नीरज सिसौदिया, जालंधर
सूबे में सत्ता परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं। आम आदमी पार्टी के सत्ता पर काबिज होते ही भ्रष्टाचारियों और भ्रष्ट अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही हैं। जालंधर में अवैध बिल्डिंगों और अवैध कॉलोनियों की जो बाढ़ कांग्रेस के राज में आई थी उसका पानी अभी भी उसी स्तर पर है जिस पर पहले हुआ करता था। नगर निगम के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत और सत्ताधारियों के दबाव में बनाई गईं अवैध इमारतों पर अब कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है। ऐसे में कांग्रेस पार्षद कंवलजीत कौर गुल्लू और उनके पति मोहिंदर सिंह गुल्लू की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही हैं। उनकी होटल रेड पैटल के पास स्थित अवैध बिल्डिंग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
बता दें कि लगभग पांच साल पहले गुल्लू ने वर्कशॉप-गाजीगुल्ला रोड पर स्थित होटल रेड पैटल के पास एक अवैध इमारत का निर्माण शुरू कराया था। बिल्डिंग बायलॉज को ताक पर रखते हुए इसमें सौ फीसदी एरिया कवर्ड कर लिया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदरपाल सिंह चड्ढा की शिकायतों के बाद इस बिल्डिंग को सील भी कर दिया गया था लेकिन कांग्रेस के सत्ता में होने के कारण इस बिल्डिंग को ध्वस्त नहीं किया जा सका। जब निगम अधिकारियों ने इमारत सील की थी तो गुल्लू ने लिखित में यह भरोसा निगम अधिकारियों को दिलाया था कि वह कॉमर्शियल बिल्डिंग नहीं बनाएंगे। अगर वह कॉमर्शियल इमारत बनाते हैं तो नगर निगम उस पर नियमानुसार कार्रवाई कर सकती है। रिहायशी नक्शा पास कराकर कॉमर्शियल बिल्डिंग तैयार कर ली गई। आज उसमें हीरो मोटरसाइकिल का शोरूम खोल दिया गया है लेकिन निगम अधिकारी अभी भी आंखें मूंदे बैठे हुए हैं। चड्ढा का कहना है कि इस इमारत में ऊपरी हिस्से में होटल के लिए कमरे बनाए गए हैं। वह होटल भी जल्द ही शुरू हो जाएगा। इमारत में कोई हाउस लाइन नहीं छोड़ी गई। बना अनुमति लिफ्ट भी लगा दी गई। उन्होंने मामले की शिकायत लोकपाल से की थी। कांग्रेस के राज में तो मामले को दबा दिया गया था लेकिन अब आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद कार्रवाई तेज कर दी गई है। इसकी विजिलेंस की जांच भी चल रही है। चड्ढा ने बताया कि इस इमारत का प्रॉपर्टी टैक्स नियमानुसार दो लाख रुपये बनता है लेकिन गुल्लू सिर्फ पचास हजार रुपये ही जमा कर रहे हैं। मामले की सही तरीके से जांच हुई तो बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर एटीपी और एमटीपी स्तर के अधिकारियों की गर्दनें भी फंसेंगी।
सूत्र बताते हैं कि इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक शीतल अंगुराल और रमन अरोड़ा को सेट करने की कवायद शुरू हो चुकी है। चूंकि यह इमारत कंपाउंडेबल नहीं है इसलिए रिश्वत की मोटी रकम लेने के बावजूद निगम अधिकारी इसे कागजों में वैध करार नहीं दे सके। चड्ढा ने मांग की है कि बिल्डिंग निर्माण से लेकर अब तक इस इलाके में जो भी बिल्डिंग इंस्पेक्टर, एटीपी, एमटीपी और एसटीपी तैनात रहे हैं, उन सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही निगम कमिश्नरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो आईएएस जैसे प्रतिष्ठित पद की गरिमा को बरकरार नहीं रख सके। उनकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी के विधायक कांग्रेस नेता के साथ सेटिंग करके उनकी बिल्डिंग को ध्वस्त होने से बचाते हैं अथवा आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल की जीरो टोलरेंस की नीति पर चलकर नियमानुसार कार्रवाई करवाते हैं। फिलहाल गुल्लू के सिर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। निगम अधिकारियों के लिए भी इस बार गुल्लू को राहत देना महंगा पड़ सकता है क्योंकि अरविंद केजरीवाल पंजाब के शासन को पूरे देश के समक्ष रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं। ऐसे में अगर आप विधायक अवैध बिल्डिंगों का सौदा करने लगेंगे तो अरविंद केजरीवाल के मिशन को करारा झटका लग सकता है और अपनी छवि बरकरार रखने के लिए केजरीवाल आप विधायकों को उसी तरह बाहर का रास्ता भी दिखा सकते हैं जिस तरह दिल्ली में कई दिग्गज नेताओं को दिखा चुके हैं।