नीरज सिसौदिया, जालंधर
नशे के मुद्दे पर सत्ता में आई कैप्टन सरकार के कुछ नेता खुद नशे के सौदागरों को संरक्षण दे रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण जालंधर वेस्ट विधानसभा हलके में देखने को मिल रहा है. यहां पेयजल आपूर्ति भले ही नियमित रूप से नहीं होती है लेकिन अवैध शराब गली-मोहल्लों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है. दिलचस्प बात यह है कि शराब के इस अवैध कारोबार को वे लोग अंजाम दे रहे हैं जो अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल में सलाखों के पीछे थे. अब पुलिस भी इन शराब माफियाओं के आगे नतमस्तक हो चुकी है. राजनीति के पुरोधा यहां अपराध के संरक्षक बनकर बैठे हुए हैं. पुलिस ने अगर अभी भी हालात पर काबू नहीं पाया तो एक दिन निश्चित तौर पर ऐसा आएगा जब जालंधर वेस्ट में यूपी के गैंगस्टर विकास दुबे जैसा माफिया राज करेगा और पुलिस वाले कानपुर के पुलिसकर्मियों की तरह शहादत देने को मजबूर हो जाएंगे.
दरअसल, जालंधर वेस्ट विधानसभा हलके में अवैध शराब का कारोबार कोई नई बात नहीं है. यहां के मॉडल हाउस, बस्ती गुजां, बस्ती दानिशमंदा और रविदास चौक के आसपास के इलाकों में दशकों से अवैध शराब का कारोबार बेरोकटोक चलता आ रहा है लेकिन पहले की सरकारों में जहां ये काम चोरी-छुपे होता था वहीं आज ये कारोबार बड़े पैमाने पर खुलेआम हो रहा है. इन्हें कोई रोकने वाला नहीं है.
बता दें कि अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान लसूड़ी मोहल्ले के रहने वाले लालचंद लाली और शिंदर नाम के दो व्यक्तियों को अवैध शराब और नशा तस्करी करने के आरोप में सलाखों के पीछे भेज दिया गया था. उक्त आरोपियों को कुछ मामलों में सजा भी सुनाई जा चुकी है. वहीं कुछ मामलों में वह जमानत पर चल रहे हैं. जेल से छूटने के बाद जब सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ और सुशील कुमार रिंकू विधायक के पद पर काबिज हुए तो लाली और शिंदर को मानो भाग्य विधाता मिल गया. रिंकू से नजदीकियों का फायदा उठाकर दोनों फिर से अवैध शराब के इस काले कारोबार में कूद पड़े. चूंकि विधायक रिंकू आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर पहले ही अपना वर्चस्व कायम कर चुके थे इसलिए एसएचओ लेवल के अधिकारी सिवाय सलाम ठोकने के रिंकू का कुछ नहीं बिगाड़ सके. रिंकू का कद तेजी से बढ़ता जा रहा था और साथ ही साथ लाली और शिंदर का शराब का कारोबार भी जालंधर वेस्ट हलके के गली मोहल्लों पर अपने पैर पसारता गया. लाली और शिंदर ने अवैध शराब हर गली मोहल्ले में पहुंचानी शुरू कर दी. आमदनी बढ़ी तो विधायक जी भी सेट कर लिए गए. चेलों को दिक्कत न हो इसलिए थाना नंबर पांच में एसएचओ पद पर मनपसंद अधिकारी को तैनाती भी करा दी गई. जिसने आवाज उठाई उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया गया. होता भी क्यों नहीं, वो कहावत है न कि जब सैंय्या भए कोतवाल तो डर काहे का. एसएचओ साहब धृतराष्ट्र बन गए और विधायक जी नोटों की चमक में गुम हो गए. नतीजा ये हुआ कि जिस जालंधर वेस्ट के नशा मुक्त होने का सपना इलाके की मांएं और बेटियां देख रही थीं वही जालंधर वेस्ट अब अवैध शराब का गढ़ बन चुका है. यहां के पुलिस अधिकारी वेतन भले ही सरकार से ले रहे हों लेकिन नौकरी विधायक के समर्थकों की कर रहे हैं. यही वजह है कि अवैध शराब का यह काला कारोबार एसएचओ रविंदर कुमार व अन्य को नजर नहीं आ रहा. यह बात विरोधी ही नहीं बल्कि रिंकू की अपनी पार्टी के लोग भी मानते हैं. सूत्र बताते हैं कि शराब के इन अवैध कारोबारियों से रिंकू के नाम पर प्रतिदिन लगभग एक लाख रुपये वसूले जाते हैं. यही वजह है कि अवैध शराब का यह काला कारोबार खुलेआम बेरोकटोक चल रहा है. विधायक रिंकू के राज में जिस तरह वेस्ट के लोगों को नशे के दलदल में धकेला जा रहा है वह आने वाले विधानसभा चुनाव में रिंकू की मुसीबत का सबब बन सकता है.
Facebook Comments