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सक्रिय हुए सपा के दिग्‍गज महेश पांडेय, शहर के साथ ही ग्रामीण इलाकों में बिछाने लगे बिसात, जानिये किस तरह से अंदरखाने विरोधियों की कमर तोड़ने की है तैयारी?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली जिले की नौ विधानसभा सीटों में से एक-दो सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी पिछड़ती नजर आ रही है। कहीं बगावती तेवर, कहीं दिग्‍गजों की अनदेखी तो कहीं पैराशूट उम्‍मीदवार को लेकर मुस्लिमों की नाराजगी साइकिल पर ब्रेक मारकर बैठ गई है। इस सबके बीच पार्टी हाईकमान ने अब पुराने धुरंधरों को जीत की जिम्‍मेदारी सौंप दी है। इन दिग्‍गजों पर पुराने नेटवर्क को जीवित कर पुराने अंदाज में वोट जुटाने का काम दिया गया है। बात अगर बरेली जिले की करें तो यहां के पुराने दिग्‍गजों में दो नाम सबसे पहले लिए जाते हैं। इनमें पहला नाम पूर्व जिला अध्‍यक्ष और पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव का है तो दूसरा नाम पूर्व जिला महासचिव और जिला सहकारी संघ के लगातार तीन बार अध्‍यक्ष रह चुके महेश पांडेय का है। ये दोनों ही ऐसे नेता हैं जो जिले की राजनीति में बड़ा मुकाम और प्रभाव रखते हैं। दोनों नेता जब सियासत के चरम पर थे तो दोनों की ही आपस में नहीं बनती थी लेकिन दोनों ही मुलायम सिंह यादव के करीबी थे। दोनों के घर पर मुलायम सिंह यादव का अना-जाना लगा रहता था। चुनाव के वक्‍त दोनों ही महत्‍वपूर्ण भूमिका भी निभाते रहे हैं। इस बार दोनों ही नेता टिकट की दौड़ में भी शामिल थे लेकिन दोनों ही टिकट से वंचित रह गए थे। वीरपाल यादव का टिकट तो क्षेत्र की जनता तक सुनिश्‍चित मान रही थी लेकिन ऐन वक्‍त पर बिथरी से अगम मौर्य को मैदान में उतार दिया गया। इससे वीरपाल खेमे में मायूसी और नाराजगी पैदा हो गई। उधर, टिकट की घोषणा होने के बाद वीरपाल सिंह यादव कोरोना की चपेट में आ गए। उन्‍हें 14 दिन के लिए होम आइसोलेट कर दिया गया है। जब तक वीरपाल ठीक होंगे तब तक चुनाव निपट चुका होगा। ऐसे में वीरपाल पार्टी की जीत में कितनी कारगर भूमिका निभा पाएंगे इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है। बहरहाल, एक दिग्‍गज से तो सपा की उम्‍मीदें पूरी होने से रहीं। अब बचे दूसरे दिग्‍गज महेश पांडेय।


