नीरज सिसौदिया, बरेली
आपराधिक पृष्ठभूमि को छुपाकर एक हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया सरकारी टीचर बन बैठा और बेसिक शिक्षा अधिकारी व इंस्पेक्टर विजिलेंस की मिलीभगत से लगभग 22 वर्षों से नौकरी भी कर रहा है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि पुलिस रिकॉर्ड चीख-चीख कर इसकी गवाही दे रहे हैं। मामला जब अदालत पहुंचा तो विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट संख्या-1 उमेश चंद पांडेय की अदालत ने हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया रमेश मौर्य सहित तीन आरोपियों के खिलाफ परिवार दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश सपा के पूर्व महासचिव और जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन महेश पांडेय की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए हैं।
कोर्ट में दायर याचिका में महेश पांडेय ने कहा है कि रमेश मौर्य वर्ष 1989 से अपराध की दुनिया में सक्रिय है। वह दो बार जेल भी जा चुका है। अपराध संख्या 356/2017 के तहत इज्जतनगर पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश गुंडा निवारण अधिनियम के तहत इज्जतनगर पुलिस ने उसका चालान भी किया था। वहीं, अपराध संख्या 1030/2017 के तहत इज्जतनगर थानांतर्गत उसे उत्तर प्रदेश संगठित गिरोहबंदी निवारण अधिनियम के तहत उसे निरुद्ध भी किया जा चुका है। वह इज्जतनगर थाने के टॉप-10 बदमाशों में शामिल है और उसकी हिस्ट्रीशीट संख्या 10बी है। रमेश मौर्य और उसके गिरोह के सदस्यों पर लगभग तीस मुकदमे जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। महेश पांडेय के अनुसार, सरकारी नौकरी में रहते हुए वह जीवन बीमा और कॉस्मेटिक का कारोबार भी करता रहा जिसे उसने खुद पारिवारिक न्यायालय में स्वीकार भी किया था।
इतना ही नहीं रमेश मौर्य ने दो तरह के हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाए हैं। एक प्रमाणपत्र के अनुसार वह दिव्यांग है जिसके आधार पर वह दिव्यांग भत्ता ले रहा है। वहीं, दूसरा हेल्थ सर्टिफिकेट उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ करार देता है जिसके आधार पर उसने शस्त्र लाइसेंस लिया हुआ है। वह मीरगंज का रहने वाला है लेकिन शस्त्र लाइसेंस उसने बारादरी थाने से बनवाया है। बता दें कि रमेश मौर्य भाजपा के एक पूर्व विधायक का करीबी है।
आरोप है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी को यह पता था कि रमेश मौर्य दो बार जेल जा चुका है और उसका आपराधिक इतिहास भी है, इसके बावजूद उसने तथ्यों को सरकार से छुपाया और रमेश मौर्य बतौर शिक्षक नौकरी करता रहा। ठीक इसी तरह विजिलेंस इंस्पेक्टर सीएल औलिया पर भी आरोप है कि उसने दस लाख रुपये रिश्वत लेकर अपराध को छुपाने और अपराधी को बचाने का काम किया है।
पूरे मामले की सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट संख्या-1 उमेश चंद पांडेय की अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के निर्णय सुखवासी बनाम स्टेट आॅफ यूपी 2007 (59) एसीसी 739 को दृष्टिगत रखते हुए मामला परिवार के रूप में दर्ज करने के आदेश देते हुए आरोपियों को विगत 12 अप्रैल को तलब किया था। इसके बाद उन्हें मई में तलब किया गया है। इसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि आरोपियों के खिलाफ किन-किन धाराओं में मुकदमा चलाया जाएगा।

टॉप के नेताओं के साथ फोटो खिंचवाकर वायरल करता था रमेश मौर्य
रमेश मौर्य हिस्ट्रीशीटर और भूमाफिया होने के साथ ही बड़े-बड़े राजनेताओं तक भी पहुंच रखता है। एक पूर्व विधायक का करीबी होने के कारण सत्ताधारी पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें आसानी से देखी जा सकती हैं।

वह कभी आजम खां और शिवपाल यादव जैसे नेताओं के साथ नजर आता था तो कभी स्वामी प्रसाद मौर्य और संतोष गंगवार जैसे नेताओं के साथ। विभिन्न दलों के आला नेताओं और मंत्रियों के साथ उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर आसानी से उपलब्ध हैं।

22 साल से क्यों सो रहा है शिक्षा विभाग
एक हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया पिछले करीब 22 वर्षों से शिक्षक के पद पर नौकरी कर रहा है लेकिन शिक्षा विभाग ने उसके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई तक नहीं की। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की यह अनदेखी कई सवाल खड़े करती है। इसकी दो वजह बताई जाती हैं। पहली यह कि आपराधिक इतिहास होने की वजह से अधिकारी इतने खौफजदा हैं कि उस पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। दूसरी वजह रमेश मौर्य का राजनीतिक रसूख है। सत्ता चाहे किसी भी दल की रही हो, रमेश मौर्य हमेशा आला नेताओं का करीबी रहा है। यही वजह है कि वह अपने काले कारनामों को बेखौफ अंजाम देता रहा और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।