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नवरात्रों में डांडिया खेलते हैं, रोजे रखते हैं रमजान में, औरों से जुदा है ये शख्सियत, फर्क नहीं करते हिन्दू और मुसलमान में, जानिये कैसे मजहबी सियासत को मात दे रहे जाने-माने चाइल्ड स्पेशियलिस्ट डॉ. अनीस बेग?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बहराइच की हिंसा, बंगाल का बवाल, कर्नाटक की मजहबी सियासत और कश्मीर की वादियों में पनपता नफरत का बाजार। मजहबी सियासत के ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो इन दिनों अखबारों की सुर्खियां बटोर रहे हैं। ऐसे में कुछ ऐसी शख्सियतों का जिक्र बेहद जरूरी हो जाता है जो इस समाज में मजहबी सियासत के मुंह पर तमाचा जड़ते हुए साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे हैं। एक ऐसी ही शख्सियत हैं बरेली शहर के जाने-माने चाइल्ड स्पेशियलिस्ट मैक्स लाइफ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड फहमी आईवीएफ सेंटर के मालिक डॉक्टर अनीस बेग की। डॉक्टर अनीस बेग बरेली शहर में एक डॉक्टर के साथ ही समाजसेवी के तौर पर भी जाने-जाते हैं। वो एक सियासतदान भी हैं और ये सियासत उन्हें अपने बड़े भाई से विरासत में मिली है। लेकिन अनीस बेग मजहबी सियासत से कोसों दूर हैं। उनकी छवि एक बेहतरीन डॉक्टर और धर्म निरपेक्ष सियासतदान की है। अनीस बेग सिर्फ कागजों में ही धर्म निरपेक्ष नहीं हैं बल्कि उनकी दैनिक जीवन की गतिविधियां उनकी धर्मनिरपेक्षता की सबसे बड़ी गवाह हैं। वो मां दुर्गा के नवरात्रों में डांडिया भी खेलते हैं और रमजान के पाक महीने में रोजे भी रखते हैं। लोहड़ी की खुशियां भी मनाते हैं और ईद पर सेवइयां भी खिलाते हैं।
नवरात्रों का पावन पर्व हाल ही में संपन्न हुआ। इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आईएमए डांडिया नाइट का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में शहर के प्रथम नागरिक मेयर डॉ. उमेश गौतम भी विशेष रूप से शामिल हुए। इस दौरान हिन्दुओं की आस्था का पूरा सम्मान करते हुए डॉ. अनीस बेग ने मेयर उमेश गौतम के साथ डांडिया खेल समाज को एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया।


इसी तरह हाल ही में प्रतिष्ठित हिन्दी समाचार पत्र अमर उजाला की ओर से ‘सद्भावना पुलाव’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में शहर के गणमान्य लोग शामिल हुए। इनमें वरिष्ठ भाजपा नेता और जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमेंद्र माहेश्वरी भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में भी अनीस बेग ने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई और सद्भावना का संदेश देने का काम किया।
इतना ही नहीं लोहड़ी और बैशाखी पर होने वाले आयोजनों में भी अनीस बेग अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।

अब बात जातिगत भेदभाव की करें तो इससे भी अनीस बेग कोसों दूर हैं। हाल ही में आईएमए सभागार में अनीस बेग की ओर से दलित समाज के मसीहा स्व. कांशीराम की पुण्यतिथि पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के 95% मेहमान दलित समाज से थे। अनीस बेग ने इन मेहमानों को न सिर्फ गले लगाया बल्कि उनके साथ बैठकर भोजन भी किया। ये महज एक रात्रिभोज या पुण्यतिथि समारोह ही नहीं था बल्कि यह आयोजन सामाजिक समानता और सद्भाव का एक दूरगामी संदेश दे रहा था।
ये तो चंद उदाहरण मात्र हैं जो अनीस बेग के दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान को उजागर करके हैं। अपने मजहब का भी वह उतना ही सम्मान करते हैं। हाल ही में उन्हें दरगाह शाहदाना वली वेलफेयर सोसाइटी का मुख्य संरक्षक बनाया गया है। एक दिन पहले ही वह ख्वाजा कुतुब बरेली जश्न-ए-चिरागा का हिस्सा बने। रमजान में वो एक सच्चे मुसलमान की तरह रोजे रखते और इफ्तार पार्टियों का आयोजन भी करते हैं।


