Bareilly : नीरज सिसौदिया, बरेली :नगर निगम चुनाव को लेकर इन दिनों सियासत गर्माई हुई है। भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों में ही दावेदारों की भरमार है। भाजपा में जहां सिटिंग मेयर उमेश गौतम से बेहतर कोई चेहरा फिलहाल पार्टी में नजर नहीं आ रहा तो वहीं, समाजवादी पार्टी में पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर और डा. अनीस बेग से बेहतर विकल्प फिलहाल नहीं दिखाई देता है। अगर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होती है तो जरूर विजयपाल सिंह एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं। ऐसा क्यों है अब एक नजर इस पर डालते हैं। भाजपा में मेयर उमेश गौतम सबसे बेहतर विकल्प इसलिए हैं क्योंकि वह सिटिंग मेयर हैं। अगर भाजपा उनका टिकट काटती है तो जनता के बीच सीधा यह संदेश जाएगा कि भाजपा अपने मेयर के काम से संतुष्ट नहीं है। इसका एक संदेश यह भी जा सकता है कि भाजपा के पांच साल के नगर निगम के कार्यकाल में जनता की उम्मीदों के अनुरूप मेयर ने काम नहीं किया। विपक्षी दल इसे चुनावी मुद्दा भी बना सकते हैं। वे तो अभी से चीख-चीख कर कह रहे हैं कि भाजपा के मेयर ने सिर्फ लूट-खसोट का ही काम किया है जनहित का कोई काम ही नहीं किया है जबकि मेयर उमेश गौतम और भाजपा अप्रत्याशित विकास होने का दावा खुलेआम कर रहे हैं। ऐसे में फिलहाल उमेश गौतम से बेहतर उम्मीदवार कोई नजर नहीं आ रहा। मेयर ने आम आदमी के दिलों को जीतने का काम किया है। जिने लोकप्रिय पूरे महानगर में मेयर उमेश गौतम हैं उतना भाजपा का मेयर पद का कोई अन्य दावेदार नहीं है। बरेली शहर का शायद ही कोई ऐसा मतदाता होगा जो उमेश गौतम के नाम से परिचित न हो। कोई उनका चाहने वाला है तो कोई विरोधी, कोई उनसे खुश तो कोई नाराज, पर उमेश गौतम का नाम सबकी जुबां पर है। दिलचस्प बात यह है कि समाजवादी पार्टी के कुछ पार्षद सोशल मीडिया पर खुद मेयर उमेश गौतम का प्रचार करते नजर आ रहे हैं। सड़क निर्माण से लेकर नाली निर्माण तक के लिए वे उमेश गौतम का धन्यवाद करते नहीं थकते। इनमें से एक पार्षद तो सपा महानगर कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष पद पर भी सुशोभित हो चुका है। सपा पार्षदों का यह प्रचार उमेश गौतम के प्रति विरोधियों के दिल में उनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर को भी दर्शाता है।
अब बात करते हैं प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की। समाजवादी पार्टी में सामान्य वर्ग में फिलहाल दो ही सबसे बड़े चेहरे मैदान में नजर आ रहे हैं जो उमेश गौतम या भाजपा से सीधा मुकाबला करने में सक्षम भी हैं। इनमें पहहला नाम पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर का है और दूसरा डा. अनीस बेग का। दोनों ही साफ सुधरी छवि के डाक्टर हैं। डा. आईएस तोमर पहले भी अपने दम पर मेयर पद के चुनाव जीत चुके हैं। विगत चुनाव में भी उन्होंने उमेश गौतम को कड़ी टक्कर दी थी। उस वक्त मोदी लहर होने के बावजूद तोमर का प्रदर्शन लाजवाब था। कहा तो यह भी जाता है कि प्रशासन की मदद से उमेश गौतम को चुनाव जितवाया गया। आईएस तोमर को निजी तौर पर आज भी शहर का एक बड़ा वर्ग पसंद करता है। इनमें वे भाजपाई भी शामिल हैं जो उमेश गौतम के विरोधी हैं या उमेश गौतम के न धुर विरोधी हैं और न ही कट्टर समर्थक। समाजवादी पार्टी में भी तोमर का कोई विरोध नहीं है। इसी तरह डा. अनीस बेग सपा का दूसरा सबसे बड़ा लोकप्रिय चेहरा हैं। अनीस बेग ने चिकित्सा के साथ ही समाजसेवा के क्षेत्र में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। मुस्लिम वोटरों को बूथ तक पहुंचाने में अनीस बेग से बेहतर चेहरा फिलहाल समाजवादी पार्टी के पास नहीं है। विधानसभा चुनाव में अगर पार्टी ने ऐरन का मोह छोड़कर अनीस बेग पर दांव खेला होता तो शायद नतीजे कछ और ही होते। मुस्लिम उम्मीदवार न होने की वजह से महज 50 फीसदी मुस्लिम वोटर ही बूथ तक पहुंच सका था। अगर इस आंकड़े में सिर्फ पांच से दस फीसदी का इजाफा हो गया होता तो कैंट की सीट पर सपा का विधायक होता। ऐरन अपनी वैश्य बिरादरी का वोट लेने में नाकाम साबित हुईं। वहीं, वीवीआई होने के कारण एससी वोटर भी उनके आसपास नहीं फटके। इसके उलट अनीस बेग वीवीआईपी से लेकर मजदूर तबके तक में अपनी मृदुभाषिता और सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा जो भी मेयर पद के दावेदार हैं वह फिलहाल टिकट के दावेदारों की संख्या बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं। सपा पार्षद राजेश अग्रवाल जरूर बेहतर विकल्प हो सकते थे लेकिन विधानसभा चुनाव में महानगर में सबसे अधिक वोटों से हारने के कारण उनकी उम्मीदवारी सपा को फिर भारी पड़ सकती है। साथ ही एक ही चेहरे को विधानसभा और मेयर के चुनाव में मौका देना पार्टी में बगावत को और बुलंद करेगा। अनीस बेग ऐसा चेहरा हैं जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों मतदाताओं को सपा के पाले में लाने का काम कर सकते हैं। उन्हें हर बार यह कहकर किनारे कर दिया जाता है कि वह पूर्व विधायक सुल्तान बेग के भाई हैं और पार्टी एक परिवार में एक ही व्यक्ति को टिकट दे सकती है। लेकिन पार्टी को यह समझना होगा कि सुल्तान बेग और अनीस बेग दो अलग-अलग शख्सियतें हैं। दोनों का अपना अलग वजूद है। सुल्तान बेग ने गांवों की राजनीति की है और अनीस बेग वर्षों से शहर में अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं। वर्तमान में अनीस बेग और डा. आईएस तोमर से बेहतर विकल्प सपा के लिए दूसरा कोई नहीं हो सकता।

मेयर का चुनाव : भाजपा के पास उमेश गौतम, सपा के पास नहीं है डा. आईएस तोमर और डा. अनीस बेग से बेहतर उम्मीदवार, एससी में विजयपाल हो सकते हैं बेहतर, जानिये क्यों?
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