बोकारो थर्मल, रामचंद्र कुमार अंजाना
प्रकृति की पूजा का लोक पर्व करमा भाद्रपद शुक्ल कर्म एकादशी को बेरमो क्षेत्र में लोक गीतों व लोक नृत्य से सराबोर श्रद्धा व उल्लास के साथ शनिवार को मनाया गया। करमा पूजा के दौरान गांवों के चौक-चौराहे पर अखरा में सुबह से ही करमैती युवतियों व महिलाओं द्वारा जावा की डालियों के चारों ओर लोक नृत्य और गीतों से पूरा टोला मुहल्ला करम के उत्सव में करममय रहा। आदिवासी बहुल गांवों में तो रात में करम-पूजा के बाद मांदर पर पुरुषों की धातिंग-धातिंग थाप की मदमाती ताल पर करम पर्व के गीतों पर सारी रात युवतियों के पांव थिरकते रहे और जी भर कर ग्रामीणों ने करमपर्व का आनंद लिया।
की गई करम गोसाईं की पूजा: कर्म एकादशी के दिन व्रत उपवास करते हुए करमैती युवतियों ने रंग बिरंगे परिधानों में रात में करम गोसाईं के प्रतीक के रूप में अखरा में करम वृक्ष की डाली की खीरा और पकवान से पूजा की और अपने भाइयों के सुख-समृद्धि की कामना की। गांव के पाहन, बुजुर्ग या पंडित ने करमा-धरमा नामक दो भाइयों की लोक कथा सुनाई। इसके बाद मांदर की थाप पर करमा के परंपरागत गीत और नृत्य के साथ सारी रात जागरण किया गया।
डीजे धुन पर करमा का डांस: इस दौरान गांवों के अधिकांश अखरा को जहां रोशनी और रंगीन फूलों से सजाया गया था तो युवक और युवतियों ने डीजे की धुन पर डांस करते हुए करम उत्सव का आनंद लिया तो कई स्थानों परपरंपरागत ढंग से झुमर नाच और गान का भी आयोजन किया गया।