नीरज सिसौदिया, बरेली
मेयर उमेश गौतम और व्यापारियों के तमाम विरोध प्रदर्शन के बावजूद बरेली विकास प्राधिकरण ने प्रभात नगर स्थित जॉकी के शोरूम को बुधवार सुबह एक बार फिर से सील कर दिया है। बीडीए और मेयर उमेश गौतम के बीच जिस तरह तनातनी चल रही है उसे देखकर यह तय है कि बीडीए का बुलडोजर अब मेयर उमेश गौतम की इनवर्टिस यूनिवर्सिटी की ओर बढ़ने वाला है। यहां हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश बीडीए कई महीने पहले ही जारी कर चुका है लेकिन बुलडोजर अब तक चलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था।
दरअसल, 20 मार्च 2024 को न्यायालय सक्षम प्राधिकारी, बरेली विकास प्राधिकरण की ओर से उत्तर प्रदेश नगर योजना विकास अधिनियम 1973 की धारा -27 की उप धारा (1) के अधीन भवन गिराने का एक नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस में लिखा है, ‘दिनांक 23.09.2023 वाद संख्या बीडीए/एएनआई2023/0000998 बरेली विकास प्राधिकरण बनाम डॉक्टर उमेश गौतम (एमडी)
भूखंड संख्या एनए जोन-1 सेक्टर-7 , शाहजहांपुर रोड, बरेली उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम 1973 की धारा 27 की उप धारा के तहत भवन गिराने की आज्ञा।
उपरोक्त स्थल पर स्थित भवन जिसमें आपने परिसर में बिना स्वीकृत मानचित्र के अनधिकृत निर्माण करवाया है। जिसमें आपको सुनवाई और यह बताने का समुचित अवसर दिया गया था कि अनाधिकृत निर्माण को क्याें न गिरा दिया जाए। क्योंकि आप ऐसी आज्ञा जारी करने के विरुद्ध कारण बताने में असफल रहे हैं और आपने कोई पर्याप्त कारण नहीं बताया है, अतएव आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप इस आदेश की प्राप्ति के दिनांक से 25 दिनों के भीतर अनाधिकृत निर्माण को स्वयं गिरा दें अन्यथा विकास प्राधिकरण द्वारा अनाधिकृत निर्माण को गिरा दिया जाएगा तथा गिराने पर होने वाले व्यय को भू-राजस्व के रूप में वसूल किया जाएगा। आप दिनांक 14.04.2024 को उपस्थित होकर यह अवगत कराएं कि अनाधिकृत निर्माण गिरा दिया गया है अथवा नहीं। यदि उक्त तिथि तक विपक्षी द्वारा ध्वस्तीकरण नहीं कराया जाता है तो प्रवर्तन खंड ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित कराएं।’
इस आदेश की प्रतिलिपि अधिशासी अभियंता को आगे की कार्रवाई के लिए भेजी गई थी। इसके बावजूद आठ माह बीतने के बावजूद बीडीए ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। अब जबकि बीडीए इस मामले पर आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा था तो प्रभात नगर के शोरूम को लेकर बवाल शुरू हो गया। मेयर खुद सड़क पर उतर कर व्यापारियों और पार्टी नेताओं के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन करते नजर आए। व्यापारी नेता आयकर विभाग से बीडीए के अधिकारियों की संपत्ति की जांच की गुहार लगाने पहुंच गए। बीडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उछाला गया। आसपास के जिलों के व्यापारियों को एकजुट करके आंदोलन की रणनीति भी बनाई जाने लगी। लोगों को लगा कि एक सील किए गए शोरूम के लिए इतना बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया गया है। जबकि मसला शोरूम का नहीं बल्कि करोड़ों की यूनिवर्सिटी में कथित तौर पर कराए गए अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण को बचाने का था। बीडीए का बुलडोजर मेयर की इनवर्टिस यूनिवर्सिटी की ओर न बढ़ जाए इसलिए यह पूरा हाईवोल्टेज ड्रामा रचा गया।

सूत्र बताते हैं कि उक्त शोरूम के मालिक रोहित शौरी का भाई सुशील शौरी मेयर का आर्किटेक्ट भी है। सूत्रों का दावा है कि आर्किटेक्ट और व्यापारियों को आगे करके यह पूरी लड़ाई अपने हित साधने के लिए लड़ी जा रही थी।
इससे पहले तीन अगस्त 2024 को बीडीए की ओर से इनवर्टिस यूनिवर्सिटी में किए जा रहे अवैध निर्माण को लेकर एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। इस नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम 1973 की धारा 14 और धारा 15 के आदेशानुसार विकास प्राधिकरण की अनुमति प्राप्त किए बिना इनवर्टिस यूनिवर्सिटी, शाहजहांपुर रोड स्थित भवन का जिसमें लगभग 300 वर्ग मीटर के दो ब्लॉकों में पहले से बने भूतल के ऊपर कमरों का निर्माण कराया जा रहा है और इसका कोई स्वीकृत मानचित्र नहीं दिखाया गया है। इसलिए आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि सक्षम प्राधिकारी, बरेली विकास प्राधिकरण के कार्यालय में 16 अगस्त को सुबह 11 बजे आकर बताएं कि आपके इस निर्माण को गिराने का आदेश क्यों न दिया जाए।

बीडीए के ये नोटिस बताते हैं कि इनवर्टिस यूनिवर्सिटी के खिलाफ वह कार्रवाई करने की तैयारी किस जोर-शोर से कर रहा था कि सत्ताधारी होने के बावजूद उसने मेयर उमेश गौतम की इनवर्टिस यूनिवर्सिटी के खिलाफ आदेश जारी कर दिए। अब जबकि इनवर्टिस पर खतरा मंडराने लगा तो बीडीए को एक शोरूम के चक्कर में उलझा दिया गया ताकि इनवर्टिस की ओर से बीडीए का ध्यान हटाया जा सके और बीडीए अधिकारियों को यह भी एहसास हो जाए कि मेयर के खिलाफ जाना किस हद तक नुकसानदायक हो सकता है।
हालांकि, इनवर्टिस के अवैध निर्माण संबंधी नोटिस और ध्वस्तीकरण के आदेशों के संबंध में जब मेयर उमेश गौतम से बात की गई तो उन्होंने पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि जोन-1 सेक्टर-7 कहां है, मुझे नहीं पता है। न ही मुझे इस पत्र के बारे में पता है। इस पर डेट बीस मार्च 2024 की है। आज नौ महीने बाद क्यों पूछ रहे हो। नोटिस भी आठवें महीने का है। मेरा इन सबसे कोई मतलब नहीं है।
