नहीं आप तैयार हो जाओ । डरने की कोई बात नहीं है । शायद मैं भी आप के साथ रहूँ ,एक दिन की तो बात है ।उसके बाद   वापस आ जाएंगे । मैं भोजन करके कमरे में आया  तो विजय जी वहां पर पहुंचते हैं  और कहते है कि आप को भी तैयार होना पड़ेगा । मैंने कहा मैं पहले से ही तैयार हूं ।अब जिस डर के बारे में हम सुनते थे, देखते थे आखिर उससे सामना हो ही  गया था । ऐसे में अटल जी एक कविता की पंक्तियाँ याद आ गई .. ठन गई ठन गई  मौत से ठन गई.

जिस बात से भय  लगता था आज उसी से सामना हो गया । थोड़ी देर में मुझे भी संदेश आया कि एम्बुलेंस आ गई है । मैंने कहा ठीक है आप चलिए मैं आता हूं । मैंने अपनी अटैची उठाई और चल पड़ा ।नीचे आकर देखा कार्यालय के सभी कार्यकर्ता पहले से तैयार थे .. उनका कहना था अब आप साथ है इसलिए हमें कोई डर नहीं है । मैंने अपने को संभाला और कहा हाँ  डरने की कोई बात नहीं है और सबसे पहले एम्बुलेंस में बैठ गया । धीरे धीरे  और भी बैठ गए और एम्बुलेंस चल पड़ी। एम्बुलेंस सायरन बजाती हुई  थोड़ी देर में हॉस्पिटल पहुँच गई।वहाँ हमारी स्कैनिंग हुई । तत्पश्चात हमें  क्वारंटाईन सैंटर में ले जाया गया।

वहां पर कमरे में पहुंचते ही हमने राहत की सांस ली । हमें लगा कि यहां पर हमारा कोई इलाज होगा । पहले दिन हमें किसी ने नहीं पूछा ,हमे क्या करना है क्या नहीं ? रात्रि भोजन भी 9.30 बजे आया । शौचालय देखे काफी गंदे थे। स्नानागार में बाल्टी नहीं ,हाथ धोने के लिए साबुन नहीं । ऊपर से गर्मी । अब लगने लगा था कि करोना अभी तक तो नहीं था, यहां अधिक दिन रहना पड़ा तो पक्का हो जायगा। परंतु हम सभी काफी संख्या मे थे, इसलिए मस्ती मे थे । गर्मी के कारण नींद नहीं आ रही थी । परंतु तूफान के चलने से मौसम थोड़ा ठण्डा हो गया था ।प्रातः उठते ही खिड़की से बाहर देखा तो स्टेडियम दिखा ,उसमे बहुत से लोग दौडते घुमते हुए दिखाई दिए । मुझे भी प्रातः घुमने की आदत थी परन्तु मै वहां नहीं जा सकता था । एक बार फिर लगा जैसे विमारी ने मुझे घेर लिया है…अब शायद ठीक हो पाऊंगा या नहीं।मैं नहा कर तैयार हो गया फिर मैने प्राणायाम प्रारम्भ कर दिये । इतने में सभी उठ गये एक बार फिर मस्त हो गये।

हम  सोचते रहे शायद अब कोई डॉक्टर हमें देखने आएगा,नाश्ता हो गया, दोपहर भोजन भी हो गया। सिर्फ दो गोलियां हमें दी गई मल्टी विटामीन और विटामीन सी की।लगा काढ़ा मिलना चाहिए ,वह भी नहीं मिला,न सैनेटाईजर मिला । मैने सुना था कि यहां पर हर व्यक्ति का विशेष ध्यान रखा जाता है परन्तु ऐसा कुछ नहीं दिखा।भोजन भी समय पर नहीं ,नाश्ता 10 बजे, दोपहर 3 बजे , रात्रि भोजन 9.30 ,इसका भी कोई पक्का समय नहीं । ऐसे में व्यक्ति का क्या होगा ? हम सोच सकते हैं ।

वहां की व्यवस्था देखकर हम होम क्वरन्टीन होना चाहते थे । इसकी व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग में है । कार्यकर्ताओं ने प्रशाशन से बात कर कागज पूरे करके होम क्वरन्टीन करवा लिया । 20 जून रात्रि 9.30 पर हम सभी 14 व्यक्ति विद्या धाम पहुंच गये । यहां पहुंच शेष दो व्यक्ति भी एक दिन बाद यहां पहुंच गये।

