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पिता को लकवा मार गया था, मां की हो चुकी थी मौत, बेसहारा बेटी का मेयर बने सहारा, शान से उठी डोली, पढ़ें पूरा मामला 

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बेबसी की राहों पर अरमानों का सफर मुश्किल होता है पर नामुमकिन नहीं. एक छोटा सा प्रयास अगर दिल से किया जाए तो किसी की भी तकदीर बदली जा सकती है. बरेली की लक्ष्मी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
लक्ष्मी के पिता सूरजपाल को काफी समय पहले लकवा मार गया था. जिस कारण वह काम करने में असमर्थ थे. उनकी पत्नी की भी मौत हो चुकी थी. ऐसे में जवान बेटी की डोली विदा कर उसे ससुराल भेजने का उनका सपना दम तोड़ता जा रहा था. सूरजपाल को बेटी की चिंता अंदर ही अंदर खाए जा रही थी लेकिन बेबसी ने उसके हाथों को बांध रखा था. इसी बीच कुछ समाजसेवियों को इस बारे में पता चला तो वे तत्काल लक्ष्मी के घर पहुंचे और सूरजपाल से पूरी जानकारी ली.

सूरजपाल की दयनीय हालत देखने के बाद समाजसेवियों की ओर से लड़के की तलाश की गई. इसके बाद पीलीभीत निवासी फतेह लाल के पुत्र बलवीर को लक्ष्मी के योग्य पाया गया. इसके बाद बलवीर के साथ लक्ष्मी की शादी तय कर दी गई. शादी के लिए 22 मई का शुभ मुहूर्त निकाला गया लेकिन सबसे बड़ी समस्या शादी के खर्च को लेकर थी. सूरजपाल ठीक तरह से घर का खर्च तक चलाने में सक्षम नहीं था. ऐसे में बेटी की शादी का खर्च उठा पाना और उसे जरूरत का सामान दे पाना उसके बस की बात नहीं थी. इस पर कुछ समाजसेवी बरेली के मेयर डा. उमेश गौतम के पास पहुंचे और उन्हें लक्ष्मी के बारे में बताया. इस पर मेयर ने तत्काल गरीब बेटी के विवाह के लिए जरूरी सामान देने पर सहमति जताई, साथ ही खुद शादी में पहुंच कर वर-वधू को आशीर्वाद देने का भरोसा भी दिलाया. इसके बाद 22 मई को वह शुभ दिन आ गया. मेयर डा. उमेश गौतम ने गरीब बेटी को जरूरत का सामान और आशीर्वाद देकर शादी को यादगार बना दिया. लक्ष्मी हंसी-खुशी अपने ससुराल के लिए विदा हो गई. सूरजपाल का वर्षों पुराना सपना साकार हो गया. शादी समारोह का आयोजन श्री शिरडी साईं सेवा ट्रस्ट बरेली के मंदिर में किया गया. ज्ञानी काले सिंह सहित कई लोग इस यादगार पल के गवाह बने. साथ ही मेयर डा. उमेश गौतम का आभार भी जताया.

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