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विधानसभा का घमासान, मेयर का इम्तिहान, भाजपा को जिताने में जी-जान से जुटे हैं मेयर उमेश गौतम, महानगर की दोनों सीटों पर निभा रहे अहम भूमिका, जानिये कैसे?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब कुछ ही दिन का समय शेष रह गया है। ऐसे में सभी उम्‍मीदवार अपनी-अपनी जीत के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं लेकिन समय कम है और काम ज्‍यादा इसलिए जीत की मंजिल वही उम्‍मीदवार तय कर पाएगा जिसके साथ समर्पित टीम होगी। यही वजह है कि महानगर में भाजपा बढ़त बनाती दिख रही है। भाजपा के पास वैसे तो कई मजबूत सिपाही हैं लेकिन सबसे अहम भूमिका मेयर डा. उमेश गौतम की नजर आ रही है। मेयर उमेश गौतम महानगर की दोनों सीटों पर भाजपा की जीत का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। शुक्रवार को भी उन्होंने राजेंद्र नगर में भाजपा उम्मीदवार डा. अरुण कुमार के साथ डोर टु डोर जनसंपर्क किया।


दरअसल, महानगर की विधानसभा सीटों पर सिर्फ भाजपा उम्‍मीदवारों की ही परीक्षा नहीं है बल्कि मेयर का भी इम्तिहान है। महानगर में विकास का पैमाना काफी हद तक मेयर डा. उमेश गौतम द्वारा किए गए कार्यों से तय हो रहा है। स्‍थानीय स्‍तर पर नगर निगम की ओर से किए गए विकास कार्य भाजपा को मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

पिछले लगभग चार साल के कार्यकाल में मेयर उमेश गौतम ने विकास की कई इबारतें लिखीं। कई ऐतिहासिक कार्यों को अंजाम दिया। टैक्‍स में राहत की नई स्‍कीम लेकर आए। अब उन्‍हीं विकास कार्यों का हवाला देकर मेयर उमेश गौतम भाजपा प्रत्‍याशियों के साथ घर-घर जाकर वोट मांगने का काम कर रहे हैं। विपक्षी हमेशा पुराना शहर की बदहाली को मुद्दा बनाकर पेश करते रहे लेकिन जब वे सत्‍ता में थे तो उसी पुराने शहर की बदहाली के लिए उन्‍होंने कुछ नहीं किया। उदाहरण के तौर पर पुराने शहर में जलभराव की समस्‍या पिछले कई दशकों से चली आ रही थी लेकिन न तो सपा प्रत्‍याशी सुप्रिया ऐरन ने मेयर रहते हुए इसका निदान किया और न ही सपा से दो बार मेयर रहे डा. आईएस तोमर इसका स्‍थाई समाधान कर पाए। उक्‍त नेताओं ने एक संपवेल तक बनवाना जरूरी नहीं समझा। भाजपा के मेयर बने उमेश गौतम ने पहला संपवेल हजियापुर में बनवाया। यही वजह है कि अब निदा खान, नदीम शम्‍सी और डा. हुदा जैसे मुस्लिम समाजसेवी भी भाजपा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। मेयर डा. उमेश गौतम ने राजनीति से ऊपर उठकर गैर भाजपाई पार्षदों के वार्डों में भी करोड़ों रुपये के विकास कार्य करवाए।

नतीजतन उन वार्डों में भी भाजपा को अपार समर्थन मिल रहा है। पार्षद जानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद भी लगभग आठ माह का वक्‍त नगर निगम चुनावो के लिए रह जाएगा। ऐसे में अगर उनके वार्डों से भाजपा को बहुमत नहीं मिला तो मेयर उमेश गौतम यह समझ जाएंगे कि जनता को विकास नहीं चाहिए और उनके वार्डों के विकास कार्यों पर ब्रेक भी लग सकता है। इसलिए इन वार्डों में भी भाजपा को बहुमत मिलने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। विकास के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए मेयर उमेश गौतम ने खुद कमान संभाल ली है। वह शहर सीट से भाजपा उम्‍मीदवार डा. अरुण कुमार और कैंट से भाजपा प्रत्‍याशी संजीव अग्रवाल के साथ खुद घर-घर जाकर जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए हैं। हाल ही में जाटव समाज से जुड़े एक पार्षद भी मेयर के नेतृत्‍व में भाजपा में शामिल हुए हैं जिससे भाजपा को और मजबूती मिली है।


सिर्फ डोर टु डोर जनसंपर्क ही नहीं चुनाव संबंधी पार्टी की कोई भी ऐसी बैठक या कार्यक्रम नहीं होता जिसमें मेयर उमेश गौतम अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज न करा रहे हों। भारतीय जनता पार्टी की जीत के लिए मेयर दिन-रात जुटे हुए हैं। बहरहाल, मेयर का यह प्रयास कितना रंग लाएगा इसका पता तो आगामी दस मार्च को ही चलेगा।

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