उनका अस्पताल गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश कर रहा है। यहां मुस्लिमों के साथ ही हिन्दू डॉक्टर भी सेवाएं दे रहे हैं। बेहतर इलाज के साथ बेहतर समाज की परिकल्पना को भी उनका अस्पताल साकार कर रहा है। शायद यही वजह है कि डॉक्टरों को धरती के भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि वो किसी विशेष मजहब से नहीं आते।
बहरहाल, डॉ. अनीस बेग जैसे लोगों की आज इस समाज को बेहद जरूरत है। जो मजहबी सियासत के इस दौर में साम्प्रदायिक सद्भाव की नई राहें तैयार कर सकें।नवरात्रों में डांडिया खेलते हैं, रोजे रखते हैं रमजान में, औरों से जुदा है ये शख्सियत, फर्क नहीं करते हिन्दू और मुसलमान में, जानिये कैसे मजहबी सियासत को मात दे रहे जाने-माने चाइल्ड स्पेशियलिस्ट डॉ. अनीस बेग?
नीरज सिसौदिया, बरेली
बहराइच की हिंसा, बंगाल का बवाल, कर्नाटक की मजहबी सियासत और कश्मीर की वादियों में पनपता नफरत का बाजार। मजहबी सियासत के ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो इन दिनों अखबारों की सुर्खियां बटोर रहे हैं। ऐसे में कुछ ऐसी शख्सियतों का जिक्र बेहद जरूरी हो जाता है जो इस समाज में मजहबी सियासत के मुंह पर तमाचा जड़ते हुए साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर रहे हैं। एक ऐसी ही शख्सियत हैं बरेली शहर के जाने-माने चाइल्ड स्पेशियलिस्ट मैक्स लाइफ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड फहमी आईवीएफ सेंटर के मालिक डॉक्टर अनीस बेग की। डॉक्टर अनीस बेग बरेली शहर में एक डॉक्टर के साथ ही समाजसेवी के तौर पर भी जाने-जाते हैं। वो एक सियासतदान भी हैं और ये सियासत उन्हें अपने बड़े भाई से विरासत में मिली है। लेकिन अनीस बेग मजहबी सियासत से कोसों दूर हैं। उनकी छवि एक बेहतरीन डॉक्टर और धर्म निरपेक्ष सियासतदान की है। अनीस बेग सिर्फ कागजों में ही धर्म निरपेक्ष नहीं हैं बल्कि उनकी दैनिक जीवन की गतिविधियां उनकी धर्मनिरपेक्षता की सबसे बड़ी गवाह हैं। वो मां दुर्गा के नवरात्रों में डांडिया भी खेलते हैं और रमजान के पाक महीने में रोजे भी रखते हैं। लोहड़ी की खुशियां भी मनाते हैं और ईद पर सेवइयां भी खिलाते हैं।
नवरात्रों का पावन पर्व हाल ही में संपन्न हुआ। इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आईएमए डांडिया नाइट का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में शहर के प्रथम नागरिक मेयर डॉ. उमेश गौतम भी विशेष रूप से शामिल हुए। इस दौरान हिन्दुओं की आस्था का पूरा सम्मान करते हुए डॉ. अनीस बेग ने मेयर उमेश गौतम के साथ डांडिया खेल समाज को एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया।
इसी तरह हाल ही में प्रतिष्ठित हिन्दी समाचार पत्र अमर उजाला की ओर से ‘सद्भावना पुलाव’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में शहर के गणमान्य लोग शामिल हुए। इनमें वरिष्ठ भाजपा नेता और जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमेंद्र माहेश्वरी भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में भी अनीस बेग ने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई और सद्भावना का संदेश देने का काम किया।
इतना ही नहीं लोहड़ी और बैशाखी पर होने वाले आयोजनों में भी अनीस बेग अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।
अब बात जातिगत भेदभाव की करें तो इससे भी अनीस बेग कोसों दूर हैं। हाल ही में आईएमए सभागार में अनीस बेग की ओर से दलित समाज के मसीहा स्व. कांशीराम की पुण्यतिथि पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के 95% मेहमान दलित समाज से थे। अनीस बेग ने इन मेहमानों को न सिर्फ गले लगाया बल्कि उनके साथ बैठकर भोजन भी किया। ये महज एक रात्रिभोज या पुण्यतिथि समारोह ही नहीं था बल्कि यह आयोजन सामाजिक समानता और सद्भाव का एक दूरगामी संदेश दे रहा था।
ये तो चंद उदाहरण मात्र हैं जो अनीस बेग के दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान को उजागर करके हैं। अपने मजहब का भी वह उतना ही सम्मान करते हैं। हाल ही में उन्हें दरगाह शाहदाना वली वेलफेयर सोसाइटी का मुख्य संरक्षक बनाया गया है। एक दिन पहले ही वह ख्वाजा कुतुब बरेली जश्न-ए-चिरागा का हिस्सा बने। रमजान में वो एक सच्चे मुसलमान की तरह रोजे रखते और इफ्तार पार्टियों का आयोजन भी करते हैं।
उनका अस्पताल गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश कर रहा है। यहां मुस्लिमों के साथ ही हिन्दू डॉक्टर भी सेवाएं दे रहे हैं।
यहां के 11 डॉक्टरों में से लगभग आधे हिन्दू हैं तो आधे मुस्लिम। न्यूरो सर्जन डॉक्टर दीपक कुमार हैं, प्लास्टिक सर्जन डॉ शरद खंडेलवाल, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आशीष शंखधर, यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनीष कुमार अग्रवाल और स्किन स्पेशियलिस्ट डॉ. पिंकी निशा हैं। इनके अलावा डॉ फहमी खान, डॉ मुजीब उर रहमान, डॉ. फहद सहित अन्य डॉ मुस्लिम समुदाय से आते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि इनके हॉस्पिटल में डॉक्टरों का चयन उनकी काबिलियत के आधार पर किया गया है न कि हिन्दू या मुस्लिम के आधार पर, जैसा कि अक्सर कुछ संस्थानों में देखने को मिलता है। बेहतर इलाज के साथ बेहतर समाज की परिकल्पना को भी उनका अस्पताल साकार कर रहा है। शायद यही वजह है कि डॉक्टरों को धरती के भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि वो किसी विशेष मजहब से नहीं आते।
बहरहाल, डॉ. अनीस बेग जैसे लोगों की आज इस समाज को बेहद जरूरत है। जो मजहबी सियासत के इस दौर में साम्प्रदायिक सद्भाव की नई राहें तैयार कर सकें।

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