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सेहत की बात : त्रिफला चूर्ण का महात्म्य बता रहे हैं डा. रंजन विशद

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त्रिफला संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, त्रि यानी तीन और फला मतलब फल। इसका मतलब यह है कि त्रिफला तीन चीजें से बना मिश्रण है, जो चूर्ण के रूप में मिलता है।
आंवला – संस्कृत में इसे अमृतफल व आमलकी के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है। लोग इसे फल, जूस, अचार और चूर्ण के रूप में सेवन करते हैं। आंवला में प्रचूर मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसे पाचन शक्ति के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इसके अलावा, ये निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में भी फायदेमंद साबित होता है ।
इसमें मौजूद विटामिन-सी एनीमिया के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है।
यह शरीर को डिटॉक्सीफाई कर सकता है।
शरीर को ठंडा रखने में मदद कर सकता है।
दस्त में भी फायदेमंद माना जाता है।
यह लिवर, हृदय व फेफड़ों के लिए भी अच्छा हो सकता है। त्वचा में चमक ला सकता है।
बहेड़ा – इसे भी औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। बहेड़ा को बिभीतकी और  विभिता नाम से भी जाना जाता है। इसके सेवन से होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार हैं
बहेड़ा में दर्दनिवारक गुण होते हैं।
डायरिया में इसका उपयोग किया जा सकता है।
इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं।
हेयर टॉनिक के रूप में जाना जाता है।
बुखार को कम करने और घाव को भरने में मदद कर सकता है। इम्यून सिस्टम को बूस्ट कर सकता है।

हरड़ – इसे संस्कृत में हरितकी के नाम से जाना जाता है। यह अखरोट जैसा फल होता है। इसे तब तोड़ा जाता है, जब यह पककर पीले रंग का हो जाता है। इसे आमतौर पर ‘हर्रे’ भी कहते हैं। हरड़ किस प्रकार स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, आइए नीचे जानते हैं –
यह पेट दर्द के लिए फायदेमंद माना जाता है।
आंखों में होने वाली सूजन (Opthalmia) को भी कम कर सकता है।
ब्लीडिंग गम यानी मसूड़ों से बहते खून को कम कर सकता है, दर्दनिवारक, घावों को भरने की क्षमता, भूख बढ़ाने, पाचन को बेहतर करने, लिवर को स्वस्थ रखने।
इन तीनों फलों को विभिन्न शारीरिक समस्याओं के लिए अलग-अलग उपयोग भी किया जाता है। वहीं, जब इन तीनों का मिश्रण त्रिफला के रूप में बनता है, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं।
त्रिफला चूर्ण के फायदे

1. पाचन के लिए त्रिफला के फायदे
गलत खान-पान या ज्यादा बाहर का तैलीय खाना खाने से पेट और पाचन संबंधी परेशानियां हो सकती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए त्रिफला चूर्ण अच्छा विकल्प हो सकता है। त्रिफला के औषधीय गुण पाचन शक्ति में सुधार कर पेट से संबंधित परेशानियों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। खाने को अच्छे से पचाने के साथ ही त्रिफला शरीर में खाने को अवशोषित करने में भी मदद कर सकता है  (1)। यह पेट से संबंधित अन्य समस्याओं जैसे – कब्ज और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) को भी ठीक कर सकता है।

2. आंखों के लिए त्रिफला के फायदे

शरीर के अन्य अंगों की तरह आंखों का ध्यान रखना भी जरूरी है। त्रिफला आंखों के स्वास्थ्य के लिए टॉनिक का काम कर सकता है। यह आंख के लेंस में ग्लूटाथिओन (एक तरह के एंटीऑक्सीडेंट) के स्तर को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, त्रिफला मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने में भी कुछ हद तक मददगार हो सकता है  फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
त्रिफला चूर्ण के सेवन के साथ ही इससे आंख को धोया भी जा सकता है। दरअसल, त्रिफला चूर्ण को रातभर पानी में भिगोकर इसके पानी को छानने के बाद आंखों को धोने में इस्तेमाल किया जाता है। यह आंखों की लालीमा और मोतियाबिंद दोनों के लिए फायदेमंद माना गया है । आंखों से बहते चिपचिपे पदार्थ (आई डिस्चार्ज) को भी ठीक करने के लिए त्रिफला का इस्तेमाल किया जा सकता है।

3. वजन कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे
कुछ लोग मोटापा कम करने के लिए डाइटिंग या जिम का सहारा लेते हैं, लेकिन कुछ खास असर नहीं होता। ऐसे में अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो कुछ हद तक फायदा हो सकता है। त्रिफला चिकित्सीय एजेंट की तरह काम कर सकता है। यह न सिर्फ वजन को कम करने में मदद कर सकता है, बल्कि शरीर का फैट भी कम कर सकता है।
जिम, व्यायाम या योग के साथ-साथ अगर त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाए, तो फर्क नजर आ सकता है। वजन कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिलाकर दिनभर में दो से तीन बार सेवन कर सकते हैं।

4. कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे
कब्ज के कारण पेट में गैस व दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में त्रिफला चूर्ण का सेवन कुछ हद तक इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन में कहा गया है कि इसके सेवन से गैस, कब्ज और अन्य पेट संबंधी परेशानियों से राहत मिल सकती है । इसमें मौजूद टैनिक और गैलिक एसिड कब्ज की समस्या को कम करने में लाभकारी माने गए हैं ।
कब्ज की समस्या से बचने के लिए रोज रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म पानी में एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर सेवन किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे पीने के बाद किसी और चीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
5. रक्तचाप और स्वस्थ हृदय के लिए
त्रिफला चूर्ण को उच्च रक्तचाप कम करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है  इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय रोगों से बचाने में मदद कर सकता है। दरअसल, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल को हृदय रोग के मुख्य जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। त्रिफला चूर्ण, इन जोखिमों को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है ।

6. वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के लिए त्रिफला के फायदे

वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा कम करने के लिए त्रिफला चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है। सालों से आयुर्वेद में त्रिफला को वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों से शरीर को बचाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। दरअसल, त्रिफला चूर्ण में  एंटीबैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटीपायरेटिक (Antipyretic – बुखार कम करने वाला) गुण होते हैं। एंटी-बैक्टीरियल गुण एक ओर जीवाणुओं से शरीर को बचाने में मदद करता है, तो दूसरी ओर एंटीपाएरेटिक गुण बुखार से शरीर को बचाने में मदद कर सकता है । इसके साथ ही त्रिफला में इम्यूनिटी मॉडयूलेटरी गुण भी होते हैं, जो शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है।

7. रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए त्रिफला के फायदे

जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि त्रिफला में इम्यूनिटी मॉडयूलेटरी गुण होते हैं। दरअसल, रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होते ही शरीर को तरह-तरह की बीमारी जकड़ लेती है। ऐसे में त्रिफला में मौजूद विभिन्न एक्टिव कंपाउंड जैसे – गैलिक एसिड (Gallic acid) और एलेजिक एसिड (Ellagic acid) एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करते हैं, जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार का काम कर सकते हैं ।
8. डायबिटीज के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे
त्रिफला चूर्ण डायबिटीज के रोगियों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है। इसके नियमित सेवन से ब्लड ग्लूकोज लेवल कम हो सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-डायबिटिक और हाइपोग्लिसेमिक प्रभाव होते हैं, जो टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते है ।

9. घाव भरने के लिए त्रिफला के फायदे

लोगों को अगर कहीं हल्की चोट या घाव लगे, तो त्रिफला घाव को भरने में मदद कर सकता है। दरअसल, त्रिफला में वुंड हिलिंग गुण होते हैं, जो घाव को भरने में मदद कर सकते हैं ।
10. रक्त प्रवाह के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे

त्रिफला चूर्ण में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने के भी गुण पाए जाते हैं।
11. डिटॉक्सिफिकेशन के लिए त्रिफला
शरीर में जमा टॉक्सिक यानी विषैले तत्व को बाहर निकालने को डिटॉक्सिफिकेशन कहते हैं। प्राचीन काल से ही त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल डिटॉक्सीफिकेशन के लिए किया जाता रहा है । पर्यावरण, दूषित भोजन और कॉस्मेटिक्स की वजह से शरीर के अंदर पहुंचे वाले टॉक्सीन विभिन्न अंग जैसे कि किडनी, लंग्स और लिवर के कार्य को प्रभावित करते हैं। इसी वजह से समय-समय पर शरीर को डिटॉक्सीफाई करना जरूरी होता है, जिसमें त्रिफला चूर्ण मदद कर सकता है ।

12. बोन हेल्थ – जोड़ों के दर्द या गठिया के लिए त्रिफला पाउडर के फायदे
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियां कमजोर होने लगती है। कई लोगों को जोड़ों के दर्द की शिकायत होने लगती है। आगे चलकर यह गठिया बीमारी का रूप ले सकता है। ऐसे में त्रिफला चूर्ण का सेवन लाभकारी हो सकता है। त्रिफला चूर्ण हड्डियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो गठिया के सूजन को कम करने में मदद कर सकता है । गठिया के लक्षण को कम करने के लिए एक चम्मच त्रिफला पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर पी सकते हैं।

