नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
गांधारी के सौ पुत्रों को लेकर अक्सर फेसबुक अथवा अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर लोग हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाते नजर आते हैं. लेकिन इस धर्म की पवित्रता को समझ नहीं पाते. हमारे वेद पुराण और महाकाव्य एवं उपनिषद हमारे हर सवाल का जवाब देते हैं बस जरूरत है उन सवालों के जवाब को तलाशने की.
गांधारी युवा अवस्था में ही सौ पुत्रों की मां कैसे बन गई यह कौतूहल का विषय नहीं है. इस संबंध में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य नरेश नाथ कहते हैं कि कितने ही सीरियल बनाने वालों ने महाभारत के सीरियल बना दिए परंतु यह कहीं भी स्पष्ट नहीं किया कि माता गांधारी के 100 पुत्र कैसे हुए थे? हिंदू समाज के लोग ही इस विषय पर अभद्र टिप्पणियां करते हुए देखे जाते हैं जबकि शास्त्रों में इसका अक्षरश: उल्लेख मिलता है. नरेेेश नाथ बताते हैं, ‘माता गांधारी ने महादेव की अनन्य भक्ति की थी. पति के अंधे होने पर स्वयं को भी सारी उम्र के लिए आंखों से विहीन कर लिया था यानि आंखों पर सदा के लिए पट्टी बांध ली थी. जब महर्षि वेदव्यास जी ने एक बार उनसे भेंट की तो उन्हें 100 पुत्र होने का वरदान दिया. अब यह 100 पुत्र कैसे हो सकते थे? माता गांधारी ने गर्भ धारण किया है. उसमें से सिर्फ मांस का एक पुतला बाहर आया. वेदव्यास जी ने 100 मटके मंगवा कर सभी में एक-एक पीस डाल दिया और उस पर कपड़ा बांध दिया. ठीक 9 महीने के उपरांत सभी मटकों में से बच्चों के रोने की आवाजें आने लगीं. जब देखा गया तो सभी मटके फूट गए और उनमें से एक ही आयु के 100 पुत्र प्राप्त हुए. इससे उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा. माता गांधारी स्वयं के गर्भ से लड़की की प्राप्ति चाहती थी. वह भी बाद में दुशाला के रूप में 2 साल बाद जन्मी थी जिसका जयद्रथ के साथ विवाह हुआ था.
दुर्योधन का मटका पहले फूटा था इसलिए वह बड़ा माना गया था.
यह इस प्रश्न का उत्तर है की माता गांधारी के 100 पुत्र एक साथ कैसे पैदा हुए थे? यह महाभारत पुराण मे वर्णित है.’
नरेश नाथ कहते हैं कि हिन्दू धर्म समझें. यह बहुत प्राचीन होने के कारण इसके कई तथ्य मालूम नहीं हैं. ये शास्त्रों में लिखे हैं और हमने पढ़े नहीं हैं. बाकी सभी धर्म दो-चार सौ सालों में ही अस्तित्व में आए हैं. इसलिए उनके बारे में जानकारियां भी अधिक हैं और उनके मानने वाले भी कठोर हैं. यदि आप कोई आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं तो आपको उसका परिणाम भी उनके अनुयायियों द्वारा बहुत जल्द दिया जाता है. इसलिए कोई भी उन पर टिप्पणी नहीं करता है.
हिंदू धर्म शांत प्रिय और सभी को साथ में लेकर चलने वाला धर्म है आप प्रश्न के रूप में पूछें आपको हर उत्तर प्राप्त होगा. धर्म का जब जब आप मजाक उड़ाओगे पाप को प्राप्त हो जाओगे.