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एक्सक्लूसिव : भाजपा नेता के विनायक अस्पताल का एक और कारनामा, अनुपम कपूर ने साधी चुप्पी, सीएमओ भी खामोश, पढ़ें क्या है पूरा मामला

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नीरज सिसौदिया, बरेली
भाजपा नेता अनुपम कपूर का विनायक अस्पताल एक बार बार फिर विवादों में आ गया है. इस बार भी कोविड मरीज से सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को दरकिनार कर मनमाने पैसे वसूलने का मामला सामने आया है. ऐसा ही एक मामला विगत सात मई का सामने आया था जिसे कंप्यूटर की गड़बड़ी बताते हुए रफा दफा कर दिया गया था. ताजा मामला कंप्यूटर की गड़बड़ी ठीक होने के बाद का है. इस संबंध में जब भाजपा नेता और अस्पताल संचालक अनुपम कपूर से बात की गई तो उन्होंने मामला चेक करवाने की बात कही. वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके गर्ग की ओर से कोई जवाब नहीं आया. समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव और जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश पांडेय ने मामले को गंभीर बताते हुए सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने और कार्रवाई नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है.
मूलरूप से बसुंधरा सिटी थाना सुनगढ़ी जिला पीलीभीत निवासी अनूप अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने विगत 27 अप्रैल को अपने 48 वर्षीय भाई नवनीत अग्रवाल को कोरोना होने पर बरेली के सिटी स्टेशन रोड स्थित विनायक अस्पताल में भर्ती कराया था.
अस्पताल में भर्ती कराते ही एडमिशन/रजिस्ट्रेशन के नाम पर तीन हजार रुपये लिए गए. साथ ही बेड चार्ज के 13 हजार रुपये प्रतिदिन के लिए गए जबकि सरकार की ओर से बेड चार्ज एनएवीएच हॉस्पिटल के लिए दस हजार और नॉन एनएवीएच के लिए आठ हजार रुपये निर्धारित किए गए हैं. सरकार की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार बेड चार्ज में ही ऑक्सीजन का चार्ज भी शामिल है. कोई भी अस्पताल मरीज से ऑक्सीजन का चार्ज अलग से नहीं ले सकता. इसके बावजूद उक्त मामले में तीन हजार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से 16 यूनिट के 48 हजार रुपये लिए गए. साथ ही मॉनिटर चार्ज के नाम पर पांच सौ रुपये के हिसाब से छह हजार रुपये लिए गए.

विनायक अस्पताल द्वारा बनाया गया बिल.

इतना ही नहीं नर्सिंग चार्ज भी दो हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब 32 हजार रुपए लिए गए जबकि अनूप अग्रवाल का कहना है कि मरीज को पानी पिलाने से लेकर दवा देने तक का सारा काम तीमारदार को ही करना पड़ रहा था. इसके अलावा डाक्टर अर्जुन गुप्ता और डा. पुनीत अग्रवाल की कंसलटेशन फीस के नाम पर कुल 51 हजार रुपये लिए गए. प्रत्येक डा. की फीस 25500 रुपये ली गई है. वहीं नेबुलाइजेशन, ईएमओ और क्रिटिकल केयर के नाम पर लगभग दस हजार रुपए वसूले गए हैं. डायग्नोस्टिक और लैबोरेटरी चार्ज के नाम पर छह हजार रुपये लिए गए हैं.
अनूप अग्रवाल का कहना है कि उनका भाई 16 दिन विनायक अस्पताल में भर्ती रहा. इन 16 दिनों का बिल 3 लाख 68 हजार रुपये लिया गया.
उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किल से कर्ज लेकर यह राशि अदा की है. सरकार को यह सोचना चाहिए कि इतना महंगा इलाज कैसे करा पाएगा? अस्पतालों की इस लूट से आम जनता को निजात दिलाई जाए.

अनुपम कपूर

इस संबंध में जब विनायक अस्पताल के संचालक भाजपा नेता अनुपम कपूर से बात की गई तो उन्होंने बिल की कॉपी वॉट्सएप करने को कहा. उन्हें बिल की कॉपी वॉट्सएप करने के 24 घंटे बाद भी उनका कोई जवाब नहीं आया.
वहीं जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके गर्ग को बिल की कॉपी वॉट्सएप पर भेजकर कार्रवाई की बात कही गई तो उनका भी कोई जवाब नहीं आया.

महेश पांडेय

इसके बाद विनायक अस्पताल के खिलाफ लिखित शिकायत देने वाले समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला महासचिव और जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश पांडेय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन और लापरवाह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ वह लड़कों पर उतरकर आंदोलन तो करेंगे ही. साथ ही अधिकारियों और अस्पताल संचालक पर एफआईआर दर्ज कराने को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर करेंगे. उन्होंने कहा कि अस्पताल चाहे भाजपा नेता का हो या किसी और का, जनता की जिंदगी से खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है.आपदा की इस घड़ी को अवसर समझने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जो भी पीड़ित हों वे मुझसे संपर्क करें. हम उनकी लड़ाई लड़ेंगे. सड़कों पर उतरकर भी लड़ेंगे और कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि रेगुलेटरी अथॉरिटी को भी बख्शा नहीं जाएगा. चाहे वह सीएमओ हों या एडी हेल्थ हों जो मूकदर्शक बनकर बैठे हुए हैं. अपनी कुर्सी बचाने के लिए सत्ता की दलाली कर रहे हैं. इन सबके खिलाफ हम लड़ाई लड़ेंगे.

भाजपा की छवि भी हो रही धूमिल
विनायक अस्पताल के लगातार विवादों में आने के कारण भाजपा की छवि भी धूमिल होती जा रही है. लोगों का कहना है कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ अपनी पार्टी के नेताओं के अस्पतालों पर ही शिकंजा नहीं कस पा रहे हैं तो बेहतर इलाज की उम्मीद किससे करें. उनका कहना है कि पीएम मोदी और योगी सरकार ने जनता को राहत पहुंचाने के लिए निजी अस्पतालों को कोविड अस्पतालों में कनवर्ट किया लेकिन अब वही अस्पताल जनता को लूटने का काम कर रहे हैं. सरकार ने जनता को राहत पहुंचाने के लिए रेट निर्धारित किए लेकिन खुद उनकी ही पार्टी के नेताओं के अस्पतालों में मनमाने पैसे वसूले जा रहे हैं. ऐसे में जनता जाए तो कहां जाए?

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