महेश पांडेय शहर विधानसभा सीट से टिकट की दौड़ में शामिल जरूर थे लेकिन वह 50 प्रतिशत आश्‍वस्‍त भी थे कि पार्टी उनका टिकट कट भी सकता है क्‍योंकि वह पहले कभी विधानसभा के लिए लालायित भी नहीं रहे। इसलिए वह पहले ही संगठन के लिए काम करने का मन बना चुके थे। बता दें कि महेश पांडेय वह शख्‍स हैं जिन्‍होंने पार्टी के प्रति हमेशा वफादारी निभाई है। फिर चाहे पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथ में रही हो या अखिलेश यादव के। शिवपाल यादव ने जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई तो भी महेश पांडेय ने अखिलेश यादव का साथ नहीं छोड़ा। यही वजह है कि पार्टी हाईकमान की ओर से जैसे ही महेश पांडेय को पार्टी को जिताने के लिए कार्य करने का निर्देश प्राप्‍त हुआ उन्‍होंने अपने पुराने नेटवर्क को सक्रिय करना शुरू कर दिया। जिला सहकारी संघ के चेयरमैन रहते हुए महेश पांडेय ने ग्रामीण इलाकों में अपनी स्थिति को काफी मजबूत कर लिया था। जिले का शायद ही कोई ऐसा गांव हो जहां महेश पांडेय का नेटवर्क न हो। इस बीच महेश पांडेय के सियासी जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए जिसके चलते उनका नेटवर्क भी निष्क्रिय हो गया था। इतना ही नहीं उनकी टीम के कुछ लोग तो भाजपा को विकल्‍प के रूप में अपना भी चुके हैं लेकिन जो बाकी नेटवर्क था वह महेश पांडेय की टिकट के लिए दावेदारी के साथ ही सक्रिय होने लगा था। अब महेश पांडेय को जैसे ही हाईकमान की ओर से अहम जिम्‍मेदारी सौंपी गई तो उन्‍होंने अपने पुराने नेटवर्क को फिर से एक्टिव करना शुरू कर दिया है। अब चूंकि समय कम रह गया है और हर गांव में जाना महेश पांडेय के लिए संभव नहीं है, इसलिए वह अपने घर पर फोन के माध्‍यम से ही अपनी टीम के हर सदस्‍य को जिम्‍मेदारी सौंप रहे हैं। उन्‍होंने अलमारी में धूल फांक रही जिले के विभिन्‍न गांवों की टीमों की लिस्‍ट निकाल ली हैं।


महेश पांडेय बताते हैं, “हाईकमन का आदेश मिलने के बाद लिस्‍ट तो निकाल ली है मगर पिछले दो वर्षों में काफी कुछ बदल गया है। राजनीतिक रंजिश के तहत विरोधी नेताओं ने मुझ पर जो मुकदमे दर्ज करवाए थे उन्‍हीं में उलझकर रह गया था जिस वजह से ग्रामीण इलाकों की टीमों के साथ संपर्क बरकरार नहीं रह पाया था। महानगर की टीमें तो टिकट के लिए दावेदारी करने के साथ ही सक्रिय हो गई थीं। अब पुरानी लिस्‍टें निकाल ली हैं। कुछ लोगों का निधन हो चुका है तो कुछ के नंबर बदल चुके हैं। जो नंबर हैं उनसे संपर्क कर रहा हूं। इस बार ग्रामीण इलाकों में भी सपा की लहर है। सभी उत्‍साहित हैं। पिछले करीब एक सप्‍ताह में लगभग एक हजार से भी ज्‍यादा लोगों से संपर्क कर चुका हूं। लिस्‍ट बहुत लंबी है और समय बहुत कम है इसलिए गांव-गांव जाना संभव नहीं है। अत: फोन के माध्‍यम से ही अपने करीबियों संपर्क कर रहा हूं। कुछ लोगों को घर बुलाकर चाय पर चर्चा भी की है। अगम मौर्य मिलने आए थे। उनकी पूरी मदद की जा रही है। पार्टी के पक्ष में अच्‍छा फीडबैक मिल रहा है। एक-दो दिन में काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद विधानसभा स्‍तर पर अपनी टीमों के कार्यों की समीक्षा करूंगा।”


महेश पांडेय की सक्रियता का असर दिखने लगा है। विभिन्‍न गांवों में उनकी टीमें सक्रिय हो चुकी हैं। हाल ही में बिथरी से पार्टी प्रत्‍याशी अगम मौर्य आशीर्वाद लेने महेश पांडेय के घर पहुंचे थे। हालांकि, चुनाव में व्‍यस्‍तता के कारण शहर विधानसभा सीट से पार्टी के प्रत्‍याशी राजेश अग्रवाल और कैंट सीट से प्रत्‍याशी सुप्रिया ऐरन को अब तक महेश पांडेय से मुलाकात करने का समय नहीं मिल सका है।
बहरहाल, महेश पांडेय की चुनाव से 15 दिन पहले की सक्रियता पार्टी के लिए कितनी कारगर साबित होगी यह तो आने वाला वक्‍त ही तय करेगा लेकिन उनकी सक्रियता कहीं न कहीं पार्टी को मजबूत करने का काम जरूर करेगी।

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