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दो साल के सबसे बुरे स्तर पर पहुंची जीडीपी, रुपया भी टूटकर अब तक के सबसे नीचे स्तर पर आया, पढ़ें क्या कहते हैं सरकार के आंकड़े और क्या होगा भारत की अर्थव्यवस्था का?

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नई दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 5.4 प्रतिशत रहने को निराशाजनक बताया। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान ‘खतरे में नहीं’ है। आर्थिक समीक्षा में अनुमान जताया गया था कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5-7.0 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। यह पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की दर से कम है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के अलावा कमजोर खपत की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर लगभग दो साल के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई। एक साल पहले की समान अवधि में जीडीपी 8.1 प्रतिशत बढ़ी थी। नागेश्वरन ने इस तिमाही आंकड़े पर संवाददाताओं से कहा, “वास्तविक जीडीपी वृद्धि का 5.4 प्रतिशत होना इसके निचले स्तर को दर्शाता है जो कि निराशाजनक है। लेकिन इनमें कुछ चमकदार बिंदु भी हैं।” उन्होंने कहा कि कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्र और निर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन इस तिमाही में काफी अच्छा रहा है। खरीफ खाद्यान्नों के लिए रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान और रबी फसलों की आशाजनक संभावनाएं कृषि आय और ग्रामीण मांग के लिए शुभ संकेत हैं। इसके साथ ही मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, “दूसरी तिमाही के आंकड़ों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि 6.5 प्रतिशत की संख्या खतरे में है, क्योंकि दूसरी तिमाही के निम्न आंकड़े कोई प्रवृत्ति नहीं हैं।” उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्थिर मांग तथा मजबूत विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की गतिविधि द्वारा समर्थित अर्थव्यवस्था मजबूती दिखा रही है।
वहीं, अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की गिरावट के साथ 84.60 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी और कमजोर घरेलू वृहद आर्थिक आंकड़ों से धारणा प्रभावित हुई। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि महीने के अंत में भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए आयातकों की डॉलर मांग के कारण रुपये पर दबाव पड़ा, जबकि सरकार द्वारा बाद में जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों ने मुद्रा बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। इससे रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 84.49 पर खुला और कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले 84.48 के उच्चतम स्तर पर और 84.60 के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। सत्र के अंत में डॉलर के मुकाबले रुपया 84.60 के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद के मुकाबले 13 पैसे की गिरावट है। बृहस्पतिवार को रुपया सात पैसे गिरकर 84.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘डॉलर की मजबूती और रूस तथा यूक्रेन के बीच तनाव के कारण रुपये में गिरावट का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर तनाव के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और आयातकों की ओर से महीने के अंत में डॉलर की मांग भी रुपये पर असर डाल सकती है।” उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, घरेलू बाजारों में सकारात्मक रुख और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किसी भी हस्तक्षेप से रुपये को निचले स्तरों पर समर्थन मिल सकता है। व्यापारी भारत के वित्त वर्ष 2024-25 के दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं। डॉलर बनाम रुपया की हाजिर कीमत 84.35 से 84.70 के बीच कारोबार करने की संभावना है।” इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 105.88 पर रहा। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73.06 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। इस बीच, बीएसई सेंसेक्स 759.05 अंक की तेजी के साथ 79,802.79 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 216.95 अंक बढ़कर 24,131.10 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुक्रवार को 4,383.55 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।

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