कुरुक्षेत्र (ओहरी)
सरकार द्वारा सभी को सरल और सुलभ शिक्षा दिलाने के प्रयासों पर पुस्तको ओर गाईडों के प्रकाशन से जुड़ा प्रकाशक माफिया पलीता लगा रहा है। वहीं पर बच्चों को भी पूरी पढ़ाई करने की बजाए गाईडों के प्रति नशे से युक्त बना रहा है। प्रदेश और देश में बच्चों के अभिभावको पर किताबों की महंगाई के रूप में प्रतिवर्ष करोड़ो रुपए का बोझ पड़ रहा है। स्कूल माफिया करोड़ो के कमीशन के फेर में प्राइवेट प्रकाशको की किताबे और गाईडे स्कूल में लगातार लगा रहा है। जबकि सी.बी.एस.ई और हरियाणा राज्य शिक्षा बोर्ड ने स्कूलो में एन.सी.आर.टी और एस.सी.आर.टी की किताबे अनिवार्य कर दी है। इन आदेशो को ताक पर रखकर कमीशन के लालच में उन किताबों और गाईडो को लगा रहे है। जो एन.सी.आर.टी ओर एस.सी.आर.टी की किताबों से कई गुणा अधिक कीमत पर मिलती है। जब भी स्कूल खुलते है तो उससे पहले प्रकाशको और स्कूल संचालको के बीच डील तय होती है। जिसमें मोटा कमीशन तय होता है। जिसका सबसे अधिक कमीशन होता र्है। उसको किताबों का ठेका मिल जाता है। इसी दिशा में निकटवर्ती जिला करनाल में आज प्राइवेट प्रकाशकों जैसे जे बी डी ग्रुप, अशोक प्रकाशन , मल्होत्रा बुक्स जैसे प्राइवेट प्रकाशकों की बाढ़ आ गई है जिससे प्रकाशन उद्योग से जुड़े हुए प्रकाशक कुछ वर्षो में ही करोड़ो के फेर में पहुंच गए। जमीन से उठे यह व्यक्ति आज सफलता के आसमान पर बैठे हुए है, उनकी सफलता के पीछे मुख्य कारण कमीशन का खेल रहा है। यह कमीशन राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर जिला शिक्षा अधिकारियों और सरकारी स्कूल के प्राचार्यो और अध्यापको ओर स्कूल संचालको तक पहुंचता है। यहां पर स्कूल के उन अध्यापको और प्राचार्यो को गाईडो को तैयार करने पर लगाया जाता है। उनके साथ भी मोटी डील होती है। कोर्स का ब्लू प्रिंट पहले ही इन लोगों तक पहुंच जाता है। नियमानुसार गाईडो पर रोक लगी हुई है। लेकिन उसके बाद भी अरबो का कारोबार पूरे हरियाणा में फैला हुआ है। इस कारोबार से कालेज, विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कालेज और मेडिकल कालेज भी अछूते नहीं रहे। इस कारोबार से प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ-साथ इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजो में प्रवेश परीक्षा भी अछूती नहीं है। इन लोगों के तार हरियाणा राज्य शिक्षा बोर्ड, सी.बी.एस.ई और विश्वविद्यालयों के प्रश्न पत्र तैयार करने वालो तक जुड़े हुए है। जो प्रश्र पत्र तैयार होते है। उनके सैट पहले ही इन लोगों तक पहुंच जाते है। हरियाणा के साथ-साथ पंजाब ओर दिल्ली सरकार को भी यह प्रकाशक करोड़ो रुपए का चूना लगा रहे है। इन प्रकाशको द्वारा करो की भी करोड़ो रुपए के टैक्स की चोरी की जा रही है। जिसकी वजह से विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। शुरू से ही बच्चों के हाथों में गाईडो की बैसाखी थमाई जा रही है। जो हॉयर एजुकेशन तक जारी रहती है। किसकी गाईड लगाना है यह अध्यापक और स्कूल संचालक तय करते है। करनाल जिले में कई प्रकार की गाईडो का प्रकाशन लम्बे समय से किया जा रहा है। इस कारोबार में करनाल के जाने-माने स्कूल संचालक भी शामिल है। जो इनके लिए काम करते है। बदले में इन्हें मोटा कमीशन मिलता है। विश्वविद्यालय में अधिकारी इनके कहने के अनुसार ही काम करते है। कई बार तो गाईडो को इस तरह लिखा जाता है, जिससे बच्चों को किताबे पढऩे की जरूरत नहीं पड़ती। केवल बच्चे रोट लर्निंग कर अपने भविष्य से खिलवाड़ करते है। यही कारण है कि विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाते और जो विद्यार्थी अफसर बन जाते है उन्हें बेसिक नॉलिज नहीं होती। वह जनता के काम कम और अपने काम की तरफ ध्यान ज्यादा रखते है।
क्या कहते हैं प्रकाशक
जब इस मामले में जे.बी.डी प्रकाशन के एम.डी भारत भूषण कपूर से बातचीत की गई तो उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि उनकी किताबे लगाई जाती है। उन्होंने कहा कि एन.सी.ई.आर.टी की किताबे स्कूल में लगती है। लेकिन अध्यापको के आवश्यकता अनुसार उनकी किताबे भी लगती है। यहां पर अध्यापको की आवश्यकता को किस बात से जोड़ा जाएं यह बात वह स्पष्ट नहीं कर पाएं। साथ ही उन्होंने कहा कमीशन जैसा ऐसा कुछ भी नहीं है। लेकिन उनके अनुसार कही बात में अध्यापको की आवश्यकता कुछ और ही बात की तरफ इशारा कर रही थी।