इंटरव्यू मनोरंजन

केबीसी की आत्मा हैं अमिताभ बच्चन, बीस साल में क्या-क्या करते थे सेट पर बता रहे हैं शो के डायरेक्टर अरुण शेष कुमार, पढ़ें पूजा सामंत से खास बातचीत

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रियालिटी शोज की दुनिया में अरुण शेष कुमार एक जाना-पहचाना नाम है। सत्यमेव जयते, सच का सामना, इंडियाज गॉट टैलेंट, नच बलिये, झलक दिखला जा, इंडियन आयडल, डांस इंडिया डांस जैसे कई हिट शोज को डायरेक्ट करने वाले अरुण ‘कौन बनेगा करोड़पति’ को दो दशक से डायरेक्ट कर रहे हैं। केबीसी का 12वां सीजन हाल ही में सोनी चैनल पर शुरू हुआ है। इस शो ने अपने प्रसारण के बीस साल पूरे कर लिए हैं। हाल ही अरुण शेष कुमार से उनके इस शानदार सफर को लेकर हमारी संवाददाता पूजा सामंत से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : ‘सुना है , अमित जी जब कोरोना पॉजिटिव निकले उसके पीछे यह वजह सुनने में आयी कि उनके घर पर केबीसी का प्रोमो शूट करने के लिए आपकी टीम गयी थी, जिससे वे संक्रमित हुए?
जवाब : यह सब अफवाहें हैं। हमने पहले यह सोचा था कि अगस्त के आखिर में केबीसी की शूटिंग शुरू कर देंगे लेकिन अमित जी ने खुद अपने कोविड पॉजिटिव होने की ट्वीट कर जानकारी दी। हम सभी को उनके ट्वीट से ही इसका पता चला। उनके घर -दफ्तर को सैनिटाइज करने की बात, हॉस्पिटल में एडमिट होने की बात भी उन्होंने ट्वीट की। उनके स्वास्थ्य से बढ़कर केबीसी का शूट नहीं है। उनके ट्रीटमेंट के दौरान हमने केबीसी के कैंडिडेट्स से को-ऑर्डिनेशन किया। देश के विभिन्न कोनों में रहने वाले कैंडिडेट्स के घर जाकर हमारी टीम उनके घर-दफ्तर पर शूट किया करती थी लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इस सीजन के लिए हमने प्रतियोगियों को उनके मोबाइल फोन से अपने वीडियोज शूट करने को कहा था। उन्होंने अपने वीडियोज बेहतरीन ढंग से शूट किये। इसीलिए अमित जी के घर कोई भी सदस्य नहीं पहुंचा बल्कि वे अस्पताल से स्वस्थ होकर घर लौटे और फिर पूरा विश्राम करने के बाद उन्होंने अपने वीडियोज हमें प्रोमो के लिए भेज दिए।

सवाल : कोरोना संक्रमण के कारण किस तरह की सुरक्षा आपने सेट पर रखी है?
जवाब : हम लगभग हर दिन सेट सैनेटाइज करते हैं। मास्क और हैंड सैनेटाइजर का प्रयोग तो अनिवार्य है ही। हमने इस बार हॉट सीट पर बैठे प्रतियोगी और अमित जी के बीच की दूरी भी अब नौ फुट कर दी है। हमने इस बार सेट का डिजाइन भी बदला है। पहले फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में सिलेक्ट हुआ प्रतियोगी भावुक होकर अमित जी के गले लग जाया करता था, उनके पैर छूता था। अब इस संक्रमण के डर से हमने हॉट सीट पर बैठने वाले उम्मीदवार को राइट टर्न रखा ही नहीं। वो अपनी सीट से सीधे हॉट सीट पर जा सकता है। हमने क्रू, जो पहले दो सौ लोगों का था अब फिर भी सौ लोगों का है। क्रू के लिए एक अलग एंट्रेन्स और अमित जी तथा प्रत्याशियों के लिए अलग रास्ते बनाए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाता है। इस बार दर्शक (ऑडियंस) भी नहीं हैं। हम लोग भी अमित जी से जब भी बात करते हैं, हमारे बीच एक ग्लास की दीवार होती है। जितना संभव हो हम सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं।

सवाल : आपने अमिताभ बच्चन को पिछले बीस वर्षों से करीब से देखा है। दुनिया के लिए वे स्टार ऑफ़ द मिलेनियम है, जिनकी एक झलक रुपहले पर्दे पर देखने लिए करोड़ों दर्शक आज भी उतने ही बेताब हैं जितने कल थे। क्या बदलाव देखते हैं आप उनमें खासकर बीस वर्षों के केबीसी के सेट पर?
जवाब : यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि और उतनी ही बड़ी इन्वेस्टमेंट है कि मुझे इतने बड़े महानायक के साथ वक्त बिताने का और बहुत कुछ सिखने का मौका मिला। मेरी जिंदगी समृद्ध होती गयी। अमित सर ने जैसे केबीसी के लिए हामी भर दी तब से अमित जी की बहुत ज्यादा इन्वॉल्वमेंट है इस शो में। वे खुद इम्प्रोवाइज करते हैं। अपना शत प्रतिशत नहीं 1000 प्रतिशत इसमें डालते हैं। अमित जी में कोई बदलाव नहीं आया बल्कि वे इस मायने से भी ध्यान देते रहे की बीस साल से चला आ रहा यह क़्विज शो हर उम्र, हर तबके के दर्शक को कैसे पसंद आता रहे, कैसे रिलेवेंट लगे? अमित जी हॉट सीट पर बैठे हर कैंडिडेट की बातें ध्यानपूर्वक सुनते हैं, जब भी संभव हो अपने संस्मरण जरूर सुनाते हैं जिसमें आम दर्शकों को बड़ी दिलचस्पी होती है। हॉट सीट पर बैठे कैंडिडेट्स के साथ अमित जी का इन्वॉल्वमेंट पहले से अधिक बढ़ता नजर रहा है। अमित जी कई मर्तबा जरूरतमंदों की मदद करते हैं। अमित जी इस शो की आत्मा हैं और आत्मा में कोई बदलाव हो नहीं सकता। उम्र के साथ अमित जी करिश्माई बन चुके हैं। एक बार की बात है जब केबीसी की एक जज रिचा अनिरुद्ध ने महानायक से पूछा की लॉकडाउन के दौरान क्या उन्होंने घर के कामकाज में हाथ बंटाया था? इस पर शहंशाह ने भी मजेदार जवाब दिया -उन्होंने कहा, मैंने लॉकडाउन के दिनों में हर दिन घर में झाड़ू पोछा किया चूंकि खाना बनाना मुझे नहीं आता।’ इस तरह के मजेदार जवाब अमित जी ही दे सकते हैं।

