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नौ साल बाद जासूसी लेखिका गज़ाला करीम ‘आई एम बैक’ से कर रही हैं वापसी  

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गज़ाला ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में लिखा था अपना पहला जासूसी उपन्यास
प्रख्यात उपन्यासकार दिवंगत वेद प्रकाश शर्मा की शिष्या हैं गज़ाला करीम

मेरठ। देश की पहली जासूसी महिला उपन्यासकार गज़ाला करीम ने 9 वर्षो बाद उपन्यास की दुनिया में दुबारा से तहलका मचाने आ गई है। प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित गज़ाला का नया उपन्यास ‘आई एम बैक’ आज गूगल प्ले बुक्स और अमेज़न किंडल पर रिलीज हो गया है। गज़ाला का नया उपन्यास एक ऐसे शख्स पर आधारित है जिसने मजहब की सुरक्षा हेतु मुखौटा पहना और अपने कुछ खौफनाक व सनसनीखेज कारनामों से मानवता को तार-तार कर सिद्ध किया कि वह मानवता का सर्वश्रेष्ठ पुजारी है। इस राक्षस के सनसनीखेज खुलासे के साथ इसके खौफनाक अन्जाम व कारनामे उपन्यास में खूबसूरती से सजाये गये हैं। यह एक पारिवारिक उपन्यास है।
मेरठ की रहने वाली गज़ाला ने अब तक लगभग 36 उपन्यास लिखें है। बता दें मात्र 13 वर्ष की उम्र में उपन्यास की जासूसी दुनिया में धूम मचाने वाली गज़ाला ने कुछ परिस्थतियों के कारण लेखन की दुनिया को अलविदा कह दिया था। प्रख्यात उपन्यासकार वेद प्रकाश शर्मा की शिष्या रह चुकी गज़ाला ने बताया कि मुझे जासूसी उपन्यास के कथानकों के चयन से संबधित जानकारी अपने गुरू से ही मिली थी।
गज़ाला ने बताया कि मुझे अपने परिचितों व पाठकों और शुभ चिन्तकों से मुझे बहुत प्यार मिला है, जिनकी बदौलत ही मैने दुबारा से कलम उठाई है। उन्होने भावुक होते हुए कहा कि मेरी वापसी में सबसे बड़ा सहयोग साहित्य देश के संचालक गुरप्रीत सिंह जी का है क्योंकि कुछ परिस्थतियों ने मुझे इतना तोड़ दिया था, मै दुबारा से कभी कलम नहीं उठाना चाहती थी लेकिन उन्होने मुझमें विपरित परिस्थतियों से लड़ने की इच्छाशक्ति जगाई। मै उनकी शुक्रगुजार रहूंगी। उन्होने कहा कि जासूसी नावेल से शुरू हुआ सफर अब साहित्य की ओर मुड़ चला है। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मै फिर से कलम उठा रही हूं। यह वापसी मेरी जिन्दगी की अनोखी और यादगार रहेगी, जिसमें कई लोगों का साथ रहा है। मै उन सभी को धन्यवाद कहना चाहूंगी।
प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के डायरेक्टर राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि हमें खुशी है कि गज़ाला ने लेखन की दुनिया में दुबारा से आ रही है। हमें उम्मीद है कि गज़ाला लेखन के क्षेत्र में दुबारा से एक नया मुकाम बनायेंगी। उन्होने यह भी कहा कि हम ऐसे लेखको को प्लेटफार्म देना चाहते है जिन्हे वास्तव में हमारे सहयोग की जरूरत है। हम नहीं चाहते कि लेखक हमारे पास हमारे द्वारा प्रकाशित किताबों की गिनती देखकर आये। हम कम प्रकाशन करेंगे लेकिन बेहतर ताकि लेखक को भी हमारे साथ रहकर वास्तविक लाभ मिले।
मेरठ के प्रख्यात उपन्यासकार व लेखक आबिद रिज़वी ने गज़ाला को शुभकामनाएं दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। अधिवक्ता एवं वरिष्ठ साहित्यकार डा. फखरे आलम खान ‘विद्यासागर’ ने कहा कि गज़ाला की कलम का जादू कई वर्षो पहले चला करता था, जो रूक गया था। जो उपन्यास जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति थी लेकिन सबसे अच्छी बात है कि गज़ाला अब पुन: उपन्यास की दुनिया में लौट आई है। उन्होने भी अपनी शुभकामनाएं दी।
इसके अलावा गज़ाला के पुन: कलम उठाने पर उनके मोबाइल और शोसल मीडिया पर उन्हे बधाईयों का तातां लग गया है। उन्होने कहा मुझे वास्तव में इतनी खुशी कभी नहीं मिली है। साथ ही उन्होने कहा कि ये नावेल मैने अपने र्स्वगीय पिता अब्दुल करीम को समर्पित किया है, क्योंकि उनकी बदौलत ही मै सब कुछ हूं।

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