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किसान आंदोलन : पुलिस और किसानों में मुठभेड़, पुलिस कर रही हवाई हमले, ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़े, पीएम मोदी विदेश रवाना, पढ़ें किसान आंदोलन की अब तक की पूरी अपडेट

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्‍ली
अपनी मांगों को लेकर मंगलवार सुबह दिल्‍ली की ओर कूच करने वाले किसानों और पुलिस के बीच दिल्‍ली के शंभू बॉर्डर पर मुठभेड़ हो गई। किसानों ने जहां पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया वहीं, पुलिस ने किसानों पर हवाई हमले कर दिए। प्रदर्शनकारी किसानों पर ड्रोन के जरिये आंसू गैस के गोले छोड़े गए। किसानों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज भी किया। हरियाणा, पंजाब, दिल्‍ली से सटे राजस्‍थान, और उत्‍तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। हालात पूरी तरह बेकाबू हो चुके हैं। पूरे इलाके में धमाके की आवाज आ रही है। जब प्रदर्शनकारी आगे बढ़ते हैं तो आंसू गैस के गोले दाग दिए जो हैं। फिर किसान पीछे हट जाते हैं और पुलसि कार्रवाई रोक दे रही है। फिर प्रदर्शनकारी आगे बढ़ते हैं तो फिर आंसू गैस के गोले ड्रोन और गन से छोड़े जा रहे हैं।
बता दें कि सोमवार को तीनकेंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की वार्ता विफल होने के बाद किसान संगठनों ने सुबह दस बजे तक का अल्‍टीमेटम सरकार को दिया था लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्‍मक कदम न उठाए जाने के बाद हजारों की संख्‍या में किसान दिल्‍ली की ओर कूच करने लगे। जहां पुलिस ने पहले से ही उन्‍हें रोकने की पूरी तैयारी की हुई थी। किसानों को आगे बढ़ता देख उन पर हवाई हमले शुरू कर दिए गए। उन पर ड्रोन के जरिये आंसू गैस के गोले दागे गए। दिल्‍ली के शंभू बॉर्डर पर यह पूरी घटना हुई। पैदल चल रहे किसानों पर कब कहां से आकर आंसू गैस का कहर गिर जाएगा यह किसानों को भी पता नहीं चला। आंसू गैस छोड़े जाने का यह सिलसिला समाचार लिखे जाने तक जारी है।


कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बताया कि पूरा बॉर्डर इस तरह से सील कर दिया गया है जैसे कि यह कोई दुश्‍मन देशों का बॉर्डर हो। उन्‍होंने कहा कि जब बोर्ड की परीक्षाएं सिर पर हैं तब आपने इंटरनेट बंद कर दिया है। दिल्‍ली के चारों ओर के जिलों में मौखिक हिदायत दी गई है कि किसान के ट्रैक्‍टर में 10 लीटर से अधिक पेट्रोल न डाला जाए। अन्‍नदाता किसानों की हुंकार से डरी हुई सरकार एक बार फिर 100 साल पहले अंग्रेजों द्वारा दमनकारी 1917 के बिहार के चंपारण किसान आंदोलन, खेड़ा आंदोलन की याद दिला रहे हैं।
इससे पहले सुबह किसानों ने दिल्‍ली की ओर भारी संख्‍या में ट्रैक्‍टर ट्रॉलियों और अन्‍य वाहनों में कूच किया। शंभू बॉर्डर पर जब पुलिस ने उन्‍हें रोकने की कोशिश की तो वे नहीं माने। इसके बाद पुलिस ने किसानों को तितर-बितर करने के लिए ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़े। जवाब में किसानों ने भी पथराव किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। डीसीपी अंकित सिंह ने एक न्‍यूज एजेंसी को बताया कि सीमा पर और दिल्‍ली में धारा 144 लगी हुई है। इस दौरान समूह में आना, हथियार लाना और किसी भी तरह की बाधा उत्‍पन्‍न करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। उसके मद्देनजर पुलिस ने तैयारी की हुई है। सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है। ट्रैक्‍टरों को रोकने के लिए बैरियर लगाए गए हैं।


उधर, कांग्रेस प्रवक्‍ता पवन खेड़ा ने कहा कि बातचीत के दौरान किसान नेताओं के एक्‍स हैंडल बंद करवाए जा रहे हैं। दो साल में आप समझे नहीं कि किसानों को क्‍या चाहिए।
उधर केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि मैंने चंडीगढ़ जाकर दो बार किसान संगठनों से बातचीत की लेकिन कुछ चीजों में हमें परामर्श लेने की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका रास्‍ता क्‍या होगा। किसानों को समझने की जरूरत है कि भारत सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और उनके साथ-साथ जन सामान्‍य को कोई कठिनाई न हो।
बता दें कि किसान यूनियनों ने आज अपनी मांगों को लेकर दिल्‍ली चलो विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। इसके तहत देश के विभिन्‍न राज्‍यों के किसान दिल्‍ली बॉर्डर पर इकट्ठा हुए हैं। कई किसान नेताओं को भाजपा शासित राज्‍यों में उनके घरों में ही नजरबंद कर दिया गया है। किसानों को रोकने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। नोएडा में किसानों के मार्च की वजह से दिल्‍ली-नोएडा चिल्‍ला बॉर्डर पर यातायात बाधित रहा।


उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्‍त अरब अमीरात की दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार सुबह रवाना हो गए। वह यहां अबू धाबी में बीएपीएस स्‍वामीनारायण हिन्‍दू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। वह कतर की यात्रा भी करेंगे।
किसानों को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों और पुलिस फोर्स को लगाया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर लालकिले को भी सील कर दिया गया है। शंभू बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले समाचार लिखे जाने तक ड्रोन के जरिये बरसाए जा रहे हैं।
किसनों की मांग है कि उन्‍हें लागत की डेढ़ गुना अधिक न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य दिया जाए और स्‍वानाथन आयोग के फॉर्मूले के आधार पर उपज की कीमतें लागू की जाएं।

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