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ज्ञानदेव आहूजा ने कहा है कि वसुंधरा राजे को अब राजस्थान की वापस मुख्यमंत्री बनने का मोह, सोच व विचार त्याग देना चाहिए

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राजस्थान की राजनीति में विधानसभा चुनावों से करीब 20 महीनों पहले ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. अलवर से आने वाले बीजेपी के पूर्व विधायक और नेता ज्ञानदेव आहूजा ने राज्य के मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बड़ा बयान दिया है.

ज्ञानदेव आहूजा ने कहा है कि वसुंधरा राजे को अब राजस्थान की वापस मुख्यमंत्री बनने का मोह, सोच व विचार त्याग देना चाहिए. आहूजा ने कहा कि राजे को अब केंद्र में कोई बड़ा पद लेने या मंत्री बनने के प्रयास तेज कर देने चाहिए. ज्ञानदेव आहूजा ने एक बयान जारी कर कहा कि मैं वसुंधरा राजे को जन्मदिन की बधाई देना चाहता हूं और उनके समर्थकों से यह निवेदन करना चाहूंगा कि वे पूर्व मुख्यमंत्री को वापस मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम की बजाय किसी नए व्यक्ति या नेता को यह मौका दें.

राजस्थान की राजनीति में विधानसभा चुनावों से करीब 20 महीनों पहले ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. अलवर से आने वाले बीजेपी के पूर्व विधायक और नेता ज्ञानदेव आहूजा ने राज्य के मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बड़ा बयान दिया है.

ज्ञानदेव आहूजा ने कहा है कि वसुंधरा राजे को अब राजस्थान की वापस मुख्यमंत्री बनने का मोह, सोच व विचार त्याग देना चाहिए. आहूजा ने कहा कि राजे को अब केंद्र में कोई बड़ा पद लेने या मंत्री बनने के प्रयास तेज कर देने चाहिए. ज्ञानदेव आहूजा ने एक बयान जारी कर कहा कि मैं वसुंधरा राजे को जन्मदिन की बधाई देना चाहता हूं और उनके समर्थकों से यह निवेदन करना चाहूंगा कि वे पूर्व मुख्यमंत्री को वापस मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम की बजाय किसी नए व्यक्ति या नेता को यह मौका दें.

उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता किसी प्रकार के मतभेद और मनभेद भुलाकर एकजुट होकर कांग्रेस का सामना करे और चुनावों में कांग्रेस की सत्ता को उखाड़ फेंकने का काम करे. बता दें कि ज्ञानदेव आहूजा का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब राजस्थान में एक बार फिर बीजेपी नेता वसुंधरा राजे सक्रिय हुए हैं और राजे खेमे में फिर से उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़ रही है.

राजे त्याग दें मुख्यमंत्री पद का मोह : आहूजा
आहूजा ने अपने बयान के आखिर में एक बार फिर वसुंधरा राजे से आग्रह करते हुए कहा कि उनको वापस मुख्यमंत्री बनने का मोह त्याग देना चाहिए और राजस्थान से किसी नए व्यक्ति को मौका देना चाहिए. बता दें कि ज्ञानदेव आहूजा इससे पहले भी राजे को लेकर कई तरह बयानबाजी कर चुके हैं. वहीं इधर आगामी 8 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जन्मदिन है जिसे लेकर वह बूंदी के केशवरायपाटन में शक्ति प्रदर्शन की तैयारियों में जुटी है.
वसुंधरा प्रभाव से पार्टी को बाहर निकालने में लगा आलाकमान
वहीं हिंदुस्‍तान अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, वसुंधरा राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कई बार टकराव की स्थिति भी बनी है ऐसे में अब अगले विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी नेतृत्व एक बार फिर पार्टी को वसुंधरा राजे के प्रभाव से बाहर लाकर, सबको साथ लेकर चुनाव मैदान में जाने की कोशिश में है. पार्टी ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लगातार राजस्थान में सक्रिय रखा है.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी राजस्थान के मामलों में काफी रुचि ले रहे हैं. वह अपने संसदीय क्षेत्र कोटा के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी अलग-अलग केंद्रीय योजनाओं, जनता के सरोकारों से जुड़े कामों को लेकर सक्रिय रहे हैं. इन दोनों नेताओं को पार्टी राज्य में भावी नेतृत्व के रूप में उभार रही है.

रअसल राजस्थान में बीते दो दशकों से वसुंधरा राजे पार्टी की एकक्षत्र नेता हैं लेकिन, अब उनका कद केंद्रीय नेतृत्व को रास नहीं आ रहा है. ऐसे में पिछले पांच साल से पार्टी ने दूसरे नेताओं को उभारने की काफी कोशिशें की हैं, लेकिन वसुंधरा राजे के सामने उसकी कोशिशें सफल नहीं हो पाई हैं.

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