13. ओरल हेल्थ (दांत और मुंह की दुर्गंध) के लिए त्रिफला
शरीर के अन्य अंगों की तरह मुंह का ध्यान रखना भी जरूरी है। ओरल हेल्थ की तरफ ध्यान न देने से दांतों से जुड़ी परेशानी, मसूड़ों में दर्द और मुंह से बदबू आने जैसी समस्या हो सकती है। इस परेशानी से राहत पाने के लिए त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है। त्रिफला मे एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह में बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, त्रिफला चूर्ण में एंटीकैरीज गतिविधि होती है, जो दातों को कैरीज (दंत क्षय) से बचाने का काम कर सकता है। इसके अलावा, मसूड़ों से निकलने वाले खून की समस्या को भी कम करने में इसे फायदेमंद माना जाता है। ओरल हेल्थ के लिए त्रिफला चूर्ण को पानी में डालकर इससे कुल्ला किया जा सकता है । माउथ वॉश की तरह इसका उपयोग करने से मसूड़ों में संक्रमण व दर्द की समस्या कम हो सकती है ।
14. तनाव और चिंता को कम करने के लिए
तनाव और चिंता जैसी मानसिक समस्या को दूर करने के लिए त्रिफला चूर्ण का उपयोग फायदेमंद साबित हो सकता है।
15. इंफ्लामेशन व सूजन कम करने के लिए त्रिफला
त्रिफला चूर्ण के फायदे में सूजन यानी इंफ्लामेशन की समस्या को कम करना भी शामिल है। इससे गठिया, डायबिटिज, कैंसर और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है । इससे बचाव के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो इंफ्लामेशन व सूजन की समस्या को कम कर सकता है । एक अध्ययन में कहा गया है कि इसमें मौजूद मेथनॉल एक्सट्रैक्ट से सूजन और दर्द कुछ हद तक कम हो सकता है ।

16. हार्मोनल असंतुलन – कैंसर से बचाव करे त्रिफला
त्रिफला चूर्ण का सेवन कैंसर से बचाव में मददगार हो सकता है। दरअसल, त्रिफला में एंटी कैंसर गुण मौजूद होते हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं। माउथवॉश की तरह इस्तेमाल करने से त्रिफला युवा वयस्कों में तंबाकू की वजह से होने वाले कैंसर के सेल्स को मुंह में पनपने से रोक सकता है। एक अध्ययन में कहा गया है कि त्रिफला में एंटीनोप्लास्टिक एजेंट होते हैं। यह एंटीनोप्लास्टिक गुण ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकता है। यह गुण ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कोलन और अग्न्याशय सहित कई कैंसर सेल्स पर प्रभाव दिखा सकता है । माना जाता है कि यह हार्मोनल असंतुलन को भी ठीक करने में मदद कर सकता है, हालांकि इससे संबंधित कोई शोध उपलब्ध नहीं है।

17. चक्कर या मोशन सिकनेस के लिए त्रिफला चूर्ण के लाभ
कभी-कभी लोगों को चक्कर आने की समस्या या फिर बस व गाड़ी में उल्टी आने की परेशानी होती है। उल्टी आने के साथ ही सिरदर्द की समस्या भी हो जाती है। इस स्थिति में त्रिफला का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इस मोशन सिकनेस को कम करने में विटामिन-सी एक अहम भूमिका निभाता है। जैसा कि हमने बताया कि त्रिफला में आंवला होता है, जो कि विटामिन-सी से भरपूर होता है। इसी वजह से मोशन सिकनेस से राहत पाने के लिए त्रिफला को फायदेमंद माना जाता है । इसके अलावा, बहेडामें मौजूद गैलिक और टैनिक एसिड उल्टी की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं ।
18 . त्वचा को जवां बनाने के लिए त्रिफला चूर्ण
त्वचा को सेहतमंद और जवां रखने के लिए त्रिफला चूर्ण अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण न सिर्फ त्वचा की कोशिकाओं के लिए रक्षक का काम कर सकते हैं, बल्कि त्वचा की देखभाल कर उसे स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। साथ ही माना जाता है कि यह एजिंग के लक्षण को भी कम कर सकता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट स्किन एजिंग को रोकने में मदद करने के साथ ही त्वचा को बीमारियों से बचाए रखने में सहायक हो सकता है । इसके अलावा, खुजली व जलन जैसी परेशानी से छुटकारा दिलाने में भी त्रिफला चूर्ण सहायक साबित हो सकता है । इसी वजह से माना जाता है कि त्रिफला चूर्ण त्वचा को जवां बनाने में मददगार हो सकता है।
19. बालों के लिए त्रिफला चूर्ण के लाभ
लंबे, घने व चमकदार बाल पाना लगभग हर महिला की इच्छा होती है। इस इच्छा को त्रिफला चूर्ण पूरा कर सकता है। माना जाता है कि यह बालों की ग्रोथ में मदद कर सकता है। ऐसा इसमें मौजूद आंवले की वजह से हो सकता है । बालों के स्वास्थ्य के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के साथ ही बालों को धोया भी जा सकता है। दरअसल, त्रिफला पाउडर को गुनगुने पानी में मिलाकर उससे बाल धोने से डैंड्रफ कम हो सकता है

