जिस गली से गुजरो सलाम हो तुमको।
सबकी खुशी का पैगाम हो तुमको।।
महसूस हो दर्द सबका तुम्हारे दिल में।
सुन सबकी खैरियतआराम हो तुमको।।
हर किसी के ही काम तुम आ सको।
जो भी मिले खास ओ आम हो तुमको।।
मोहब्बत से तो भरोसा कभी न उठे।
चाहे लगे इसका मंहगा दाम हो तुमको।।
कभी दामन सच का तुम मत छोड़ना।
चाहे मिले न कोई ईनाम हो तुमको।।
खुद पर यक़ीन कभी मत तुम छोड़ना।
चाहे मिले नाउम्मीदी कलाम हो तुमको।।
*हंस* कभी गैरतऔर जमीर बिकने न पाये।
चाहे बुरा से बुरा भी अंजाम हो तुमको।।
-एस के कपूर “श्री हंस”
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