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मीरगंज और आंवला में बेहद कमजोर है संगठन, बूथ स्तर पर भाजपा के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता, आंवला और मीरगंज के विधानसभा प्रभारियों ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को सौंपी रिपोर्ट, जानिये क्या है रिपोर्ट में?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की लगभग 240 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने में भले ही कामयाब रही हो लेकिन अब भी कुछ विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां उसका संगठन जमीनी स्तर पर भाजपा के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता। ये वो विधानसभा सीटें हैं जहां पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसी ही दो विधानसभा सीटें हैं बरेली जिले की आंवला और मीरगंज। इन दोनों ही सीटों पर भाजपा सांगठनिक स्तर पर समाजवादी पार्टी से कहीं आगे निकल चुकी है।
हाल ही में सपा हाईकमान की ओर से विधानसभा प्रभारियों को संगठन की जमीनी हकीकत जानने के लिए भेजा गया था। इनमें आंवला विधानसभा सीट का प्रभारी छात्र सभा के पूर्व अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव को बनाया गया था जबकि मीरगंज का प्रभार संभल के पूर्व जिला अध्यक्ष फिरोज खान को सौंपा गया था। दोनों ही प्रभारियों ने विधानसभा सीट का दौरा किया और बैठकें भी कीं। दोनों को दस जून तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था। सूत्र बताते हैं कि दोनों विधानसभा प्रभारियों ने हाईकमान को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में संगठन की कमजोर स्थिति का उल्लेख किया है। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि आंवला और मीरगंज विधानसभा सीटों में संगठन की स्थिति बूथ स्तर पर बेहद खराब नजर आती है। कागजों में तो बूथ स्तर पर संगठन मजबूत दिखाई देता है लेकिन जमीनी स्तर पर वह सक्रिय नहीं है। सूत्र बताते हैं कि दोनों विधानसभा प्रभारियों ने संगठन को बूथ स्तर पर और अधिक मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया है।
बता दें कि इन दोनों ही विधानसभा सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने जो उम्मीदवार उतारे थे वो दोनों ही विधानसभा क्षेत्र से दूरी बना चुके हैं। मीरगंज विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी सुल्तान बेग अब भोजीपुरा विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं तो वहीं आंवला से चुनाव लड़ने वाले आरके शर्मा बिल्सी और कैंट विधानसभा सीटों के फेर में उलझे बताए जा रहे हैं। ये दोनों ही नेता अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय नहीं हैं। सुल्तान बेग के मीरगंज से जाने के बाद तो जैसे वहां संगठन को ग्रहण ही लग गया है।
उनकी वजह से भोजीपुरा में भी सपा का संगठन दो-फाड़ हो चुका है। संगठन के आधे लोग सुल्तान बेग के पक्ष में बैठकें कर रहे हैं तो आधे लोग स्थानीय विधायक शहजिल इस्लाम के साथ वफादारी निभा रहे हैं।
आंवला में तो आरके शर्मा बिल्कुल भी सक्रिय नजर नहीं आते। पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि आरके शर्मा का आंवला से पूरी तरह मोहभंग हो चुका है और बिथरी विधानसभा से सपा के पूर्व प्रत्याशी रहे अगम मौर्य अब आंवला में जमीन तलाश रहे हैं।
बहरहाल, भाजपा इन दोनों सीटों पर मौजूदा समय में काफी मजबूत स्थिति में है। अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो ये सीटें एकतरफा भाजपा की झोली में जा सकती हैं।

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