त्रिफला चूर्ण का उपयोग – खाने का सही समय और सही तरीका

त्रिफला चूर्ण खाने के फायदे जानने के बाद त्रिफला चूर्ण खाने की विधि भी जानना जरूरी है। इसी वजह से हम आगे त्रिफला चूर्ण खाने का तरीका बता रहे हैं।
नींबू के साथ त्रिफला

इस चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर पी सकते हैं। अगर इसका स्वाद पसंद न आए, तो इसका रस बनाकर भी पी सकते हैं। त्रिफला रस के फायदे भी चूर्ण जैसे ही होते हैं। त्रिफला रस बनाने के लिए पानी में त्रिफला चूर्ण, थोड़ा शहद और नींबू का रस मिला लें। ध्यान रहे कि इन सामग्रियों को हल्का उपयोग करें, ताकि त्रिफला के स्वाद में थोड़ा बदलाव आए। इसे रात में सोने से पहले ले सकते हैं।
त्रिफला चाय 

त्रिफला चूर्ण का उपयोग चाय के रूप में भी कर सकते हैं। त्रिफला चूर्ण को पानी में उबालकर इसमें थोड़ा शहद मिला लें। सुबह-शाम इसका सेवन सामान्य चाय की जगह किया जा सकता है।
आंखों के लिए त्रिफला का उपयोग 

त्रिफला चूर्ण से आंखों को धो भी सकते हैं। बस एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी में डालकर रातभर के लिए छोड़ दें और फिर सुबह इसे छान लें। फिर इस मिश्रण से आंखों को धोएं । इसे त्रिफला रस के फायदे में गिना जाता है।
चेहरे के लिए त्रिफला मास्क – त्रिफला चूर्ण का उपयोग फेस पैक की तरह भी हो सकता है। त्वचा को निखारने और बेदाग बनाने के लिए इसे फेस मास्क व पैक की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि-

त्रिफला पाउडर आसानी से बाजार में उपलब्ध है, लेकिन इसे घर पर बनाना भी आसान है। इसी वजह से हम नीचे घर में ही त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि बता रहे हैं।
नोट – खरीदने से पहले, ध्यान रखें कि त्रिफला चूर्ण में पड़ने वाली सामग्रियां (हरड़, बहेडा और आंवला) 1: 2: 4 के अनुपात में होनी चाहिए।

सामग्री :

हरड़ – 20 ग्राम

बहेड़ा -40 ग्राम

आंवला – 80 ग्राम
बनाने की विधि :
सबसे पहले सभी कच्ची सामग्रियों को एक-एक करके ओखली में डालें और पीसकर बारीक पाउडर बना लें।
फिर सभी को छान लें।अब इन चूर्ण को मिला लें।
इस मिश्रण को एक जार में डाल लें।बस तैयार है त्रिफला चूर्ण, जिसका उपयोग रोजाना किया जा सकता है।
त्रिफला चूर्ण की खुराक 
त्रिफला चूर्ण खाने के फायदे तभी हो सकते हैं, जब इसे संयमित मात्रा में खाया जाए। वैसे त्रिफला चूर्ण की खुराक की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि इसका सेवन किस स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जा रहा है। जैसे कि त्रिफला के औषधीय गुण की वजह से डायबिटीज के लिए 45 दिन तक पांच ग्राम त्रिफला का सेवन किया जा सकता है । वहीं, त्वचा संबंधी समस्या को कम करने के लिए खाने से पहले दो बार 5-5 ग्राम त्रिफला का सेवन किया जा सकता है।
त्रिफला चूर्ण के नुकसान 

वैसे तो त्रिफला को सुरक्षित माना गया है और रिसर्च में भी इसके साइड इफेक्ट न के बराबर होते हैं, ऐसा जिक्र मिलता है । वहीं, इसके अधिक सेवन से त्रिफला चूर्ण के फायदे की जगह नुकसान भी हो सकते हैं। नीचे हम संभावित त्रिफला चूर्ण के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।

त्रिफला लिवर कोशिकाओं में पाए जाने वाले एंजाइम (साइटोक्रोम P450) की गतिविधि को बाधित कर सकता है । दरअसल, यह एंजाइम कई दवाओं के चयापचय के लिए आवश्यक होता है ।

डिप्रेशन की दवा के प्रभाव को कम कर सकता है। त्रिफला में मौजूद हरड़ को इसका जिम्मेदार माना जा सकता है ।
गर्भावस्था में त्रिफला में मौजूद हरड़ को सुरक्षित नहीं माना जाता है ।

प्रस्तुति – डा. रंजन विशद, मेडिकल अफसर, मीरगंज, बरेली 

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