नीरज सिसौदिया, बरेली
जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा के लिए नाक का सवाल बना हुआ है. कहते हैं यह चुनाव सत्ता का होता है यानि जिसकी सत्ता होती है अध्यक्ष भी उसी का होता है. फिर चाहे विपक्षी पार्टी भले ही जिला पंचायत सदस्य की ज्यादा सीटें जीती हो. इस बार भी प्रदेश की 65 सीटों पर भाजपा नेता अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का दावा कर रहे हैं. प्रदेश के 11 जनपदों में पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नामांकन कराने नाकाम रहे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इन जिलों के जिला अध्यक्ष बर्खास्त करने का फरमान भी जारी कर दिया है. वहीं कुछ जिलों में सपा नेताओं के साथ मारपीट के मामले भी सामने आ चुके हैं. ऐसे में भाजपा का 65 सीटों पर अध्यक्ष बनाने का दावा सही साबित होता नजर आने लगा है लेकिन बरेली में परिस्थितियां एकदम उलट हैं. बरेली में समाजवादी पार्टी ने भाजपा से कहीं अधिक जिला पंचायत सदस्य की सीटें जीती हैं लेकिन बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी है. ऐसे में माना जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी बाकी सदस्यों को अपने पाले में करके अपना अध्यक्ष बना लेगी लेकिन जब रश्मि पटेल को उम्मीदवार बनाया गया तो भाजपा के ही कुछ दिग्गज नेताओं की भौंहें तन गईं. ये उस दिग्गज नेता के समर्थक हैं जो वर्ष 2009 में लोकसभा का चुनाव हार गए थे. इस हार के बाद उक्त नेता के एक रिश्तेदार ने पूर्व मेयर सुभाष पटेल और उनके बेटे प्रशांत पटेल पर हार का ठीकरा फोड़ा था. सूत्र बताते हैं कि उस वक्त एक बैठक में नौबत हाथापाई तक जा पहुंची थी लेकिन बीच बचाव करा दिया गया था. अब जब सुभाष पटेल की पुत्रवधु मैदान में हैं तो उस नेता के समर्थक उनके खिलाफ हो गए हैं. चर्चा यह भी है कि सारे लालच देने के बावजूद भाजपा बहुमत के आंकड़े के आसपास भी नहीं फटक पा रही है. वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी अपने समर्थन में 40 से अधिक जिला पंचायत सदस्य जुटा चुकी है.
सूत्र बताते हैं कि इस काम में एक दिग्गज भाजपा नेता ने सपा प्रत्याशी की मदद की है. ऐसे में भाजपा प्रत्याशी के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत पाना फिलहाल मुश्किल प्रतीत होता है. चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है. इस बीच अगर कोई करिश्मा हो जाए तो ठीक वरना रश्मि पटेल को निराशा झेलनी पड़ सकती है. विनीता गंगवार की राह अब आसान होती नजर आ रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि बरेली जिला पंचायत अध्यक्ष का ताज किसके सिर पर सजेगा.