यूपी

कैंट विधानसभा सीट : मुस्लिमों में इं. अनीस, हिन्दुओं में पवन सक्सेना, आईएस तोमर व नूतन शर्मा में है टिकट के लिए अंतिम मुकाबला, पढ़ें क्या है वजह?

Share now

नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी अक्टूबर माह में उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए कुछ सीटों पर सर्वे हो चुका है, कुछ सीटों पर अंतिम चरण में है तो कुछ सीटों पर अभी शुरू हो रहा है. बरेली की बात करें तो यहां कैंट और शहर दो विधानसभा सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं. वैसे तो कैंट विधानसभा सीट पर दावेदारों की लिस्ट काफी लंबी है. लगभग एक दर्जन से भी अधिक दावेदारों ने टिकट के लिए आवेदन किया है लेकिन अंतिम और मुख्य मुकाबला गिने-चुने चेहरों में ही नजर आ रहा है. समाजवादी पार्टी हर बार इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारती आ रही है. अगर समाजवादी पार्टी ने इस बार कोई बदलाव नहीं किया तो इंजीनियर अनीस अहमद की राह आसान हो जाएगी क्योंकि मुस्लिम दावेदारों में फिलहाल कोई भी ऐसा दावेदार सपा में नजर नहीं आता जो इंजीनियर अनीस के बराबर का सियासी कद और जमीनी पकड़ रखता हो. इसका नमूना पिछले दिनों वह अलग-अलग मौकों पर दिखा भी चुके हैं.

इंजीनियर अनीस अहमद

वहीं, अगर समाजवादी पार्टी इस बार पुरानी परंपरा को बदलती है तो हिन्दुओं में फिलहाल तीन चेहरे इस दौड़ में सबसे आगे नजर आ रहे हैं. इनमें पहला नाम नूतन शर्मा का है. नूतन शर्मा जिला कमेटी में पदाधिकारी भी हैं और जमीनी स्तर पर अपनी अलग पहचान भी रखते हैं. सिर्फ उनके अपने इलाके के ही नहीं बल्कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों के लोग भी उन्हें पसंद करते हैं. नवादा शेखान, राज नगर और आसपास के इलाकों में जब भी समाजवादी पार्टी के कैंट विधानसभा सीट के दावेदारों की चर्चा होती है तो हिन्दू चेहरों में पहला नाम नूतन शर्मा का ही लिया जाता है.

नूतन शर्मा

कई दावेदार ऐसे भी हैं जिनके नाम तक से आम जनता वाकिफ नहीं है. ऐसे में नूतन शर्मा पर पार्टी दांव खेल सकती है.
दूसरा नाम डा. पवन सक्सेना का है. उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन बरेली के अध्यक्ष और पत्रकार डा. पवन सक्सेना का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. एक पुरानी कहावत है कि मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर कर दे. डा. पवन सक्सेना भी इसी सिद्धांत पर काम कर रहे हैं. पत्रकारिता की दुनिया को अपनी जिंदगी के लगभग ढाई दशक का समय देने वाले डा. पवन सक्सेना चुपके-चुपके टिकट की तैयारी में जुटे हैं. पवन सक्सेना के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग भी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं. पार्टी स्तर पर उनकी पकड़ काफी मजबूत बताई जाती है. हालांकि डा. पवन सक्सेना ने अभी तक टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है लेकिन शायद वह आवेदन से पहले अपनी जमीनी हकीकत भांप लेना चाहते हैं. पार्टी के आला नेता उनके बारे में बाखूबी जानते हैं. एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व मंत्री और सपा के दिग्गजों में शुमार सपा नेता अता उर रहमान खुद पवन सक्सेना की शान में कसीदे पढ़ चुके हैं. इससे डा. पवन सक्सेना के सियासी कद का अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है. अगर पार्टी किसी हिन्दू को मैदान में उतारती है तो वह चेहरा पवन सक्सेना भी हो सकते हैं.

डा. पवन सक्सेना

तीसरा हिन्दू चेहरा पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर का है. आईएस तोमर पहले तो विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं बताए जा रहे थे लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं आईएस तोमर की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ती जा रही हैं. दो बार मेयर का चुनाव जीत चुके आईएस तोमर कैंट सीट के प्रबल दावेदारों में गिने जा रहे हैं. हालांकि उनके स्वास्थ्य और उम्र को लेकर कुछ परेशानियां हैं. बावजूद इसके तोमर कड़ी टक्कर देने में सक्षम हैं. तोमर ने अभी टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि तोमर को हाईकमान से हरी झंडी का इंतजार है.

डा. आईएस तोमर

अगर आला नेताओं से हरी झंडी मिलेगी तो ही तोमर टिकट के लिए आवेदन की औपचारिकताएं पूरी करेंगे. बहरहाल, कैंट सीट पर अगर पार्टी कोई हिन्दू चेहरा उतारती है तो तोमर के नाम पर मुहर लग सकती है.
फिलहाल, दावेदारों की भीड़ से ये चेहरे एकदम अलग खड़े नजर आ रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनावों से पूर्व अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो इन्हीं में से कोई एक चेहरा कैंट विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का चेहरा बनेगा.

डा. मो. खालिद

अगर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से गठबंधन होता है और कैंट की सीट प्रसपा के खाते में जाती है तो निश्चित रूप से पूर्व डिप्टी मेयर डा. मोहम्मद खालिद कैंट सीट से गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते नजर आएंगे.

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *