नीरज सिसौदिया, बरेली
ऊपर जो आप तस्वीर देख रहे हैं ये तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ बयां कर रही है। ये तस्वीर महज एक फंक्शन की खूबसूरती को ही बयां नहीं कर रही बल्कि बरेली कैंट विधानसभा के सियासी भविष्य की तस्वीर को भी दर्शा रही है। इस तस्वीर के तीन चेहरे कैंट विधानसभा के तीन दिग्गज और जमीनी नेताओं के हैं। इनमें दो चेहरे पूर्व विधानसभा प्रत्याशियों के हैं और एक चेहरा उस शख्सियत का है जिसने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का टिकट अपने बड़े भाई की खातिर लौटा दिया था। ये तीनों ही नेता एक बार फिर कैंट विधानसभा से विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन राजनीति का स्तर गिराकर टिकट पाने की होड़ इनमें से किसी के अंदर भी नहीं है। इन तीन नेताओं में कांग्रेसी दिग्गज नवाब मुजाहिद हसन खां, डॉ. अनीस बेग और राजेश अग्रवाल शामिल हैं। ये तीनों जानते हैं कि टिकट किसी एक को ही मिलेगा लेकिन लड़ाई मिलकर लड़नी होगी। यही वजह है कि ये तीनों ही अपनी-अपनी कोशिशें कर रहे हैं लेकिन एकजुट होकर। कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी भी यही चाहते हैं और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी। इसी गठबंधन के चलते भाजपा को लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में करारी हार मिली थी और अब तैयारी विधानसभा फतह करने की है। ऐसे में इन तीन दिग्गजों के मधुर संबंध और आपसी समझ यह दर्शाती है कि अबकी बार विपक्ष वाकई एकजुट हो सकता है। अब बात करते हैं इन तीनों दिग्गजों के सामाजिक और राजनीतिक जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों की।

सबसे पहले बात नवाब मुजाहिद हसन खां की। नवाब साहब तीनों में उम्र के लिहाज से सबसे वरिष्ठ और बरेली महानगर ही नहीं पूरे जिले के सबसे कद्दावर मुस्लिम कांग्रेस नेता हैं। वर्ष 2017 में वह कैंट विधानसभा सीट से सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार थे। मोदी लहर में उस वक्त पूरे उत्तर प्रदेश में भगवा लहरा गया था। इसके बावजूद बरेली मंडल में उन्हें सबसे कम वोटों से शिकस्त मिली थी। नवाब साहब ने हाल ही में कैंट विधानसभा सीट पर अपना दावा ठोका है लेकिन उनका मूल मकसद भाजपा को सत्ता से हटाना है।
दूसरा चेहरा डॉ. अनीस बेग का है। डॉ. अनीस बेग एक साफ सुथरी छवि के जाने माने बाल रोग विशेषज्ञ और पूर्व विधायक सुल्तान बेग के छोटे भाई हैं। सियासत में वर्चस्व की जंग में जहां लोग कुछ भी कर गुजरते हैं, वहीं अनीस बेग ने एक मिसाल पेश करते हुए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में अपना टिकट वापस कर दिया था। युवाओं के बीच वह काफी लोकप्रिय हैं। सामाजिक रूप से वह इतने एक्टिव रहते हैं कि उनके अस्पताल में उनके चाहने वालों का मेला सा लगा रहता है। कैंट सीट की शायद ही कोई ऐसी गली होगी जहां उनके चाहने वाले मौजूद न हों। डॉक्टर होने के नाते एलीट क्लास के बीच भी वह खासे लोकप्रिय हैं। वह कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं और नियमित रूप से उनकी गतिविधियों का हिस्सा बनते रहते हैं। बरेली में विरोधियों का भी दिल जीतने का हुनर उन्हें बाखूबी आता है। उनका मकसद भी नवाब मुजाहिद की ही तरह विपक्ष को प्रदेश की सत्ता में लाना है। और इस मकसद के लिए उन्होंने अभी से सारे गिले -शिकवे भूलकर सबको गले लगाना शुरू कर दिया है। सपा में व्याप्त गुटबाजी से कोसों दूर अनीस बेग उन लोगों को भी सम्मानित करने से पीछे नहीं हट रहे जो कभी उनके अपनों के विरोधी हुआ करते थे। सबसे अहम बात यह है कि अनीस बेग सपा नेताओं के किसी गुट का हिस्सा नहीं हैं। उनके रिश्ते हर नेता के साथ बेहतरीन हैं। सबसे बड़ी बात कि अखिलेश यादव ने जिस पीडीए का नारा दिया है उस पर अनीस बेग खरे उतरते हैं। अल्पसंख्यक वह खुद हैं और दलित एवं पिछड़ों को उनके डॉक्टरी के पेशे और समाजसेवा ने उनके साथ जोड़ दिया है।
