कानपुर। अडाणी समूह ने रक्षा विनिर्माण में अपनी उपस्थिति मजबूत करते हुए सोमवार को गोला-बारूद और मिसाइलों के निर्माण के दो बड़े संयंत्र खोलने की घोषणा की जो दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा रक्षा निर्माण परिसर है। अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने 500 एकड़ में फैले इन कारखानों के विकास पर 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। यहां पर गोला-बारूद का निर्माण किया जाएगा। अडाणी समूह की यह कंपनी मानव रहित खंड, काउंटर ड्रोन, खुफिया, निगरानी और टोही प्रौद्योगिकी एवं साइबर रक्षा क्षेत्र में क्षमता विकास पर केंद्रित है। कंपनी ने बयान में कहा, ‘‘भारत में निजी क्षेत्र में अपनी तरह के पहले अत्याधुनिक संयंत्रों से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रौद्योगिकी प्रगति को प्रोत्साहन मिलेगा। इन रक्षा निर्माण इकाइयों का अनावरण बालाकोट हवाई हमले की पांचवीं वर्षगांठ पर किया गया।” अडाणी समूह की इन रक्षा उत्पादन इकाइयों का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और मध्य कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एन.एस. राजा सुब्रमणि ने किया। बयान के मुताबिक, यह रक्षा निर्माण परिसर सबसे बड़े एकीकृत गोला-बारूद विनिर्माण परिसरों में से एक बनने की राह पर है। यह सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के लिए उच्च गुणवत्ता वाले छोटे, मध्यम और बड़े कैलिबर वाले गोला-बारूद का उत्पादन करेगा। कंपनी ने बयान में कहा कि यहां पर छोटे कैलिबर के गोला-बारूद का उत्पादन शुरू हो चुका है। देश की कुल गोला-बारूद में छोटे कैलिबर वाले गोला-बारूद की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब इन इकाइयों में उत्पादित गोला-बारूद और मिसाइल देश को सुरक्षित रखने में मदद करेंगी तो वह गौरव का पल होगा। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मिसाइलों और गोला-बारूद में आत्मनिर्भरता की जरूरत पर बल देते हुए कहा, ‘‘इतने बड़े निवेश और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी बनाने के लिए अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस की इच्छा ने उपयोगकर्ताओं में रणनीतिक सैन्य आपूर्ति के लिए भारतीय निजी उद्योग पर निर्भर रहने का विश्वास जगाया है। यह परिसर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर है।” इस मौके पर कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष राजवंशी ने कहा, ‘‘इन परिसरों की स्थापना आत्मनिर्भरता की हमारी खोज में एक छलांग को दर्शाती है। यह 4,000 से अधिक नौकरियां पैदा करेगा जिसका एमएसएमई पर पांच गुना अधिक प्रभाव पड़ेगा और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी इससे परोक्ष लाभ होगा।”