यहां आते ही सबने राहत की सांस ली ,लगा कि अब सब ठीक हो जायेगा ,15 दिन हमें यही रहना था । सोचा कि इस समय का सदूपयोग कैसे हो सकता है ? योजनापूर्वक 21 जून से हमने एक दिनर्चया बनाई ।शारीरिक दूरी ,मास्क और सैनेटाईजर का प्रयोग करते हुए और जो भी इस काल के दिशानिर्देशों थे ,का पालन करते हुए वर्ग प्रारम्भ हुआ।

प्रातः एक घंटा प्राणायाम आसन और सूर्यनमस्कार प्रारम्भ हुआ 9 बजे बन्दना उसके बाद किसी एक विषय पर हर रोज एक  कार्यकर्ता  वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ता था। दो बार डाक्टर भी जुड़े ,जिन्होंने करोना वायरस क्या है ?इससे कैसे बचा जा सकता ? इसकी जानकारी देकर हमारा मनोबल बनाये रखा।शाम के समय एक घन्टा अम्यास रहता था । जिसमे प्रातः स्मरण, एकात्मता स्तोत्र, एकता मंत्र बंदना का अभ्यास किया जाता था। और रात्रि को अनौपचारिक कार्यक्रम जिसमें भजन अंताक्षरी आदि अनेक प्रकार के कार्यक्रम रहते थे.

हम सभी यह तो लगभग भूल ही चुके थे कि हमे करोना भी है।अचानक 2 जून को सोमेश जी का फोन आता है कि अब आप सबका एकान्तवास समाप्त है । सभी को घर भेज दिया जाये ।मैंने सभी को विशाल कक्ष में बुलाकर कहा 15 दिन का हमारा एकान्त वास समाप्त है ।आप घर जा सकते हैं। मैंने सभी के चेहरों को देखा तो ऐसा लगा कि जैसे इस सूचना से प्रसन्नता नहीं हुई ।उन्हें अब बिछुड़ने का दु:ख था ।अपने परिवार बालों को सबने सूचना दी कि उन्हें लेने के लिए आयें।

बड़े गर्व के साथ,करोना जैसी महामारी को मात देकर 15 दिनों के बाद अपने परिवार में जा रहे थे। एक तरफ सभी को विछुड़ने का गम तो दूसरी और करोना महामारी से सभी ने विजय प्राप्त कर हमारे लिए खुशी के पल तो थे ही । उससे भी अधिक  परिवार के लोग खुश थे ।

इस प्रकार हमने आसन ,प्राणायाम तथा काढ़े का प्रयोग कर करोना कों मात  दी और सभी 16 लोग स्वस्थ होकर घर लौटे।

कभी यह नहीं समझना चाहिए मुझे करोना नहीं हो सकता,पूरी सावधानी रखनी चाहिए न ही किसी को डराना चाहिए ।

जिसे करोना हो जाये उसके साथ अच्छा व्यवहार रखना, उसका मनोबल बढ़ाना  चाहिए ।आप को ये कैसे हो गया पता नहीं ,आप कब ठीक होंगे ,ऐसा नहीं बल्कि कहना चाहिए कि आप बलबान है बस थोड़े ही दिनों की बात है आप करोना को मात कर वापिस आयेंगे।

प्रशासन से भी आग्रह है कि क्वरन्टीन सैंटर पर पूर्ण सुविधा होनी चाहिए। खाने की व्यवस्था और खाने का समय ,काढ़ा ,गर्म पानी पीने के लिए का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।.मास्क और सैनेटाईजर की व्यवस्था होनी चाहिए।

.प्रारम्भ मे ही व्यक्ति से पूछ लेना चाहिए कि उसे होम कोरनटाईन की व्यवस्था  अगर  घर पर है तो उसे पहले दिन से ही घर भेज देना चाहिए । उससे वह शीघ्र स्वस्थ्य हो जायेगा। होम.क्वरन्टीन कैसे होते है? किसी को जानकारी नहीं कोई बताता भी नहीं ।

मीडिया से भी आग्रह है कि करोना के समाचार को डरावना न बनाएं , लोग करोना से बचने के उपाय प्रति जागृत करें उन्हे  प्रेरित करें  ।

मेरा इस अपबीती लिखने का एक ही उदेशय है हम करोना से भयभीत ना हो इससे मिलकर मुकाबला करें आज सारी दुनिया इस महामारी से जूझ रही है भारत की स्थिति सबसे बहेतर है पूरा विश्व करोना की दवाई के प्रयास कर रहा है परंतु अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है एसे मे सारी दुनिया भारत की और देख रही है ,भारतीय सांकृति ,आयुर्वेद ,योग ,प्राणायाम इस महामारी से बचने के लिए कारगर साबित हुए हैं.

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