सवााल : क्या है महानायक की ‘केबीसी ‘ के सेट वाली दैनन्दिनी? क्या होता है उनका रोजाना शेड्यूल?
जवाब : केबीसी शुरू हुए बीस वर्ष हो चुके हैं। 2000 के दशक में आरम्भ हुए केबीसी के पहले शेड्यूल से पहले दिन से लेकर आज तक अमित सर उनके घर जुहू से गोरेगांव फिल्मसिटी स्टूडियो आने के लिए सुबह सात से सवा सात बजे तक निकलते हैं। शार्प नौ बजे वे फिल्मसिटी केबीसी सेट पर आते हैं। अमित जी की कार देखकर स्टूडियो के वॉचमैन पिछले बीस वर्ष से बिना घड़ी देखे समझ जाते हैं कि सुबह के नौ बज चुके हैं। उनकी टाइमिंग आज तक नहीं चेंज हुई। मुंबई में चाहे कितना भी ट्रैफिक हो वे वक्त पर आ ही जाते हैं। आते ही वे अपनी वैनिटी वैन में चले जाते हैं और मेकअप तथा ड्रेसिंग शुरू करते हैं। फिर मैं उनसे मिलकर उन्हें शो की ब्रीफिंग देता हू। हॉट सीट के कैंडिडेट की जानकारी से अवगत कराता हूं। बाकी पूरा शो स्पॉन्टेनियस होता है। शो की शूटिंग सुबह 11 बजे शुरू होती है। एक से सवा एक बजे तक पहला एपिसोड पूरा होता है। फिर लंच ब्रेक में सर का टिफिन उनके घर से आता है। दो बजे से चार बजे तक सर विश्राम करते हैं। अखबार पढ़ते हैं और चार बजे के शो की जानकारी भी हमसे लेते हैं। चार बजे फिर दूसरे एपिसोड की शूटिंग शुरू होती है जो छह साढ़े छह बजे तक चलती है। सर सेट से घर जाने के निकलते हैं तब तक आठ बज जाते हैं। पार्टिसिपेंट्स और उनके करीबी रिश्तेदार अमित सर के ऑटोग्राफ और फोटोग्राफ चाहते हैं। सर सभी की यह चाहत पूरी करते हैं।

सवाल : ‘किस तरह के संस्मरण हैं केबीसी के सेट से जुड़े अमित जी के?
जवाब : अमित जी से ही केबीसी की पहचान है और हर दूसरा भारतीय इस शो इस में हिस्सा लेना चाहता है। उसमें बड़ी राशि जीतने की जितनी अभिलाषा होती है उतनी ही मुराद होती है अमिताभ बच्चन से मिलने की। उनके अनगिनत गुण हैं, हजारों अच्छाइयां हैं पर उनके बारे में मेरा कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाने वाली बात होगी। बस,अभी अचानक केबीसी के सेट का एक वाकया याद आया। एक शॉट फिल्माते हुए मैंने अपने डीओपी (डायरेक्टर ऑफ़ फोटोग्राफी) से कहा कि मैं किस तरह का शॉट चाहता हूं। अभी हम दोनों की डिस्कशन्स हमारी कन्नड़ भाषा में चल रही थी कि सर ने हमारी बातचीत में हिस्सा लेते हुए बात आगे बढ़ाते हुए कन्नड़ में ही जवाब दिया। अब हम हक्का बक्का हुए और अमित जी से चौंक कर कहा, आप कैसे कन्नड़ जानते हैं सर?’ हम सभी जानते हैं, अमित जी को हिंदी, अंग्रेजी, भोजपुरी, बंगाली, पंजाबी जैसी कई भाषाएं अच्छे से आती हैं लेकिन कन्नड़ भी आती होगी यह कभी नहीं सोचा। मेरे सवाल का जवाब अमित जी दिया, मैंने छह महीने फिल्म ‘शोले ‘ शूटिंग बेंगलोर में की थी। कर्नाटक की राजधानी है बेंगलौर। तब से मुझे कन्नड़ भाषा का ज्ञान होने लगा। मैंने मुस्कुराकर कहा, अब तो महानायक के सामने किसी भी भाषा में बात करने पर कोई सीक्रेट रहने वाला नहीं। अमित जी, वैसे इंट्रोवर्ट हैं लेकिन केबीसी के सेट पर मैंने आम आदमियों की जिंदगी के साथ दिल खोलकर बातचीत करते देखा, उनके जीवन से रूबरू होते देखा है, उन्हें हंसते-हंसाते देखा, अमित जी बेमिसाल शख्सियत हैं। उनके जैसा कोई नहीं , न हो सकता है।

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