विचार

साहित्य की बात : कवि और समाजसेवी का संगम हैं ऋषि कुमार शर्मा

Share now

जनपद बरेली में रहने वाले कवि एवं समाजसेवी ऋषि कुमार शर्मा लगभग 30 वर्षों से समाज सेवा के क्षेत्र में समर्पित भाव से सक्रिय हैं। समाज सेवा के साथ ही साथ वह साहित्यिक क्षेत्र में भी दखल रखते हैं और लगभग सभी विधाओं में लिखने वाले समर्थ रचनाकार हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संस्था -लायंस क्लब द डिस्ट्रिक्ट लेवल के पदाधिकारी रहे तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्था -रोटरी क्लब बांस बरेली में विगत 18 वर्षों से सक्रिय हैं. अध्यक्ष एवं सचिव के पदभार के साथ ही साथ कई वर्षों से वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद को सुशोभित कर रहे हैं। साथ ही अखिल भारतीय संस्था- संस्कार भारती (जो साहित्य एवं ललित कलाओं के लिए समर्पित है) के नियमित 5 वर्षों से बरेली अध्यक्ष का पद भी सुशोभित कर रहे हैं। साथ ही अनेक साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी के रूप में सक्रियता से सेवाएं दे रहे हैं।


इनके तीन सांझा काव्य संग्रह एहसास प्यार का, अलकनंदा एवं काव्य स्पर्श प्रकाशित हो चुके हैं. हाल ही में उनका नवीनतम काव्य संग्रह ‘दीप चाहत के’ प्रकाशित हुआ है। जिसे पाठकों के बीच काफी सराहा जा रहा है। काव्य संग्रह में विभिन्न विधाओं की कविताएं संग्रहित हैं। आपके समस्त काव्य संग्रह अमेजॉन पर उपलब्ध हैं।
आपके पिता कीर्तिशेष कर्नल पतंजलि शर्मा जी एवं माता स्व. रूबी शर्मा थीं। 29 जून वर्ष 1956 को जन्मे व मूल रूप से ग्राम गुराई जिला बदायूं के रहने वाले ऋषि कुमार बीकॉम पास हैं.
आकाशवाणी बरेली एवं रामपुर के साथ ही दूरदर्शन, बरेली पर आप नियमित रूप से काव्य पाठ कर रहे हैं। बहजोई( मुरादाबाद), बुलंदशहर, फतेहगढ़, सितारगंज ( उत्तराखंड), गाजियाबाद, नई दिल्ली एवं बरेली आदि शहरों में सुप्रतिष्ठित मंचों से काव्य पाठ कर चुके हैं।
आपको एक दर्जन से अधिक साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित/अभिनंदित किया जा चुका है।
ऋषि कुमार जनपद न्यायालय बरेली के प्रबंधक रीडर के पद से जून 2016 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अपनी व्यस्ततम दिनचर्या के बीच भी लेखन एवं समाज सेवा के लिए समय निकालने के साथ ही आपने सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं में पूर्ण रूप से सक्रिय रहकर उत्कृष्ट कार्यों से विशिष्ट छाप छोड़ी है।
वह साहित्य प्रेमियों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों के के मध्य अपने रचनात्मक व्यक्तित्व के कारण अत्यंत लोकप्रिय हैं। मानवीय मूल्यों की स्थापना में उनका विशेष सहयोग है.
प्रस्तुति- उपमेन्द्र सक्सेना एड. (साहित्यकार) बरेली

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *